Vitan Bhag Ii Chapter 1 सिल्वर वैडिंग
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    NCERT Solution For Class 12 Hindi Vitan Bhag Ii

    सिल्वर वैडिंग Here is the CBSE Hindi Chapter 1 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Hindi सिल्वर वैडिंग Chapter 1 NCERT Solutions for Class 12 Hindi सिल्वर वैडिंग Chapter 1 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN12026710

    यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए

    (क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।

    (ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वन्द्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खीचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।

    (ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व हैं और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना उचित नहीं है।

    Solution

    यशोधर बाबू एक असंतुष्ट एवं अंतर्द्वन्द्व से ग्रस्त व्यक्ति हैं। उनमें एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।

    कहानी पड़ने के बाद यशोधर बाबू के बारे में उपरोक्त बात ही प्रमाणित होती है। सोच और अनुभव के आधार पर मैं इसी बात का समर्थन करता हूँ। यशोधर बाबू एक व्यापक सामाजिक सोच के व्यक्ति हैं। उनके भीतर पुरानी पीढ़ी की कुछ सामान्य विशेषता शामिल है। वह अपने सिद्धांतों और मूल्यों के साथ अपना जीवन बिताने का प्रयास करते हैं। उनकी संतान और आस-पास के लोग नये जमाने के साथ चलने वाले लोग हैं। यशोधर बाबू खुद अपने आप को दुनियादारी में पिछड़ा मानते हैं। इस तरह वह नयेपन को स्वीकार करते हैं। उन्हें अपने बेटो का आगे बढ़ना भीतर ही भीतर अच्छा लगता है। वह अपने प्रेरणा स्रोत किशनदा की मौत के कारण को कही न कहीं महसूस करते हैं। अपनी सोच और आदर्शो के प्रति उन्हें खुद संशय है। वह अक्सर नकली हँसी का सहारा लेकर अपनी बाते बताते हैं।

    Question 2
    CBSEENHN12026715

    कहानी के आधार पर यशोधर पंत के व्यक्तित्व की विशेषताएँ संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    यशोधर पंत गृह मंत्रालय में सेक्सन ऑफिसर हैं। वह पहाड़ से दिल्ली आये थे। दिल्ली आने के समय उनकी उम्र बहुत कम थी। कृष्णानंद (किशनदा) पांडे के घर पर रहे थे। वहाँ रहते हुए उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ। इस विकास मैं सबसे अधिक प्रभाव किशनदा का था। वह एक कंजूस व्यक्ति भी थे। आफिस में जलपान के लिए तीस रुपये निकाल पाना आफिस वालों के लिए बहुत कठिन था। यशोधर बाबू अपने पद के हिसाब से व्यवहार करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने यह गुण भी किशनदा से सीखा था। उम्र बढ़ने के साथ यशोधर जी धार्मिकता के रंग में रंगते जा रहे थे। उनकी दिनचर्या मंदिर रजाने के बाद ही समाप्त होती थी। इसी तरह घर में भी पूजा पाठ करते थे। यशोधर बाबू एक सामाजिक व्यक्ति थे। अपनी नौकरी शुरू करने के साथ उन्होंने संयुक्त परिवार अपने साथ रखा था। इसी प्रकार सालों साल तक अपने घर में कुमाऊँनी परंपरा से संबंधित आयोजन भी किया करते थे। उनकी चाहत थी कि उन्हें समाज का सम्मानित व्यक्ति समझा जाये।
    यशोधर जी एक असंतुष्ट पिता भी थे। अपनी संतानों के साथ उनका संबंध सामान्य नहीं था। अपने पारिवारिक माहौल से बचने के लिए ही वे जान बूझकर अधिक समय तक घर से बाहर रहने की कोशिश करते थे। उन्हें अपने बेटों का व्यवहार पसंद नहीं है। बेटी के पहनने ओढ़ने को वह सही मानते हैं। उनके बेटे किसी भी मामले में उनसे किसी तरह की राय नहीं लेते हैं। यशोधर बाबू को यही बात बुरी लगती है।।
    यशोधर बाबू परंपरावादी व्यक्ति हैं। उन्हें सामाजिक रिश्तों को निभाने में आनंद आता है। अपनी बहन को नियमित तौर पर पैसा भेजते हैं। बीमार जीजा कौ देखने जाने कं बारे में सोचते हैं। आधुनिकता के विरोधी होने के बाद भी उन्हें अपने बेटों की प्रगति अच्छी लगती है। गैस चूल्हा खरीदे जाने पर, फ्रिज खरीदे जाने पर, लड़के की नौकरी आदि लगने पर उनके चेहरे पर चमक आ जाती है। इसके अलावा वे असंतुष्ट पति, मेहनती, परंपरा प्रिय व्यक्ति हैं।

    Question 3
    CBSEENHN12026721

    कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए कि यशोधर जी की पत्नी समय के साथ बल सकने में सफल हो गयी है।

    Solution

    यशोधर जी की पत्नी अपने बेटों और बेटी के प्रभाव में समय के साथ ढल सकने में सफल हो गयी है। उनके ऊपर किसी और का प्रभाव नहीं था। कहानीकार ने स्पष्ट भी किया है कि यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों से किसी भी तरह आधुनिक नहीं है, तथापि बच्चों की तरफदारी करने की मातृसुलभ मजबूरी ने उन्हें मॉर्डन बना डाला है। यशोधर बाबू को संयुक्त परिवार के दिन बहुत अच्छे लगते हैं, जबकि उस समय को उनकी बीवी अपने जीवन का सबसे खराब दिन मानती है। अपनी बेटी के कहने के हिसाब से जीना सीख लिया है। उसने बगैर बाँह का ब्लाउज पहनना, रसोई से बाहर भात-दाल खा लेना, ऊँची हील की सैंडल पहनना और ऐसे ही पचासों काम अपनी बेटी की सलाह पर शुरू कर दिया है। वह अपने बेटा के किसी भी मामले में दखल नहीं देती है। इससे उनका टकराव उनसे नहीं होता है। वह अपनी ‘सिल्वर वैडिंग’ समारोह में खुशी से केक काटती है। मेहमानों का स्वागत खुलकर करती है। वह अपने बेटों और बेटी की सोच की तरफदारी भी करती है। इस तरह हम कह सकते हैं कि वह समय के साथ ढल गयी है।

    Question 4
    CBSEENHN12026726

    कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए कि यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा के पूर्ण प्रभाव में विकसित हुआ था। अथवा

    ‘यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा की प्रतिच्छाया है’ इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? तार्किक उत्तर दीजिए।

    Solution

    कहानी के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा के पूर्ण प्रभाव में विकसित हुआ है। यशोधर बाबू का व्यक्तित्व उन्हीं की प्रतिच्छाया है। यशोधर बाबू बहुत कम उम्र में पहाड़ से दिल्ली आ गये थे। किशनदा जैसे दयालु एवं सामाजिक व्यक्ति ने यशोधर जैसे कई लोगों को अपने घर में आसरा दिया था। यशोधर बाबू की सरकारी विभाग में नौकरी भी उन्होंने ही दिलवायी थी। इस तरह जीवन मे। महत्वपूर्ण योगदान करने वाले व्यक्ति से प्रभावित होना स्वाभाविक था। यशोधर बाबू तो पूरी तरह किशनदा से प्रभावित हो गये। उन्होंने अपने सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में किशनदा की बातों को उतारना शुरू कर दिया था। ऑफिस में कामकाज, सहयोगियों के साथ संबंध, सुबह सैर करने की आदत. किसी बात को कहकर मुस्कराना, पहनने-ओढ़ने का तरीका, आदर्श संबंधी बातों को दुहराना, किराये के मकान में रहना, रिटायर हो जाने पर गाँव वापस चले जाने की बात आदि सभी पर किशनदा का ही प्रभाव है। कहानी के अंत में जब उनका बड़ा बेटा उन्हें ऊनी गाउन उपहार में देता है. तो यशोधर बाबू को लगता है कि उनके अंग। में किशनदा उतर आया है। इस तरह यह स्पष्ट होता है कि यशोधर बाबू के व्यक्तित्व पर किशनदा का बहुत ज्यादा प्रभाव था।

    Question 5
    CBSEENHN12026730

    किशनदा का बुढ़ापा सुखी क्यों नहीं रहा था?

    Solution

    किशनदा आजीवन अविवाहित रहे थे। नौकरी करते हुए वे सरकारी क्वार्टर में ही रहे। पैसा जोड़कर घर बनवाने की बात उन्होंने कभी नहीं सोची थी। उनके तमाम साथियों ने हौजखास, ग्रीनपार्क, कैलाश कहीं न कहीं जमीन लेकर मकान बनवा लिया था। रिटायर हो जाने व? छह महीने बाद ही उन्हें क्वार्टर खाली कर देना पड़ा। किशनदा बाबू ने अपने जीवन में ढेर सारे लोगों को लाभ पहुँचाया था। कई लोगों ने उनके बल पर जिंदगी शुरू की थी। वे सभी किशनदा को हर तरह से भूल चुक थे। उन्होंने किशनदा को एक बार भी नहीं पूछा था। यशोधर बाबू भी अपने परिवार की मजबूरियों के कारण उन्हें अपने घर में नहीं रख सके। किशनदा कुछ साल किराये पर रहने के बाद अपने गाँव लौट गये। इस तरह वे हर तरह से अकेले पड़ गये। गाँव जाने के साल भर में उनकी मौत हो गयी जबकि उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं हुई थी।

    Question 6
    CBSEENHN12026734

    यशोधर बाबू अपनी संतानों से असंतुष्ट क्यों रहते थे और वे उनसे क्या चाहते थे?

    Solution

    यशोधर बाबू की संतानों की सोच नये जमाने के हिसाब से थी। उनका बड़ा बेटा भूषण साधारण प्रतिभा का होने के बाद भी बहुत ज्यादा वेतन पाता था। वह घर में अपनी बात मनवा लेता था। दूसरा बेटा आई. ए. एस. की परीक्षा में एक बार सफल होने के बाद भी ज्वाइन नहीं करता है। वह इस बारे में अपने पिता से पूछता भी नहीं है। तीसरा बेटा स्कालरशिप लेकर अमेरिका चला गया था। इसी तरह उनकी बेटी शादी के तमाम प्रस्ताव अस्वीकार कर रही थी। वह डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने की धमकी देती थी। उनकी सारी संतानें अपने किसी भी मामले में यशोधर जी से सलाह नहीं लेती थी। घर का सारा काम यशोधर जी को ही करना पड़ता था। उन्हें बड़े बेटे द्वारा अलग एकाउंट खोलना भी कहीं न कहीं खलता था। ऐसा न हो पाने के कारण ही यशोधर बाबू अपनी संतानों से असंतुष्ट रहते थे।

    उनकी चाहत थी कि उनका मन रखने के लिए ही उनके बेटे उनसे सलाह लिया करें। कोई काम करने से पहले उनसे पूछ लिया करें। उनके परिवार और गरीब रिश्तेदारों के प्रति उपेक्षा का भाव न अपनायें। समाज से जुड़ी परंपराओं के प्रति आदर भाव अपनायें।

    Question 7
    CBSEENHN12026743

    ‘आजकल पारिवारिक संबंधों’ में धन अधिक महत्त्वपूर्ण है’- कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    यह सही है कि आजकल पारिवारिक संबंधों में धन अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। लेखक अपनी कहानी के माध्यम से यह दर्शाना चाहता है कि आज का जीवन अर्थ पर आधारित है। आज सबंधों का मानक आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। पारिवारिक संबंध तभी ठीक रहते हैं जब आर्थिक स्थिति बेहतर हो। यशोधर पंत के परिवार की भी यही स्थिति है। परिवार के सदस्य चाहते हैं कि मुखिया किसी भी तरीके से ऊपर की कमाई करें और जीवन को सुखमय बनाए, परंतु यशोधर सिद्धांतवादी थे। उन्होंने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था। सिद्धांतों के कारण उन्होंने अपने कोटे का फ्लैट भी नहीं लिया। इन सभी बातों से उनके बच्चे सदा खिन्न रहते थे। उनका बड़ा बेटा विज्ञापन कंपनी में काम करना था तथा पंद्रह-सौ का मासिक वेतन पाता था। उन दोनों के बीच गहरा वैचारिक अंतर था। पैसे के कारण ही परिवार में तनाव रहता था।

    Question 8
    CBSEENHN12026744

    ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के कथ्य का विश्लेषण कीजिए।

    Solution

    ‘सिल्वर वैडिंग’ एक लंबी कहानी है। यह कहानी अपने शिल्प में जोशी जी के चिर-परिचित भाषिक अंदाज और मुहावरों से युक्त है। आधुनिकता की और बढ़ता हमारा समाज एक ओर नई उपलब्धियों को समेटे हुए है तो दूसरी ओर मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने वाले मूल्य घिसते चले जा रहे हैं। ‘जो हुआ होगा’, और ‘समहाउ इंप्रापर’- ये दो जुमले इस कहानी के बीज वाक्य हैं। ‘जो हुआ होगा’ में यथास्थिति को स्वीकार कर लेने का भाव है तो ‘समहाऊ ईशापर’ में अनिर्णय की स्थिति है। ये दोनों ही भाव यशोधर बाबू के भीतर के द्वंद्व हैं। ये दोनों ही स्थितियाँ यथावत् स्वीकार कर लेने से बदलाव असंभव हो जाता है। यशोधर बाबू इन स्थितियों के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराते। यशोधर बाबू जहाँ बच्चों की नरक्की से खुश होते हैं वहीं ‘समहाऊ इंप्रापर’ भी अनुभव करते हैं। वे ये अनुभव करते हैं कि यह कैसी खुशहाली जो अपनों में परायापन पैदा करे। उनका यह द्वंद्व अंत तक बना रहता हे।

    Question 9
    CBSEENHN12026745

    चड्ढा यशोधर बाबू से क्या दुर्व्यवहार करता है?

    Solution

    चड्ढा सीधा सहायक ग्रेड में आया था। वह नवयुवक था। वह उम्र का लिहाज नहीं करता था। वह यशोधर बाबू के साथ धृष्टता कर जाता था। कभी वह उनकी घड़ी को चूहेदानी कहता तो कभी उनकी कलाई पकड़ लेता था। उसे इस बात का कोई अनुमान नहीं रहता था कि उसकी और यशोधर बाबू की आयु में बहुत अंतर है। उसे अपना हर व्यवहार सही प्रतीत होता था। वह यशोधर बाबू की सिल्वर वैडिंग के नाम पर तीस रुपए झटक लेता है ताकि सेक्शन के लोगों के लिए चाय-पानी का प्रबंध किया जा सके।

    Question 10
    CBSEENHN12026748

    यशोधर के स्वभाव कों सिल्वर वैडिंग’ पाठ के आधार पर बताइए।

    अथवा

    सिल्वर वैडिंग कहानी के आधार पर यशोधर बाबू के स्वभाव की किन्हीं तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    (i) समय के साथ न ढलने वाले: यशोधर बाबू समय के साथ नहीं ढल पाए। उनकी चाल वही पुरानी बनी रही। वे न तो स्वयं नए ढंग के चाल-चलन अपना पाए, न बच्चों को अपनाने दिए। वे सेक्शन अफसर होते हुए भी साइकिल से दफ्तर जाते थे।

    (ii)रूढ़िवादी: यशोधर बाबू रूढ़िवादी थे। उन्हें पुरानी बातें, पुरानी परंपराएँ, पुराने रीति-रिवाज अच्छे लगते थे। वे संयुक्त परिवार प्रथा में विश्वास रखते थे। उन्हें पत्नी का सजना-सँवरना कतई नहीं भाता था। वे प्रतिदिन लक्ष्मीनारायण मंदिर जाते थे।

    (ii) भाैतिक सुख के विरोधी: यशोधर बाबू को भौतिक सुखों की कतई इच्छा नहीं रहती, बल्कि वे तो इनके विरोधी हैं। उन्हें अपने घर में पार्टी का होना अच्छा नहीं लगता। वे स्वयं या तो पैदल चलते है या साइकिल पर। उन्हें केक काटना बचकानी बात लगती है। उनकी वेशभूषा भी अत्यंत साधारण किस्म की होती है।?

    Question 11
    CBSEENHN12026752

    यशोधर बाबू समय के साथ चल सकने में असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?

    अथवा

    ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी के आधार पर बताइए कि यशोधर बाबू समय के अनुसार क्यों नहीं चल सके।

    Solution

    यशोधर बाबू के व्यक्तित्व का विकास किशनदा जैसे व्यक्ति के पूर्ण प्रभाव में हुआ है। यशोधर बाबू के चलने, बोलने, सोचने आदि सब कुछ पर किशनदा का कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य है। किशनदा बहुत हद तक सामाजिक जीवन से जुड़े व्यक्ति थे। उनके क्वार्टर में कई लोग रहा करते थे। उन सबके प्रति किशनदा का स्नेह और प्रेम था। यशोधर बाबू को भी उनका स्नेह और प्रेम प्राप्त हुआ था। उन्होंने ही यशोधर बाबू को नौकरी दिलवायी थी। उनके सोचने-समझने की विशेषता विकसित की थी। किशनदा जीवनभर अपने सिद्धांत पर अडिग रहे। उन्होंने शादी नहीं की थी, इसलिए वे अपने अधिकांश सिद्धांतों का पालन कर सके। यशोधर बाबू के साथ ऐसा नहीं था। उनके चार संतानें थीं, तीन बेटे, एक बेटी और उनकी माँ के सोचने का ढंग नये जमाने के हिसाब से था जबकि यशोधर पंत जी अपने संयुक्त परिवार के दिनों एवं पुराने समय की यादों से घिरे रहना पसंद करते थे। उन्होंने सरकारी क्वार्टर भी इसी कारण नहीं छोड़ा। वह शादी में मिली घड़ी का इस्तेमाल पच्चीस साल बीत जाने के बाद भी करते हैं।

    यशोधर बाबू के सोचने का ढंग अपना होता है। उनकी सोच पुरानी पीढ़ी की सोच के हिसाब से होती है। इसी कारण वे समय के हिसाब से ढल पाने में असफल होते हैं।

    Question 12
    CBSEENHN12026758

    ‘सिल्वर वैडिंग’ के कथानायक यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्ति हैं और नई पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उचित है’ -इस कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए। 

    Solution

    ‘सिल्वर वैडिंग’ के कथानायक यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्ति हैं। यशोधर पंत गृह मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर हैं। वह पहाड़ से दिल्ली आये थे। दिल्ली आने के समय उनकी उम्र बहुत कम थी। कृष्णानंद (किशनदा) पांडे के घर पर रहे थे। वहाँ रहते हुए उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ। इस विकास में सबसे अधिक प्रभाव किशनदा का था। वह एक कंजूस व्यक्ति भी थे। आफिस में जलपान के लिए तीस रुपये निकाल पाना आफिस वालों के लिए बहुत कठिन था। यशोधर बाबू अपने पद के हिसाब से व्यवहार करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने यह गुण भी किशनदा से सीखा था। उम्र बढ़ने के साथ यशोधर जी धार्मिकता के रंग में रंगते जा रहे थे। उनकी दिनचर्या मंदिर जाने के बाद ही समाप्त होती थी। इसी तरह घर में भी पूजा पाठ करतै थे। यशोधर बाबू एक सामाजिक व्यक्ति थे। अपनी नौकरी शुरू करने के साथ उन्होंने सयुंक्त परिवार अपने साथ रखा था। इसी प्रकार सालों साल तक अपने घर में कुमाऊँनी परंपरा से संबंधित आयोजन भी किया करते थे। उनकी चाहत थी कि उन्हें समाज का सम्मानित व्यक्ति समझा जाए।

    यशोधर जी एक असंतुष्ट पिता भी थे। अपनी संतानों के साथ उनका संबंध सामान्य नहीं था। अपने पारिवारिक माहौल से बचने के लिए ही वे जान-बूझकर अधिक समय तक घर से बाहर रहने की कोशिश करते थे। उन्हें अपने बेटों का व्यवहार पसंद नहीं है। बेटी के पहनने-ओढ़ने को वह सही मानते हैं। उनके बेटे किसी भी मामले में उनसे किसी तरह की राय नहीं लेते हैं। यशोधर बाबू को यही बात बुरी लगती है।

    यशोधर बाबू परंपरावादी व्यक्ति हैं। उन्हें सामाजिक रिश्तों को निबाहने में आनंद आता है। अपनी बहन को नियमित तौर पर पैसा भेजते हैं। बीमार जीजा को देखने जाने के बारे में सोचते हैं। आधुनिकता के विरोधी होने के बाद भी उन्हें अपने बेटों की प्रगति अच्छी लगती है। गैस चूल्हा खरीदे जाने पर, फ्रिज खरीदे जाने पर लड़के की नौकरी आदि लगने पर उनके चेहरे पर चमक आ जाती है।

    नई पीढ़ी को उनके आदर्शों को अपनाना तो चाहिए पर उसमें समयानुकूल परिवर्तन आवश्यक है। पुरानी बातो को उसी रूप में अपनाना व्यावहारिक नहीं होगा।

    Question 13
    CBSEENHN12026759

    “सिल्वरवेडिंग” कहानी के आधार पर पीढ़ियों के अंतराल के कारणों पर प्रकाश डालिए। क्या इस अंतराल को कुछ पाटा जा सकता है? कैसे? स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी में दो पीढ़ियों के अंतराल को दर्शाया गया है। पुरानीपीढ़ी का प्रतिनिधित्व यशोधर पंत करते हैं तो उनकी संतान नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है।

    यशोधर पंत पुरानी नीतियों-परंपराओं से जीवन भर चिपटे रहते हैं। वे नए विचारों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। उनके बेटे-बेटी नवीनता के पक्षधर हैं। पत्नी उनके बीच की स्थिति की है। वह स्वयं की थोड़ा-थोड़ा बदल लेती है।

    कहानी की मूल संवेदना पीढी के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। बाकी दोनों मत भी इस कहानी में मिलते हैं, किन्तु वे मूल संवेदना के रूप में विकसित नहीं होते हैं। कहानी के मुख्य पात्र अर्थात् यशोधर जी स्वयं पीढ़ी अंतराल की बात स्वीकार करते हैं। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि दुनियादारी के मामले में उनकी सन्तानें अच्छा सोचती हैं। यशोधर जी अपनी पीढ़ी के आदशों और मूल्यों से बहुत ज्यादा जुड़े है। आफिस के कर्मचारियों के साथ उनके संबंध भी इसी मानसिकता के साथ बने हैं। चड्ढा की चौड़ी मोहरी वाली पैंट भी उन्हें इसीलिए ‘समहाउ इम्प्रापर’ लगती है। ‘समहाउ इम्प्रापर’ वाक्यांश से कहानीकार ने इस पीढ़ी अंतराल को प्रतीकात्मक ढंग से व्यक्त किया है। उनके बेटों और बेटी के रहन-सहन नये जमाने के हिसाब से हैं। उनका सोचना भी नये सामाजिक मूल्यों पर विकसित हुए हैं। यशोधर जी जिन सामाजिक मूल्यों को बचाकर रखना चाहते हैं, उन सामाजिक मूल्यों का नयी पीढ़ी के लिए कोई महत्त्व नहीं है। इसी तरह नये ढंग के कपड़े पहनना भी नई पीढ़ी की विशेषता है। इस तरह यह कहानी पूरी तरह पीढ़ी अंतराल की कहानी कहती है।

    हाँ, इस अंतराल को पाटा तो जा सकता है, पूरी तरह से नहीं। पुरानी पीढ़ी को समयानुकूल बदलना होगा तथा नई पीढ़ी को अंधानुकरण की प्रवृत्ति से बचना होगा। दोनों को मध्यमार्ग अपनाना होगा।

    Question 14
    CBSEENHN12026760

    यशोधर बाबू के व्यक्तित्व तीन विशेषताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।

    Solution

    यशोधर पंत गृह मंत्रालय में सेआन सेक्शनर हैं। वह पहाड़ से दिल्ली आये थे। दिल्ली आने के समय उनकी उम्र बहुत कम थी। कृष्णानंद (किशनदा) पांडे के घर पर रहे थे। वहाँ रहते हुए उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ। इस विकास में सबसे अधिक प्रभाव किशनदा का था। वह एक कंजूस व्यक्ति थे।यशोधर बाबू अपने पद के हिसाब से व्यवहार करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने यह गुण भी किशनदा से सीखा था। उस बढ़ने के साथ यशोधर जी धार्मिकता के रंग में रंगते जा रहे थे। उनकी दिनचर्या मंदिर जाने के बाद ही समाप्त होती थी। इसी तरह घर में भी पूजा-पाट करते थे। यशोधर बाबू एक सामाजिक व्यक्ति थे। अपनी नौकरी शुरू करने के साथ उन्होंने संयुक्त परिवार अपने साथ रखा था। इसी प्रकार सालों साल तक अपने घर में कुमाऊँनी परंपरा से संबंधित आयोजन भी किया करते थे। उनकी चाहत थी कि उन्हें समाज का सम्मानित व्यक्ति समझा जाए।

    Question 15
    CBSEENHN12026761

    ‘सिल्वर वैडिंग’ में यशोधर बाबू एक ओर जहाँ बच्चों की तरक्की से खुश होते हैं, वहीं कुछ ‘समहाउ इंप्रॉपर’ भी अनुभव करते हैं। ऐसा क्यों?

    Solution

    यशोधर बाबू को पुत्र-पुत्रियों का तरक्की करना और आधुनिक जीवन-शैली को अपनाना बुरा नहीं लगता। वे बच्चों की तरक्की से खुश होते हैं। क्योंकि बच्चे प्रगति करके उनका नाम रोशन कर रहे हैं। इसके बावजूद वे कुछ ‘समहाउ इंप्रॉपर’ भी अनुभव करते हैं। जो बात उन्हें भारतीय परंपरा के अनुरूप नहीं लगती उसे वह ‘समहाउ इंप्रॉपर’ कहते हैं। बच्चों के मन में पिता के प्रति उपेक्षा और तिरस्कार का भाव है। बच्चों की कार्यप्रणाली को इंप्रॉपर कहते हैं। बच्चों की वेशभूषा उन्हें ‘समहाउ इंप्रॉपर’ लगती है। बेटी द्वारा शादी का स्वयं निर्णय लेने को वह इंप्रॉपर कहते हैं। असल में वह नवीनता और पुरातनता के बीच झूलते रहते हैं।

    Question 16
    CBSEENHN12026762

    अपने निवास के निकट पहुँचकर वाई.डी. पंत को क्यों लगा कि वे किसी गलत जगह पर आ गए हैं? पूरे आयोजन में उनकी मनःस्थिति पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    वाई.डी. पंत अर्थात् यशोधर पंत दफ्तर से छुट्टी करके इधर-उधर होकर जब अपने क्वार्टर के पास पहुँचते हैं तब उन्हें लगता है कि संभवत: वह किसी गलत स्थान पर आ गए हैं। कारण यह था कि क्वार्टर के बाहर एक कार खड़ी थी, कुछ स्कूटर, मोटर साइकिलें भी थीं। कुछ लोग विदा लेकर जा रहे थे। बाहर बरामदे में रंगीन कागजों की झालरें और गुब्बारे लटके थे। वहाँ रंग-बिरंगी रोशनियाँ जली हुई थीं। ऐसा तो पहले कभी नहीं होता था। बात यह थी आज उनके क्वार्टर में सिल्वर वैडिंग की पार्टी चल रही थी। इसका पता यशोधर पंत को नहीं था। यशोधर बाबू की पत्नी और बेअी विशेष वेशभूषा पहने मेमसाबों को विदा कर रही थीं। यशोधर बाबू की मन:स्थिति अजीब तरह की हो गई। इस पूरे आयोजन को वे समहाउइप्रांपर कहते हैं। यशोधर बाबू को केक काटना भी बचकानी बात मालूम हुई। उन्होंने अपनी मन:स्थिति पर काबू पाने के लिए पूजा ज्यादा देर तक की।

    Question 17
    CBSEENHN12026763

    ‘सिलवर वैडिंग’ के आधार पर सेक्शन आफिसर वाईडी. पंत और उनके सहयोगी कर्मचारियों के परस्पर संबंधों पर टिप्पणी कीजिए।

    Solution

    यशोधर बाबू होम मिनिस्टरी में सेफ्सेक्शनसर थे। अपने आफिस में उनका व्यवहार बहुत कुछ किशनदा की तरह ही होता था। वह आफिस के काम को पूरा करने के लिए पाँच बजे के बाद भी रुक जाया करते हैं। उन्हें मालूम है कि अफिस में उनका व्यवहार शुष्क है। आफिस -से निकलते वक्त किसी न किसी मनोरंजक बात से माहौल को सहज बनाने का प्रयास करते हैं यह बात भी उन्होंने किशनदा से सीखी थी। आफिस के लोगों से ज्यादा घुलना मिलना जरूरी नहीं समझते थे। मातहत लोगों से चलते-चलाते हँसी-मजाक कर लेना किशनदा की परंपरा वे समझते है। उनके साथ बैठकर चाय-पानी और गप्प-गप्पाष्टक में वक्त बर्बाद करना उस परंपरा के विरुद्ध है। इसीलिए वे जलपान के लिए नहीं रुकते है।

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    Question 18
    CBSEENHN12026764

    ‘सिल्वर वेडिंग’ के आधार पर यशोधर बाबू के सामने आई किन्हीं दो ‘समहाऊ इंग्रेसपर’ स्थितियों का उल्लेख कीजिए।

    Solution

    यशोधर बाबू का व्यक्तित्व नये जमाने के साथ तालमेल न बिठा पाने वाला है। वह अधिकांश नये बदलावों से असंतुष्ट होते हैं। वह हर चीज का मूल्यांकन अपनी सोच के आधार पर करते हैं।

    कहानी का कथ्य भी समाज के उस व्यक्तित्व को उभारता है, जो पुराने मूल्यों एवं आदर्शों से जुड़ा हुआ है। कहानीकार ने यशोधर बाबू के बेटे, बेटी और उनकी पत्नी के माध्यम से नये जमाने की सोच को दर्शाया भी है। आफिस कै सहयोगियों के माध्यम से नयी सोच का पता चलता है। इन सारी स्थितियों में यशोधर बाबू जिन घटनाओं या बातों से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं या जिन बातों को सहज ढंग से स्वीकार नहीं कर पाते हैं, उन्हें वे ‘समहाउ इंप्रापर’ कहकर अभिव्यक्त करते हैं। इस तरह की इतनी अधिक स्थितियाँ उनके सामने आती हैं कि यह वाक्यांश उनका जुमला बन जाता है। राह वाक्यांश उनके असंतुलन एवं असहज व्यक्तित्व को अर्थ प्रदान करता है।

    कहानी के अंत में यशोधर जी के व्यक्तित्व की सारी विशेषता उभरती है। नये जमाने और पुरानी पीढ़ी के बीच का अंतर स्पष्ट होता है। इस तरह इस वाक्यांश से हमें यह भी पता चलता है कि नये जमाने के हिसाब से यशोधर जी स्वयं ‘समहाउ इंप्रापर’ हो गये हैं। कहानी का मूल कथ्य भी नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच के इसी अंतर को स्पष्ट करता है।

    Question 19
    CBSEENHN12026765

    ‘सिल्वर वेडिंग’ में उपहारस्वरूप मिले देसिड्रेसिंगन को पहनते हुए यशोधर पंत की ‘आँखों की कोर में जरा सी नमी चमक आई।’ इसका कारण आप क्या मानते हैं?

    Solution

    यशोधर पंत को ‘सिल्वर वेडिंग’ में उपहार स्वरूप उनका बेटा भूषण ड्रेसिंग गावन लेकर आया था। यह ऊनी ड्रेसिंग गावन था। बेटे ने कहा अब आप सवेरे दूध लेने जाते समय इसे पहनकर जाया करें। गाउन को पहनते हुए यशोधर पंत की ओखोंआँखोंकोर में जरा सी नमी की चमक आ गई। इसका कारण यह था कि गाउन पहनना उन्हें भी अच्छा लगा था। बेटी के आग्रह पर उन्होंने गाउन पहन लिया था।

    Question 20
    CBSEENHN12026766

    अपने घर में अपनी ‘सिल्वर वैडिंग’ के आयोजन में भी यशोधर बाबू को अनेक बातें ‘समहाउ इंप्रापर’ लग रही थीं। ऐसा क्यो?

    Solution

    अपने घर में सिल्वर वैडिंग के आयोग मैं भी यशोधर बाबू को अनेक बातें ‘समहाउ इंप्रापर’ लग रही थीं। इसका कारण यह था कि वे पुराने संस्कारों वाले थे। उन्हें विलायती ढंग से केक काटना पसंद न था। इसके अतिरिक्त उन्हें इस आयोजन के लिए पूछा तक नहीं गया था। वे नए व पुराने के बीच संतुलन नहीं रख या रहे थे।

    Question 21
    CBSEENHN12026767

    यशोधर बाबू अपने रोल मॉडेल किशन दा से क्यों प्रभावित हैं? ‘सिल्वर वेडिंग’ के आधार पर लिखिए।

    Solution

    कहानी के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा के पूर्ण प्रभाव में विकसित हुआ है। यशोधर बाबू का व्यक्तित्व उन्हों की प्रतिच्छाया है। यशोधर बाबू बहुत कम उस में पहाड़ से दिल्ली आ गये थे। किशनदा जैसे दयालु एवं सामाजिक व्यक्ति ने यशोधर जैसे कई लोगों को अपने घर में आसरा दिया था। यशोधर बाबू को सरकारी विभाग में नौकरी भी उन्होंने ही दिलवायी थी। इस तरह जीवन में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले व्यक्ति से प्रभावित होना स्वाभाविक था। यशोधर बाबू तो पूरी तरह किशनदा से प्रभावित हो गए। उन्होंने अपने सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में किशनदा की बातों को उतारना शुरू कर दिया था। आफिस में कामकाज, सहयोगियों के साथ संबंध, सुबह सैर करने की आदत, किसी बात को कहकर मुस्कराना, पहनने-ओढ़ने का तरीका, आदर्श संबंधी बातों को दुहराना, किराये के मकान में रहना, रिटायर हो जाने पर गाँव वापस चले जाने की बात आदि सभी पर किशनदा का ही प्रभाव है। कहानी के अंत में जब उनका बड़ा बेटा उन्हें ऊनी गाउन उपहार में देता है, तो यशोधर बाबू को लगता है कि उनके अंगों में किशनदा उतर आया है। इस तरह यह स्पष्ट होता है कि यशोधर बाबू के व्यक्तित्व पर किशनदा का बहुत ज्यादा प्रभाव था।

    Question 22
    CBSEENHN12026768

    ‘सिल्वर वैडिंग’ पाठ के यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं। इस विषय के पक्ष या विपक्ष में दो तर्क दीजिए।

    Solution

    यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं। नई पीढ़ी उन्हें स्वीकार नहीं करती। लेखक कहता है कि दो पीढ़ियों में सदैव अंतर रहता है। उनमें वैचारिक भिन्नता रहती है। युवा पीढ़ी पुराने विचारों को निरर्थक तथा दकियानूसी मानती है। वे इसे मात्र परंपरा मानते हैं। वे पुराने विचारों का अनुसरण नहीं करना चाहते। उन्हें ये व्यक्ति बेहद बुरे लगते हैं जो पुराने विचारों को मानते हैं तथा उनका अनुसरण करने को कहते हैं। वैचारिक भिन्नता ने मध्यवर्ग को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है। यह वर्ग संयुक्त परिवार प्रथा को त्याग चुका है। यशोधर पंत का जीवन इसी विषमता के कारण प्रभावित हुआ है। वे पुराने विचारों को नहीं छोड़ सकते और परिवार उनके विचारों को अपनाना नहीं चाहता। सिद्धांत और व्यवहार की लड़ाई में यशोधर बाबू अकेले पड़ जाते हैं।

    Question 23
    CBSEENHN12026769

    क्या पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव को ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी की मूल संवेदना कहा जा सकता है? तर्क-सहित उत्तर दीजिए।

    Solution

    हमारे हिसाब से कहानी की मूल संवेदना पीढ़ी के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। बाकी दोनों मत भी इस कहानी में मिलते हैं, किंतु वे मूल संवेदना के रूप में विकसित नहीं होते हैं। कहानी के मुख्य पात्र अर्थात् यशोधर जी स्वयं पीढ़ी अंतराल की बात स्वीकार करते हैं। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि दुनियादारी के मामले में उनकी संतानें अच्छा सोचती हैं। यशोधर जी अपनी पीढ़ी के आदर्शों और मूल्यों से बहुत ज्यादा जुड़े हैं। आफिस के कर्मचारियों के साथ उनके संबंध भी इसी मानसिकता के साथ बने हैं। चड्ढा की चौड़ी मोहरी वाली पैट भी उन्हें इसीलिए ‘समहाउ इम्प्रास’ लगती है। ‘समहाउ इम्प्रापर’ वाक्यांश से कहानीकार ने इस पीढ़ी अंतराल को प्रतीकात्मक ढंग से व्यक्त किया है। उनके बेटों और बेटी के रहन-सहन नये जमाने के हिसाब से हैं। यशोधर जी जिन सामाजिक मूल्यों को बचाकर रखना चाहते हैं, उन सामाजिक मूल्यों का नयी पीढ़ी के लिए कोई महत्त्व नहीं है। इसी तरह नये ढंग के कपड़े पहनना भी नयी पीढ़ी की विशेषता है। इस तरह यह कहानी पूरी तरह पीढ़ी अंतराल की कहानी कहती है।

    Question 24
    CBSEENHN12026770

    ‘सिल्वर वैडिंग’ पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ बल सकने में सफल होती है।

    Solution

    यशोधर बाबू पुराने विचारों के थे तथा उनका स्वभाव अड़ियल किस्म का था। उनकी पत्नी समय के साथ ढलने में सफल रहती है। उनकी पत्नी के व्यक्तित्व का विकास किसी व्यक्ति विशेष के प्रभाव से नहीं हुआ है। जिस संयुक्त परिवार को यशोधर बाबू बहुत याद करते उसी संयुक्त परिवार के दु:खद अनुभव उनकी पत्नी को अभी तक याद हैं। लेखक स्वयं कहता है कि मातृ सुलभ प्रेम के कारण वह अपनी संतानों का पक्ष लेती है। इस तरह वह नये जमाने के साथ ढल सकने में सफल होती है। वह बेटी के कहने के हिसाब से कपड़े पहनती है। अपने बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती है।

    Question 25
    CBSEENHN12026771

    ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी का प्रमुख पात्र बार-बार किशन दा को क्यों याद करता है? इसे आप उसका सामर्थ्य मानते हैं या कमजोरी? क्यों?

    Solution

    ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी का प्रमुख पात्र यशोधर बाबू किशन दा को बार-बार याद करते हैं। इसका कारण यह है कि यशोधर बाबू का पूरा व्यक्तित्व किशन दा के प्रभाव में ही विकसित हुआ है। यशोधर बाबू उनके व्यक्तित्व की ही प्रतिच्छाया हैं। हम इसे उनकी सामर्थ्य न मानकर उनकी कमजोरी मानते हैं। वे जीवन भर अपना कोई महत्त्व स्थापित नहीं कर पाते। वे किशनदा के रूप में ही जीकर अपनी कमजोरी को प्रकट करते हैं। यही कारण है कि वे जीवन के हर दौर में मिसफिट रहते हैं। जीवन का अंतिम दौर तो और भी खराब रहा। किसी व्यक्ति का प्रभाव ग्रहण करना बुरी बात नहीं है, पर पूरी तरह उसी मैं रम जाना और अपना स्वत्व मिटा देना ठीक नहीं है। इसे कमजोरी ही कहा जाएगा। यशोधर बाबू को अपनी समझ से काम लेना चाहिए था तथा अपनी सामर्थ्य पर भरोसा रखना चाहिए था।

    Question 26
    CBSEENHN12026772

    ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी की मूल संवेदना दो पीढ़ियों के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी के आदर्शो और मूल्यों से जुड़े हैं जबकि उनके बेटे नई पीढ़ी के अनुसार जीने मैं विश्वास रखते हैं। लेखक ने इस कहानी में दोनों पीढ़ियों के अंतर को कुशलतापूर्वक अभिव्यक्त किया है। यशोधर बाबू की पत्नी स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल ढाल लेती है अत: वह जीवन में मरुत रहती है। कहानीकार ने इस पीढ़ी अंतराल को प्रतीकात्मक ढंग-से व्यक्त किया है। उनके बेटों और बेटी के रहन-सहन नये जमाने के हिसाब से हैं। उनका सोचना भी नये सामाजिक मूल्यों पर विकसित हुआ है। यशोधर जी जिन सामाजिक मूल्यों को बचाकर रखना चाहते हैं, उन सामाजिक मूल्यों का नयी पीढ़ी के लिए कोई महत्त्व नहीं है। इसी तरह नये ढंग के कपड़े पहनना भी नयी पीढ़ी की विशेषता है। इस तरह यह कहानी पूरी तरह पीढ़ी अंतराल की कहानी कहती है।

    Question 27
    CBSEENHN12026773

    क्या ‘पीढ़ी के अंतराल’ को ‘सिल्वर वैडिंग, कहानी की मूल संवेदना कहा जा सकता है? तर्क-सहित उत्तर दीजिए।

    Solution

    हॉं, पीढ़ी के अंतराल को ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी की मूल संवेदना कहा जा सकता है। कहानी की मूल संवेदना का उद्देश्य पीढ़ी के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। बाकी दोनों मत भी इस कहानी में मिलते हैं, किंतु वे मूल संवेदना के रूप में विकसित नहीं होते हैं। कहानी के मुख्य पात्र अर्थात् यशोधर जी स्वयं पीढ़ी अंतराल की बात स्वीकार करते हैं। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि दुनियादारी के मामले में उनकी संतानें अच्छा सोचती हैं। यशोधर जी अपनी पीढ़ी के आदर्शों और मूल्यों से बहुत ज्यादा जुड़े हैं। आफिस के कर्मचारियों के साथ उनके संबंध भी इसी मानसिकता के साथ बने हैं। चड्ढा की चौड़ी मोहरी वाली पैंट भी उन्हें इसीलिए ‘समहाउ इम्प्रापर’ लगती है। ‘समहाउ इम्प्रापर’ वाक्यांश से कहानीकार ने इस पीढ़ी अंतराल को प्रतीकात्मक ढंग से व्यक्त किया है। उनके बेटों और बेटी के रहन-सहन नये जमाने के हिसाब से हैं। यशोधर जी जिन सामाजिक मूल्यों को बचाकर रखना चाहते हैं, उन सामाजिक मूल्यों का नयी पीढ़ी के लिए कोई महत्व नहीं है। इसी तरह नये ढंग के कपड़े पहनना भी नयी पीढ़ी की विशेषता है। इस तरह यह कहानी पूरी तरह पीढ़ी अंतराल की कहानी कहती है।

    Question 28
    CBSEENHN12026774

    ऐसी दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जो सेक्शन आफिसर वाई. डी. पंत को अपने रोल मॉडेल किशनदा से उत्तराधिकार में मिली थीं।

    Solution

    ऐसी दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं - (i) सुबह उठकर सैर करने की आदत, (ii) घर में होली गवाने रामलीला की तैयारी के लिए कमरा देने की आदत।

    Question 29
    CBSEENHN12026775

    सिल्वर वैडिंग में यशोधर बाबू किशनदा के आदर्श को त्याग क्यों नहीं पाते?

    Solution

    यशोधर बाबू किशनदा के व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित रहे। वे उन्हें अपना आदर्श मानते थे। यशोधर बाबू ने किशनदा को घर और दफ्तर में विभिन्न रूपों में देखा था। वे जीवनभर उनके आदर्श को नहीं त्याग पाते।

    Question 30
    CBSEENHN12026776

    सेक्शन ऑफिसर यशोधर पन्त अपने कार्यालय के सहयोगियों के साथ संबंध निर्वाह में किन बातों में अपने रोल मॉडल किशन दा की परंपरा का निर्वाह करते हैं?

    Solution

    यशोधर पन्त सेक्श ऑफिसर थे। उनके रोल मॉडल किशन दा थे। वे दफ्तर में उन्हीं की परंपरा का निर्वाह करते थे। यशोधर पंत का दफ्तर में व्यवहार बहुत कुछ किशनदा की तरह का होता था। आफिस से निकलते वश किसी न किसी मनोरंजक बात से वे दफ्तर के माहौल को सहज बनाने का प्रयास करते थे। यह बात उन्होंने किशन दा से सीखी थी। सहयोगियों से हँसी मजाक कर लेना किशन दा की परंपरा को भली प्रकार समझते थे।

    Question 31
    CBSEENHN12026777

    ‘सिल्वर वैडिंग’ में एक ओर स्थिति को ज्यों-का-त्यों स्वीकार लेने का भाव है तो दूसरी ओर अनिर्णय की स्थिति भी। कहानी के इस द्वंद्व को स्पष्ट कीजिए।?

    Solution

    ‘सिल्वर वेडिंग’ में एक ओर स्थिति को ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लेने का भाव है तो दूसरी ओर अनिर्णय की स्थिति भी है। इस कहानी में यशोधर पंत परिस्थितियों के साथ समझौता करना नहीं जानते पर उनकी संतान समय के साथ चलते हैं। यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों से किसी भी तरह आधुनिक नहीं है तथापि बच्चों की तरफतरफदारी मातृ सुलभ मजबूरी ने उन्हें मॉडल बना दिया है।

    यशोधर बाबू सदैव अनिर्णय की स्थिति में रहते है। वे किसी भी नए परिवर्तन को सहज रूप से स्वीकार नहीं कर पाते। यही कारण है कि वे बार-बार ‘समहाउ इंप्रॉपर’ कहते रहते हैं। वैसे कभी-कभी यशोधर बाबू यह स्वीकार करते हें कि उनमें कुछ परिवर्तन हुआ है, पर पत्नी का बदलाव उन्हें रास नहीं आता। कहानी में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी का द्वंद्व आरंभ से अंत तक चलता रहता है। यशोधर बाबू का यह द्वंद्व दफ्तर में भी है और घर में भी।

    Question 32
    CBSEHIHN12026916

    यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है, लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?

    Solution

    यशोधर बाबू के व्यक्तित्व का विकास किशनदा जैसे व्यक्ति के पूर्ण प्रभाव में हुआ है। यशोधर बाबू के चलने बोलने सोचने आदि सब कुछ पर किशनदा का कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य है। किशनदा बहुत हद तक सामाजिक जीवन से जुड़े व्यक्ति थे। उनके क्वार्टर में कई लोग रहा करते थे। उन सबके प्रति किशनदा का स्नेह और प्रेम था। यशोधर बाबू को भी उनका स्नेह और प्रेम प्राप्त हुआ था। उन्होंने ही यशोधर जी को नौकरी दिलवायी थी। उनके सोचने समझने की विशेषता विकसित की थी। किशनदा जीवनभर अपने सिद्धान्तो पर अडिग रहे। उन्होंने शादी नहीं की थी इसलिए वे अपने अधिकांश सिद्धान्तों का पालन कर सके। यशोधर बाबू के साथ ऐसा नहीं था। उनके चार संतानें थीं। तीन बेटे एक बेटी और उनकी माँ के सोचने का ढंग नये जमाने के हिसाब से था जबकि यशोधर पंत जी अपने संयुक्त परिवार के दिनो एवं पुराने समय की यादों से घिरे रहना पसंद करते थे। उन्होंने सरकारी क्वार्टर भी इसी कारण नहीं छोड़ा है। वह शादी में मिली घड़ी का इस्तेमाल पच्चीस साल बीत जाने के बाद भी करते हैं,

    इस सबके ठीक विपरीत उनकी पत्नी के व्यक्तित्व का विकास किसी व्यक्ति विशेष’ के प्रभाव से नहीं हुआ है। जिस संयुक्त परिवार को यशोधर बाबू बहुत याद करते उसी संयुक्त परिवार के दु:खद अनुभव उनकी पत्नी को अभी तक याद हैं। लेखक स्वयं कहता है कि मातृ सुलभ प्रेम के कारण वह अपनी संतानो का पक्ष लेती है। इस तरह वह नये जमाने के साथ ढल सकने में सफल होती है। वह बेटी के कहने के हिसाब से कपड़े पहनती है। अपने बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती हैं। जबकि यशोधर बाबू के सोचने का ढंग अपना होता है। उनकी सोच पुरानी पीढ़ी की सोच के हिसाब से होती है। इसी कारण वे समय के हिसाब से ढल पाने में असफल होते हैं।

    Question 33
    CBSEHIHN12026917

    पाठ में ‘जो हुआ होगा’ वाक्य की कितनी अर्थ छवियाँ आप खोज सकते/सकती हैं?

    Solution

    किशनदा पुरानी पीढ़ी के प्रतिनिधि पात्र हैं। उनका जीवन उस पीढी से संबंधित मूल्यों एवं सिद्धांतों का प्रतीक है। किशनदा भी बदलते समय के साथ बदल नहीं पाये थे। उन्होंने शहर में अपना मकान नहीं बनवाया था। कुछ दिन दिल्ली में रहने के बाद वे अपने गाँव रहने चले गये थे। गाँव में कुछ दिनों के बाद ही वह मर गये। मरने से पहले उन्हें किसी तरह की बीमारी नही हुई थी। यशोधर के पूछने पर यह जवाब मिला कि “जो हुआ होगा” उसी से मर गये। इस वाक्य की अनेक छवियाँ बनती हैं, जो इस प्रकार हो सकती हैं:

    1. पहला अर्थ तो खुद कहानीकार ने स्पष्ट किया है कि “पता नहीं, क्या हुआ।”

    2. दूसरा अर्थ किशनदा की हताशा को अभिव्यक्त करता है। जीवन के अंतिम चरण में अपने पास किसी को न पाकर किशनदा मानसिक रूप से टूट गये होंगे। उनके मन में जीने के प्रति इच्छा खत्म हो गयी होगी। इस तरह धीरे-धीरे वह मृत्यु के करीब पहुँच गये होंगे।

    3. ‘जो हुआ होगा’ वाक्य से किशनदा के प्रति लोगों की मानसिकता भी उभरती है। उनके जैसे व्यक्तित्व का उनके समाज में कोई महत्त्व नहीं था। उनका मर जाना भी कोई बहुत बड़ी घटना के रूप में नहीं लिया गया। यह जानने की कोशिश नहीं हुयी कि बिना बीमारी के किशनदा क्यों मर गये।

    Question 34
    CBSEHIHN12026918

    ‘समहाउ इंप्रापर’ वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?

    Solution

    यशोधर बाबू का व्यक्तित्व नये जमाने के साथ तालमेल न बिठा पाने वाला है। वह अधिकांश नये बदलावों से असंतुष्ट होते हैं। वह हर चीज का मूल्यांकन अपनी सोच के आधार पर करते हैं।

    कहानी का कथ्य भी समाज के उस व्यक्तित्व को उभारता है, जो पुराने मूल्यों एवं आदर्शो से जुड़ा हुआ है। कहानीकार ने यशोधर बाबू के बेटे बेटी और उनकी पत्नी के माध्यम से नये जमाने की सोच को दर्शाया भी है। ऑफिस के सहयोगियों के माध्यम से नयी सोच का पता चलता है। इन सारी स्थितियों में यशोधर बाबू जिन घटनाओं या बातों से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं या जिन बातों को सहज ढंग से स्वीकार नहीं कर पाते हैं, उन्हें वे ‘समहाउ इंप्रापर’ कहकर अभिव्यक्त करते हैं। इस तरह की इतनी अधिक स्थितियाँ उनके सामने आती हैं कि यह वाक्यांश उनका जुमला बन जाता है। यह वाक्यांश उनके असंतुलन एवं असहज व्यक्तित्व को अर्थ प्रदान करता है।

    कहानी के अंत में यशोधर जी के व्यक्तित्व की सारी विशेषता उभरती है। नये जमाने और पुरानी पीढ़ी के बीच का अंतर स्पष्ट होता है। इस तरह इस वाक्याश से हमे यह भी पता चलता है कि नये जमाने के हिसाब से यशोधर जी स्वयं ‘समहाउ इंप्रापर’ हो गय हैं। कहानी का मूल कथ्य भी नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच के इसी अंतर को स्पष्ट करता है।

    Question 35
    CBSEHIHN12026919

    यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा वेंने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?

    Solution

    (नोट: इस प्रश्न का उत्तर छात्र कई तरह से दे सकता है। उसके जीवन में किसी भी व्यक्ति का प्रभाव हो सकता है। यहाँ विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से इसे स्पष्ट किया जा रहा है। हम किसी भी एक उदाहरण को अपना उत्तर मान सकते हैं।)

    1. मेरे जीवन पर मेरी माँ का बहुत प्रभाव है। इस बात कौ मैं बहुत अच्छी तरह अनुभव करता हूँ। वैसे तो मेरी माँ गृहिणी है, लेकिन उनके सोचने-समझने का दायरा बहुत व्यापक है। वह पढ़ी-लिखी भी है। इसलिए उनको मेरी समस्यायें बहुत अच्छी तरह समझ में आती हैं। मैं उनकी तरह सोचने का प्रयास करता हूँ। वह सही गलत का फैसला बहुत अच्छी तरह कर लेती हैं। इसी के साथ वह नयी सोच एवं चीजों के प्रति रुचि से सुनती हैं। उनकी इच्छाशक्ति बहुत दृढ़ है। उनमे सहनशक्ति बहुत प्रबल है। मैं अपनी माँ के इन सारे गुणों को अपने व्यक्तित्व को शामिल होते देखना चाहता हूँ।

    2. मैं अपने व्यक्तित्व के विकास मे अपने पिता का प्रभाव सबसे अधिक पाता हूँ। मेरे पिता मेरे सबसे बड़े आदर्श हैं। वह मुझे दुनिया में सबसे अच्छे लगते हैं। पिता होने के बाद भी वह मेरी बातों को अच्छी तरह समझते हैं। मेरी बातों को ध्यान से सुनकर उसको समझते हैं। उनको पढ़ने का बहुत शौक है। मुझे पढ़ने की आदत उन्हीं से मिली है। उन्होंने एक अच्छी लाइब्रेरी बना रखी है। उन्होंने मुझे हमेशा अच्छी पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। दूसरों की इच्छा का ध्यान रखना मेरे पिता की दूसरी सबसे बड़ी विशेषता है। इस विशेषता को मैंने भी अपनाने का प्रयास किया है। में तो उन्हें इतना पसंद करता हूँ कि मैं उन्हीं की तरह चलने बैठने का प्रयास भी करता हूँ।

    (छात्र इसी प्रकार अन्य लोगों के प्रभाव के बारे में लिख सकते हैं।)

    Question 36
    CBSEHIHN12026920

    वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं?

    Solution

    मैं एक एकल परिवार का सदस्य हूँ। अर्थात् मेरे परिवार में मेरे पिता माँ, बहन और मैं हूँ। मेरे पिता मुझे बताते हैं कि जब वे छोटे थे तो उनके साथ ढेर सारे लोग रहते हैं। उनका परिवार बहुत बड़ा था। एक ही घर में दस-बारह लोग रहा करते थे। मेरे लिए यह कल्पना की बात है। इस कहानी को पढ़कर मुझे अपने पिता की बातें याद आ जाती है। मेरे पिता भी अपने बीतें दिनों को हमेशा याद. करते हैं। उनकी बताई बातों और कहानी में यशोधर बाबू की बातों में काफी समानता है। मेरी मम्मी भी संयुक्त परिवार से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा-चढ़ा कर बताती हैं। मुझे पापा की बातें बहुत ज्यादा आकर्षक नहीं लगती हैं। मुझे लगता है कि मुझे ज्यादा ध्यान अपने कैरियर और जीवन की ओर देना चाहिए। कहानी में यशोधर बाबू के लड़के भी ऐसा करते हैं। मेरे दोस्ती की मानसिकता भी इसी प्रकार की है।

    मेरे पिताजी पहनने-ओढ़ने पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। मुझे उनकी ये बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती है। मैं चाहता हूँ कि वे हमेशा अच्छे कपड़े ही पहने रहें। इस तरह मेरे अधिकांश अनुभव इस कहानी से पूरी तरह सामंजस्य बिठा पाते हैं। मुझे इस कहानी में चित्रित परिवार की संरचना और स्वरूप अच्छी तरह समझ में आ जाते हैं। कहानी पढ़ने का मजा दूना हो जाता है।

    Question 37
    CBSEHIHN12026921

    निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे-कहेंगी और क्यों?

    (क) हाशिए के धकेले जाते मानवीय मूल्य।

    (ख) पीढी का अतंराल।

    (ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव।

    Solution

    हमारे हिसाब से कहानी की मूल संवेदना पीढ़ी के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। बाकी दोनों मत भी इस कहानी में मिलते हैं, किन्तु वे मूल संवेदना के रूप में विकसित नहीं होते हैं। कहानी के मुख्य पात्र अर्थात् यशोधर जी स्वयं पीढ़ी अंतराल की बात स्वीकार करते है। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि दुनियादारी के मामले में उनकी सन्तानें अच्छा सोचती हैं। यशोधर जी अपनी पीढ़ी के आदर्शों और मूल्यों से बहुत ज्यादा जुड़े हैं। आफिस के कर्मचारियों के साथ उनके संबंध भी इसी मानसिकता के साथ बने हैं। चड्ढा की चौड़ी मोहरी वाली पैंट भी उन्हें इसीलिए ‘समहाउ इच्छापर’ लगती है। ‘समहाउ इच्छापर’ वाक्यांश से कहानीकार ने इस पीढी अंतराल को प्रतीकात्मक ढंग से व्यक्त किया है। उनके बेटों और बेटी के रहन-सहन नये जमाने के हिसाब से हैं। उनका सोचना भी नये सामाजिक मूल्यों पर विकसित हुए हैं। यशोधर जी जिन सामाजिक मूल्यों को बचाकर रखना चाहते हैं उन सामाजिक मूल्यों का नयी पीढ़ी के लिए कोई महत्त्व नहीं है। इसी तरह नये ढंग के कपड़े पहनना भी नयी पीढ़ी की विशेषता है। इस तरह यह कहानी पूरी तरह पीढ़ी अंतराल की कहानी कहती है।

    Question 38
    CBSEHIHN12026922

    अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुजुर्गो को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?

    Solution

    अधिकांश बुर्जुर्गों को अपना बीता हुआ समय ही अच्छा लगता है। ऐसे में वे नयी सोच की सुविधाओं और आधुनिकता को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। हमारे आस-पास भी कुछ बुजुर्ग ऐसे मिल ही जाते हैं जिनकी मानसिकता इस तरह की होती है। आज की दुनिया संचार क्रांति की दुनिया है। हर एक व्यक्ति को आपस में जोड़ दिया गया है। मोबाइल तकनीकी ने लोगों को आधुनिकतम सुविधा प्रदान की है। इस सुविधा को भी कुछ बुजुर्ग अच्छा नहीं मानते हैं। उन्अधिकांश बुर्जुर्गों को अपना बीता हुआ समय ही अच्छा लगता है। ऐसे में वे नयी सोच की सुविधाओं और आधुनिकता को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। हमारे आस-पास भी कुछ बुजुर्ग ऐसे मिल ही जाते हैं जिनकी मानसिकता इस तरह की होती है। आज की दुनिया संचार क्रांति की दुनिया है। हर एक व्यक्ति को आपस में जोड़ दिया गया है। मोबाइल तकनीकी ने लोगों को आधुनिकतम सुविधा प्रदान की है। इस सुविधा को भी कुछ बुजुर्ग अच्छा नहीं मानते हैं। उन्हें लगता है कि यह साध न लोगों को दूर कर रहा है। इस बात से इकार नहीं है कि मोबाइल का गलत इस्तेमाल भी हो रहा है लेकिन केवल नया होने के कारण इसका विरोध करना भी गलत है।हें लगता है कि यह साधन लोगों को दूर कर रहा है। इस बात से इंकार नहीं है कि मोबाइल का गलत इस्तेमाल भी हो रहा है लेकिन केवल नया होने के कारण इसका विरोध करना भी गलत है।
    इसी तरह हमारे शहर में बैंकों ने जगह जगह ए. टी. एम मशीन लगा दी है। यह एक महत्वपूर्ण सुविधा है। इस सुविधा से सबको सहूलियत है। लेकिन कुछ बुजुर्गों को लगता है कि इसमें झंझट है। कार्ड सँभालना, उसका पिनकोड याद करना, ये सब उन्हें परेशान करने वाला होता है। इसी तरह कई और बदलाव और घटनायें हैं जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी हमारे बुजुर्गो को अच्छे नहीं लगते। इसका एकमात्र कारण पीढ़ी अंतराल का माना जा सकता है। हमारे बुजुर्गो जिस समय में अपना जीवन बिताया है। उस समय में सारे बदलाव नहीं हुए थे।

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