निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
बिहार और उत्तर प्रदेश के हज़ारो मील लंबे मैदान गंगा, यमुना और दूसरी नदियों के परम उपकारी, सोने की कीमत वाले ‘गाद’ के बने हैं। आप सौ-सौ कोस चल लीजिये रास्ते में सुपारी फोड़ने लायक एक पत्थर भी कहीं मिलेगा नहीं। इसी तरह महादेव के संपर्क में आने वाले किसी को भी ठेस या ठोकर की बात तो दूर रही, खुरदरी मिट्टी या कंकरी भी कभी चुभती नहीं थी। उनकी निर्मल प्रतिभा उनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को चंद्र-शुक्र की प्रभा के साथ दूधों नहला देती थी। उसमें सराबोर होने वाले के मन में उनकी इस मोहिनी का नशा कई-कई दिन तक उतरता न था।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) इस गद्यांश में प्रयुक्त ‘सोने की कीमत वाले गाद’ का क्या अर्थ है?
(ग) लेखक ने महादेव की तुलना उत्तर प्रदेश तथा बिहार के मैदान से क्यों की है?
(घ) महादेव भाई को मुलाकाती क्यों हमेशा याद रखते थे?
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) ‘सोने की कीमत वाले गाद’ से लेखक का अर्थ उपजाऊ जमीन से है। गंगा-जमुना का मैदान इतना उपजाऊ है कि यहाँ भरपूर फसल पैदा होती है। इसी को लेखक ने ‘सोने की कीमत वाले गाद’ कहा है।
(ग) लेखक के अनुसार जिस प्रकार इन मैदानों में बिना किसी कठिनाई के खेती की जा सकती है उसी प्रकार महादेव जी के सम्पर्क में आने वालों को उनकी किसी बात से ठेस नहीं लगती थी। क्योंकि महादेव का जीवन अत्यंत सरल था।
(घ) महादेव भाई से मिलने वाले उन्हें इसलिए याद करते थे क्योंकि वे उन्हें बड़े प्रेम से मिलते थे। लोगों को इस बात का अहसास ही नहीं होता था कि वे किसी दूसरे व्यक्ति से मिल रहे हैं। इसी अपनेपन के कारण लोग उन्हें याद रखते थे।