पठित पाठ के आधार पर यह कह पाना कहां तक उचित है कि फिल्म को सत्यजित राय एक कला-माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक-माध्यम के रूप में नहीं?
यह कहना बिल्कुल उचित ही है कि सत्यजित फिल्म को एक कला-माध्यम के रूप में देखते थे । यही कारण था कि वे फिल्म के कलात्मक पक्ष पर विशेष ध्यान देते थे । वे ऐसी शूटिंग करते थे कि फिल्म बनावटी न लगाकर यथार्थ प्रतीत हो ।
व्यावसायिक-माध्यम में धन कमाने की ओर नजर रहती है । सत्यजित राय ने कभी फिल्म से धन कमाने की लालसा नहीं रखी । वे फिल्मों को व्यावसायिक बनाने के लिए मसाले का प्रयोग नहीं करते थे ।