Question
निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कार-सम्पन्न भाषा और मनोहारी लेखनशैली की ईश्वरीय देन महादेव को मिली थी। यद्यपि गांधीजी के पास पहुँचने के बाद घमासान लड़ाइयों, आंदोलनों और समाचार-पत्रों की चर्चाओं के भीड़ भरे प्रसंगों के बीच केवल साहित्यिक गतिविधियों के लिए उन्हें कभी समय नहीं मिला, फिर भी गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद उन्होंने किया, जो ‘नवजीवन’ में प्रकाशित होनेवाले मूल गुजराती की तरह हर हफ़्ते ‘यंग इंडिया’ में छपता रहा। बाद में पुस्तक के रूप में उसके अनगिनत संस्करण सारी दुनिया के देशों में प्रकाशित हुए और बिके।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) महादेव जी को क्या ईश्वरीय देन मिली?
(ग) महादेव जी को साहित्यिक लेखन का समय क्यों नहीं मिला?
(घ) महादेव भाई ने किस आत्मकथा का अंग्रेजी अनुवाद किया और वह हर सप्ताह किसमें छपता रहा?
Solution
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) महादेव जी को प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कारयुक्त भाषा व मनोहारी लेखन शैली की ईश्वरीय देन मिली थी।
(ग) गांधीजी के संपर्क में आने के बाद महादेव जी का जीवन इतना व्यस्त हो गया कि उन्हें निजी कामों के लिए समय ही नहीं मिलता था वे सदा मुलाकातियों और समाचार-पत्रों के बीच ही रहे।
(घ) महादेव भाई ने गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया जो ‘नवजीवन’ में प्रकाशित होने वाले मूल गुजराती की तरह हर सप्ताह ‘यंग इंडिया’ में छपता रहा। बाद में यह सारी दुनिया में प्रकाशित हुआ और खूब बिका।