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(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) महादेव जी, गांधीजी के साथ भारत के स्वतंत्रता-आन्दोलन से जुड़े हुए थे। भारत की स्वतंत्रता रूपी सुबह होने ही वाली थी। अचानक महादेव जी का देहांत हो गया। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
(ग) जिस प्रकार शुक्रतारा थोड़े से समय में ही आकाश में अपनी चमक बिखेरकर अस्त हो जाता है उसी प्रकार महादेव भी अपने थोड़े से जीवन में ही अपनी कार्यशैली से दुनिया को प्रभावित कर गए। इसी कारण महादेव की शुक्रतारे से तुलना की गई है।
(घ) महादेव जी अपने मित्रों के बीच विनोद करते हुए अपने आपको गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे।
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) इसका अर्थ है पैनी नजरों से जाँच-पड़ताल करना। सावधानी से किसी बात में गलती खोजना।
(ग) अन्य समाचार-पत्र गांधीजी की लोकप्रियता से डरते थे। वे हमेशा गांधीजी के बारे में उल्टा-सीधा लिखते रहते थे। ये समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर तीखी नजर रखते थे।
(घ) गांधीजी के मार्गदर्शन और शत्रु के साथ भी विनम्रता से विवाद करने की शिक्षा ने समाचार-पत्रों की दुनिया में महादेव भाई को सबका लाडला बना दिया।
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) गांधीजी से मिलने के लिए बड़े-बड़े देशी-विदेशी राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्रों के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संचालक, पादरी, ग्रंथकार आदि आते थे।
(ग) महादेव को ईश्वर की ओर से यह गुण मिला था कि वे तेज गति से बिना गलती किए लंबी बातचीत को कागज में उतार सकते थे। वे कोने में बैठे बातचीत को लिखावट में लिखते रहते थे।
(घ) मुलाकातियों के साथ आए हुए आदमी गांधीजी की बातचीत को शार्टहैंड विधि से नोट करते थे। वे बाद में उसे टाइप करते थे।
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) ‘सोने की कीमत वाले गाद’ से लेखक का अर्थ उपजाऊ जमीन से है। गंगा-जमुना का मैदान इतना उपजाऊ है कि यहाँ भरपूर फसल पैदा होती है। इसी को लेखक ने ‘सोने की कीमत वाले गाद’ कहा है।
(ग) लेखक के अनुसार जिस प्रकार इन मैदानों में बिना किसी कठिनाई के खेती की जा सकती है उसी प्रकार महादेव जी के सम्पर्क में आने वालों को उनकी किसी बात से ठेस नहीं लगती थी। क्योंकि महादेव का जीवन अत्यंत सरल था।
(घ) महादेव भाई से मिलने वाले उन्हें इसलिए याद करते थे क्योंकि वे उन्हें बड़े प्रेम से मिलते थे। लोगों को इस बात का अहसास ही नहीं होता था कि वे किसी दूसरे व्यक्ति से मिल रहे हैं। इसी अपनेपन के कारण लोग उन्हें याद रखते थे।
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) महादेव जी को प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कारयुक्त भाषा व मनोहारी लेखन शैली की ईश्वरीय देन मिली थी।
(ग) गांधीजी के संपर्क में आने के बाद महादेव जी का जीवन इतना व्यस्त हो गया कि उन्हें निजी कामों के लिए समय ही नहीं मिलता था वे सदा मुलाकातियों और समाचार-पत्रों के बीच ही रहे।
(घ) महादेव भाई ने गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया जो ‘नवजीवन’ में प्रकाशित होने वाले मूल गुजराती की तरह हर सप्ताह ‘यंग इंडिया’ में छपता रहा। बाद में यह सारी दुनिया में प्रकाशित हुआ और खूब बिका।
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सप्ताह - साप्ताहिक साहित्य - साहित्यिक
व्यक्ति - व्यक्तिक राजनीति – राजनीतिक
अर्थ - आर्थिक धर्म – धार्मिक
मास - मासिक वर्ष - वार्षिक
आर्य = सन् + आर्य = अनार्य
डर = नि + डर = निडर
क्रय = वि + क्रय = विक्रय
उपस्थित = अन् + उपस्थित = अनुपस्थित
नायक = आधि + नायक = अधिनायक
आगत = सु + आगत = स्वागत
आकर्षक = अन् + आकर्षण = अनाकर्षण
मार्ग = सु + मार्ग = सुमार्ग
लोक = पर + लोक = परलोक
भाग्य = दुर + भाग्य = दुर्भाग्य
आड़े हाथों लेना-परीक्षा में कम अंक आने पर रमेश के माता-पिता ने उसे आड़े हाथों लिया।
अस्त हो जाना- आपसी ईर्ष्या-द्वेष कलह से समाज में बड़े-बड़े धरानों की प्रसिद्धि अस्त हो जाती है।
दाँतों तले अंगुली दाबाना- ताजमहल की सुंदरता देखकर पर्यटक दाँतों तले अंगुली दबा लेते है।
मंत्र-मुग्ध करना- स्वामी विवेकानन्द की ओजस्वी वाणी भारतीयों तो क्या विदेशियों को भी मंत्र मुग्ध कर देती थी।
लोहे के चने चबाना- भारतीय सेना का मुकाबला करना लोहे के चने चबाने के समान है।
वारिस - उत्तराधिकारी जिगरी - हार्दिक कहर - जुल्म, अत्याचार
मुकाम - लक्ष्य रूबरू - प्रत्यक्ष फ़र्क- अंतर
तालीम - शिक्षा गिरफ्तार - कैद
1. महादेव भाई अपना परिचय 'पीर-बावचीं-मिश्ती-खर’ के रूप में दिया करते थे।
2. पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ा करते थे।
3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गाँधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।
5. गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया करते थे।
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