शारीरिक शिक्षा Chapter 6 महिलाएँ और खेल
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    NCERT Solution For Class 12 ������������������ शारीरिक शिक्षा

    महिलाएँ और खेल Here is the CBSE ������������������ Chapter 6 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 ������������������ महिलाएँ और खेल Chapter 6 NCERT Solutions for Class 12 ������������������ महिलाएँ और खेल Chapter 6 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 ������������������.

    Question 1
    CBSEHHIPEH12036953

    प्रथम रजोदर्शन (Menache) से क्या तात्पर्य है?

    Solution

    प्रथम रजोदर्शन का अर्थ हैं, महिला का प्रथम मासिक धर्म जो युवा लड़कियों में 9- 16 आयु में घटित हो सकता है।

    Question 2
    CBSEHHIPEH12036954

    महिलाओं की खेलों में भागीदारी या सहभागिता (Sports Participation of Women) से आप समझते हो?

    Solution

    खेलो के क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता या भागीदारी या भाग लेना।

    Question 3
    CBSEHHIPEH12036955

    मासिक धर्म में गड़बड़ी या विकार (Menstrual Disfunction) से क्या अभिप्राय है?

    Solution

    मासिक धर्म में शिथिलता या विकार का अर्थ है : मासिक धर्म के दौरान एक ' साधारण रक्त स्त्राव '

    Question 4
    CBSEHHIPEH12036956

    ऋतुरोध या रजोरोध (Amrnorrhoea) क्या है?

    Solution
    1. ''हारमोन्स असंतुलन के कारण, महिलाओं में मासिक धर्म चक्र में अनियमितता का होना ऋतुरोध या रजोरोध कहलाता है'।
    2. इसमें महिलाओं में मासिक धर्म चक्र तीन महिने या उससे अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है।
    Question 5
    CBSEHHIPEH12036957

    महिलाओं में खेलों की भागीदारी कम होने के कोई तीन कारकों को लिखो?

    Solution
    1. दर्शकों की रूचि कम होना तथा महिलाओं के खेलों का कम प्रसारण।
    2. महिलाओं में शिक्षा की कमी।
    3. खेलों में महिलाओं की भागीदारी के प्रति समाज की अभिवृति।
    Question 6
    CBSEHHIPEH12036958

    महिला एथलीट त्रय (Female Athlete Triad) क्या है?

    Solution

    महिला एथलीट त्रय यह एक लक्षण समूह है जिससे अस्थिसुषिरता (Osteoporosis) और ऋतुरोध या रजोरोध (Amenorrchoea) तथा भोजन संबंधी विकार उपस्थित होते है। साधरणतया इसे त्रय भी कहते है।

    Question 7
    CBSEHHIPEH12036959

    मासिक धर्म क्या है?

    Solution

    युवा लड़कियों में, हर महिने ऋतुस्त्राव, मासिक धर्म कहलाता है। जो कि युवा लड़की में बने अण्डे के टूटने केकारण होता है। यह अवधि 21 से 35 दिनों की हो सकती है।

    Question 8
    CBSEHHIPEH12036960

    भोजन लेने संबंधी विकार से आपका क्या तात्पर्य है?

    Solution

    जब कोई व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में भोजन खाने लगे या कम मात्रा में भोजन लेने लगे तो इसे भोजन संबंधी विकार कहते है। यह एक मानसिक बीमारी है।

    Question 9
    CBSEHHIPEH12036961

    क्षुधा अभाव (एनोरेक्सिया नर्वोसा) क्या है?

    Solution

    क्षुधा अभाव भोजन लेने संबंधी एक विकार है जो मध्य किशोरवस्था में अधिक पाया जाता हैं। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपने शरीर का भार कम करने के उद्देश्य से भोजन कम कर देते है।

    Question 10
    CBSEHHIPEH12036962

    बुलिमिया या अतिक्षुधा क्या होता है?

    Solution

    बुलिमिया एक प्रकार का भोजन लेने संबंधी मनोवैज्ञानिक विकार है जिसे अतिक्षुधा भी कहते हैं। ऐसा व्यक्ति पहले तो बहुत खाना खा लेता है और बाद में मोटा होने के डर से उल्टी के द्वारा उगल देता है या उपवास रखता है।

    Question 11
    CBSEHHIPEH12036963

    अस्थिसुषिरता (Ospeoporosis) के कारक को लिखो?

    Solution

    अस्थिसुषिरता का संबंध अस्थि या हड्डी में उपस्थित विषय सामान (Bone Material) की कमी Insufficient Calcium से है।

    1. आहार में कैल्शियम की कम मात्रा के कारण अस्थि और हड्डी की मात्रा में कमी होती है।
    2. ऋतुरोध या रजोरोध महिलाएं को 6 महीने से अधिक समय तक यदि ऋतुरोध की समस्या हो तो उन को भी अस्थिसुषिरता होती है। क्योंकि ऋतुधर्म के समय एस्ट्रोजन नाम का हारर्मोन निकलता है जो कैल्शियम की मात्रा को कन्ट्रोल करता है।
    3. भोजन करने संबंधी विकार: भोजन लेने संबंधी विकार क्षुधा अभाव तथा अतिक्षुधा अभाव आदि विकार के कारण भी अस्थिसुषिरता हो जाता है। क्योंकि ये भोजन में कैल्शियम की मात्रा का उपयोग तथा अवशोषण शरीर में कमी कर देते है।
    4. खाने सबंधी बुरी आदते: भोजन में कैफीन, एल्कोहल, तंबाकु या धूम्रपान आदि का उपयोग करने से शरीर में उपस्थित कैल्शियम की मात्रा का अनुपात असंतुलन हो जाता है जिससे अस्थिसुषिरता होने के कारण बनते है।

    Question 12
    CBSEHHIPEH12036964

    खेलो में महिलाओं एथलीटस के मनोवैज्ञानिक (Psychological Aspects of Female Athelete) पहलू का वर्णन करो?

    Solution

    महिलाओं एथलीट्स का खेलों में मनोवैज्ञानिक पहलू, जो महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करता है:

    1. लिंग भूमिका को नई स्थिति के अनुसार बनाना (Gender Role Orientation): बहुत से खेल-कुश्ती, भारोत्तोलक, शरीर प्रदर्शन आदि में पांरपरिक रूप से केवल पुरूष खेल माने जाते है। इन खेलों में महिलाओं की भागीदारी न के सामान है। क्योंकि ये खेल महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते है।
    2. स्पर्धात्मकता (Competitiveness): अनुसंधान ये सिद्ध करते है कि पुरूष महिला की तुलना में अधिक स्पर्धात्मकता होते है जबकि कलात्मक गतिविधियाँ, जैसे- जिम्नास्टिक्स में महिलाओं का प्रदर्शन पुरूष की तुलना में अच्छा होता है।
    3. विश्वास (Confidence): -महिला खिलाड़ियों की तुलना में पुरूष खिलाड़ियों में अपनी योग्यता तथा कार्य करने की क्षमता और अधिक विश्वास होता है। जबकि न खेलने वाली महिलाओं में खेलने वाली महिलाओं की अपेक्षा विश्वास बहुत अच्छा होता है।
    4. आत्म विश्वास (Self-Esteem): पुरूष खिलाड़ियों की अपेक्षा महिलाओं में आत्म विश्वास में बहुत कमी होती है। जो कि हमारे द्वारा समय-समय पर तीव्र प्रशिक्षण से आत्मविश्वास, महिलाओंमें बढ़ाया जा सकता है।
    5. आत्म छवि या शारीरिक छवि (Self Image or Body Image): पुरूष अपनी आत्मछवि या शारीरिक छवि के प्रति अधिक सकारात्मक होते है जबकि महिलाएं नकारात्मक।

    Question 13
    CBSEHHIPEH12036965

    खेलों में भागीदारी के सामाजिक पक्षों या पहलुओं का संक्षेप में वर्णन करो?

    Solution

    ऐसे विभिन्न कारक है जो महिलाओं की खेलों में कम भागीदारी के लिए जिम्मेदार है ये कारक: जैसे

    1. परिवार (Family): परिवार समाज की एक संगठित इकाई है। परिवार एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक कारक है, जो आम तौर पर प्रारंभिक खेल सामाजिककरण के लिए जिम्मेदार है। परिवार में भी खेलों की तरह सहारा व प्ररेणा पूरूषों की तुलना में महिलाओं को कम मिलती है। परिवार के द्वारा पुरूषों को प्रोत्साहन तथा सहारा देने के लिए विभिन्न प्रकार की नीतियां बनाई जाती है। जबकि महिलाओं के साथ ऐसा नहीं किया जाता।
    2. विद्यालय (School): विद्यालयों में महिला खिलाड़ियों को भी बहुत सारे खेलों में भाग लेने के लिए कोई प्रोत्साहन या सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। जैसे- फूटबॉल, क्रिकेट, बॉक्सर आदि खेलों की सुविधा केवल पुरुष/लड़कों के लिए ही होती है।
    3. संस्कृति (Culture): सांस्कृतिक विश्वास खेलों में महिलाओं की सांलप्तता या ग्रस्तता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालते है। ''महिलाएँ सिर्फ किचन/रसोईघर के लिए बनी है'' यह अब भी एक आम कहावत है तथा बहुत -सी संस्कृति इस तथ्य पर विश्वास भी करती है जो खेलों में महिलाओं की भागीदारी को कम करती है।
    4. समाज की अभिवृतियाँ (मानसिकता) व पहले से बनाई हुई धारणा (Attitude & Prejudices of Society ): समाज की अभिवृतियाँ तथा पहले से बनाई हुई धारणाएँ खेलो में महिलाओं की भागीदारी में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। महिलाएँ भी डरती है कि खेलो में भाग लेने से उनके शरीर में बहुत सारी मांसपेशियो का विकास होता है जिससे उन पूलिंग या समलिंगी न समझ लिया जाए। यौन भाव के बारे में समाज की अभिवृत्तियाँ महिलाओं को भागीदारी से रोकती है।

    Question 14
    CBSEHHIPEH12036966

    ऋतुरोध या रजारोध के कारण, महिला शरीर में होने वाले लक्षण को लिखो?

    Solution
    1. ऋतुधर्म की अनुपस्थिति: यह विकार, शरीर में विभिन्न परिस्थिति जैसे- असंतुलित भोजन, उच्च स्तरीय प्रशिक्षण, उच्च चिंता, लगातार दवाई के सेवन से होता है।
    2. असामान्य ऋतुधर्म लक्षण: बहुत सी लड़कियों में लक्षण जैसे-दर्द, कमर, छाती में जलन, सिर दर्द, कब्ज, अवसाद, चिड़चिड़ापन व चिन्ता जैसी परिस्थिति बन जाती है।
    3. असामान्य शरीर में मांसपेशियों की संकुचन: इसके कारण, मांसपेशियों में ऐसे रासायनिक तत्व बन जाते है जो बार-2 मांसपेशियों में संकुचन विकसित करते है।
    4. लम्बी अवधि तक गौण ऋतुस्त्राव (Heavy or Prolonged Period): ऋतुरोध के कारण, महिलाओं में लम्बे समय तक गौण ऋतुस्त्राव मासिक धर्म स्त्राव बढ़ जाता है जिससे शरीर में तत्त्वों की कमी होता है।
    5. असामान्य मासिक धर्म (Irregular Menstrual Period): सामान्य रूप से मासिक धर्म का समय 21 से 35 दिनों का होता है परन्तु ऋतुरोध केकारण यह असामान्य हो जाता है।
    6. ऋतुदर्शन या रजादर्शन (Delay Menarch): ऋतुरोध के कारण, ऋतुदर्शन या प्रथम रजोदर्शन भी देरी से आता है।
    Question 15
    CBSEHHIPEH12036967

    विद्यार्थी जीवन में पूनम, शुरू से ही एक अच्छी जूड़ो खिलाड़ी थी। वह दूर के गाँव से स्कूल आया करती थी। गाँव के बड़े लोगों को पूनम का जूड़ो में भाग लेना पंसद नहीं था। मगर उसके माता-पिता उसको अन्तराष्ट्रीय स्तर का जूड़ों खिलाड़ी बनाना चाहते थे। उन्होंने गाँव वालो की बातों पर ध्यान न देकर, पूनम के लिए अन्तराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाने के लिए प्रेरणा के साथ-साथ सभी उपकरण व सुविधाएं उपलब्ध करवाने की कोशिश करते है। दस वर्ष की कठिन प्रशिक्षण के बाद पूनम का विश्व चैम्पियनशिप जूड़ों में चयन हुआ है तथा पूनम के जीतने की संभावना बहुत है तथा देश का नाम रोशन करेगी।

    नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लिखो:

    1. क्या आप गाँव के लोगों के विचारों से सहमत है। संक्षिप्त में उत्तर दो?
    2. पूनम के माता तथा पिता के द्वारा उनकी खेलों में भागीदारी के द्वारा दर्शाए गए मूल्य को लिखों?
    3. पूनम के द्वारा अपने माता-पिता के आदर में कौन-2 से मूल्य गुणों को दर्शाया गया है?

    Solution
    1. मैं गाँव के लोगों के विचारों से सहमत नही हूँ क्योंकि उनके अनुसार, जूडो एक शरीर सम्पर्क खेल है। जो कि लड़कियों के लिए उपयोगी नही है तथा लड़की शारीरिक रूप से कमजोर होती है।
    2. पूनम के माता-पिता ने सहयोगिता, प्रोत्साहित करना, प्रेरणा जैसे सामाजिक व मनोवैज्ञानिक गुणों को दर्शाया है।
    3. पूनम ने
      -शारीरिक व मानसिक शक्ति
      -आत्म विश्वास
      - तथा समाज की अभिवृत्तियों को बदलने जैसे मूल्य गुणों को दिखाया है।
    Question 16
    CBSEHHIPEH12036968

    भारत में खेलों में महिलाओं की भागीदारी को सुधारने के सुझाव दें?

    Solution
    1. महिलाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरणा व प्रेरित करना।
    2. परिवार तथा समाज का सहयोग।
    3. महिलाओं के लिए शिविर, सेमिनार व कार्यशाला का आयोजन।
    4. ज्ञान अर्जित करना तथा दूरसंचार (Media) की भागीदारी बढ़ाना।
    5. प्राथमिक स्तर पर महिलाओं की भागीदारी तथा प्रशिक्षण करना।
    6. अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाना।
    7. महिलाओं की सुरक्षा तथा संरक्षण का प्रंबध करना।
    8. खेलों में प्रतियोगिता के अवसर उपलब्ध करवाना।
    9. नई वैज्ञानिक तकनीकी सामान व साधन का प्रंबधन करना।
    10. खेलों में प्रतियोगिता के अवसर उपलब्ध करवाना।
    11. सन्तुलित व स्वस्थ भोजन का प्रबंधन करना।
    12. अच्छेव प्रेरित छात्रवृति व पुरस्कारों को देना।
    13. सांस्कृतिक व सामाजिक नकारात्मक पहलू को दूर करना।
    14. अभिवृत्ति व सामाजिक बाधाओं को ग्रामीण स्तर पर दूर करना।
    15. सामाजिक समान्ताओं को बनाना।
    16. आत्मविश्वास का विकास।
    17. वित्तीय सहायता।
    18. रोजगार और कैरियर।
    19. सरकारी नीतियों का निर्माण व लागू करना।
    Question 17
    CBSEHHIPEH12036969

    बुलिमिया नर्वोसा (अति क्षुधा या क्षुधातिशय) क्या है? इसके प्रमुख लक्षण, कारण व निवारण बताइये।

    Solution

    बुलिमिया नर्वोसा खान-पान संबधी एक विकार है। इसमें व्यक्ति लालचवश अपने शरीर व भूख की तृप्ति कहीं अधिक भोजन खा जाता है और बाद में जब इस व्यक्ति को परेशानी होती हैं तो वह शर्मिन्दगी से पछताता है और पश्चताप स्वरूप उल्टी कर देता है या फिर उपवास, डाइटिंग कठिन व्यायाम, दवाइयाँ, हाजमा चूर्ण, एनिमा आदि का प्रयोग करता है।

    1. वशानुक्रम: बुलिमिया ऐसे किसी भी व्यक्ति में विकसित हो सकता है जिसके परिवार में कोई व्यक्ति इससे पीड़ित रहा हो।
    2. मनोवैज्ञानिक कारक: स्वादिष्ट भोजन के प्रति हमारा लालच अवसाद, गुस्सा, चिंता आदि मानसिक परिस्थितियों में भी व्यक्ति बहुत ज्यादा या कम खाने लग जाता है।
    3. खेल विधा प्रकार: सामान्यत : जिमनास्ट, धावक, कुश्ती, जिम्नास्टिक आदि खेलों में मुकाबला वजन के आधार पर ही होता हे। इसलिए इन खिलाड़ियों को बहुत कम या बहुत ज्यादा खाना खाने का दबाव बना रहता है।
    4. अन्य कारण: अत्यधिक गरीबी, उपवास, कुछ व्यवसाय जैसे अभिनेता, नर्तक, मॉडल आदि लोग फिट व स्लिम दिखने के लिए बहुतायत में इस प्रकार की व्याधियों से ग्रसित हो जाते है।

    लक्षण:

    1. छुप-छुप कर या एकान्त में भोजन करना।
    2. बार-बार भोजन करना।
    3. वजन बार-बार कम या ज्यादा होना।
    4. खाने के बाद अक्सर उल्टी करना या पेशाब का बहाना करना।
    5. बार-बार पाचन संबधी दवाईयाँ, चूर्ण व नुस्से लेना।
    6. कमजोरी व चक्कर आना।
    7. पेट दर्द, सीने में जलन, कब्ज, एसिडिटि आदि की शिकायत आदि।

    निवारण या उपचार: बुलिमिया नर्वोसा का इसके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता सकता है। इसका उपचार सामान्यत: बहुविषयक होता है जिसमें मनोचिकित्सक, फिजिशियन, आहार विशेषज्ञ, व्यायाम विशेषज्ञ आदि शामिल हो सकते है। हमारे देश में यह व्याधि कम ही देखने को मिलती है:

    1. चिकित्सा सम्बन्धी उपचार: जनरल फिजिशियन रोगी की डायबिटीज, रक्तचाप, कब्ज, एसिडिटी या अलसर आदि की जाँच करके सलाह व उपचार में सहायक हो सकता है।
    2. मानव व्यवहार सबंधी उपचार: एक मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक कारको जैसे, चिड़चिड़ापन, अवसाद, विचित्र आदते व व्यवहार संबधी परीक्षणों से उचित सलाह व उपचार प्रदान कर सकता है।
    3. आहार विशेषज्ञ व शारीरिक शिक्षा विशेषज्ञों द्वारा परामर्श: यदि रोगी के मन में कैलोरी, मोटापे, भार या व्यायाम व फिटनेस को लेकर कोई सन्देह है तो शारीरिक क्रियाकलापों से संबधित विशेषज्ञ व आहार विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

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    Question 18
    CBSEHHIPEH12036970

    भारत में महिलाओं की खेलों में सहभागिता पर प्रकाश डालिए?
    अथवा
    महिलाओं की खेलों में भागीदारी के संबंध में विचारधारा पर संक्षेप में वर्णन कीजिए।

    Solution

    महिलाओं की खेलों में भागीदारी की विचारधारा के लिए हमें भूतकाल में झाँकना होगा। यदि हम 1896 ओलम्पिक (एथेंस) में देखे तो महिलाओं की उनमें कोई भूमिका नहीं थी।

    1900 से आधुनिक ओलम्पिक में खेलों में महिलाओं ने भाग लेना शुरू किया। इसमें 22 महिलाओं ने भाग लिया।
    1904 में 6 महिलाओं ने भाग लिया।
    तथा 100 वर्ष बाद 2000 सिड़नी ओलम्पिक में 4069 महिला प्रतिभागी थी।
    2008 बींजीग ओलम्पिक में 4637 महिलाओं ने भाग लिया।

    भारत की सहभागिता:

    1. भारत की ओर से भी सन् 2000 में ओलम्पिक में पदक लेने वाली प्रथम महिला कर्णम मल्लेश्वरी थी।
    2. 1984 में पी.टी. ऊषा का प्रदर्शन सराहनीय था।
    3. 2012 में लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल तथा एम०सी० मैरीकॉम दोनों ने कांस्य पदक प्राप्त किए।

    2016 रियो ओलम्पिक में साक्षी मलिक ने कांस्य व पी.वी. सिंधु ने रजत पदक जीतकर देश की लाज बचाई। जबकि पुरुष खिलाड़ी कोई मेडल नहीं जीत पाए। वहीं दीपा करमाकर ने जिमनास्टिक में शानदार प्रदर्शन कर संभावनाओं को नये रास्ते दिखाए हैं।

    बीते कुछ सालों में महिलाओं का प्रदर्शन विभिन्न खेल स्पर्धाओं में अच्छा रहा है। पंरतु आज भी खेलों के क्षेत्र में लैगिंक भिन्नता स्पष्ट दिखाई देती है। पुरूषों को आज भी महिलाओं से बेहतर माना जाता है। समाज की यह विचारधारा महिलाओं की खेलों में सहभागिता को बाधित करती है। बहुत से लोगों की तो यह टिप्पणी होती है। ''कि वे अपनी रसोई में क्यों नहीं रहती जो उनके रहने की जगह है।''

    आज समय बदल चुका है महिलाएँ अपनी भागीदारी से समाज की विचारधारा को बदलने में धीरे-धीरे सक्षम हो रही है।

    Question 19
    CBSEHHIPEH12036971

    महिला खिलाड़ी त्रय क्या हैं? विस्तार में बताइये।

    Solution

    महिला खिलाड़ी त्रय महिला खिलाड़ियों में होने वाले रोगों के लक्षणों का समावेश व रोग हैं। अस्थि सुषिरता Oestoperosis, रजो धर्म Amenoria, खाने संबंधी विकार Eating Disorders यह एक गंभीर बीमारी है जिससे जीवन में लबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर व खतरनाक परिणाम होते है। इन रोगों समूह में तीन परस्पर संबंधित परिस्थितियाँ हैं।

    1. अस्थिसुषिता: इसका संबंधा अस्थि पदार्थ की विषय- सामग्री धाक की कमी से है। यह एक अस्थि संबंधी विकार है। अस्थि की संहति (Bone Mass) में कमी से अस्थि-भंग (Fracture) हो सकता है। इसके कारण है:
      1. हारमोन्स संबंधी परिवर्तन
      2. तीव्र व्यायाम
      3. कम कैलोरीज़ और कार्बोहाइड्रेट का ग्रहण करना
    2. रजोरोध: प्रजनन योग्य आयु वाली स्त्रियों को मासिक स्राव नहीं होता या फिर आरम्भ होकर कभी-कभी कई महीनों तक मासिक धर्म का न आना रजोरोध कहलाता है। इस समस्या का प्रमुख कारण अधिक तीव्रता वाले व्यापाय तथा शारीरिक आवश्यकताओं के अनुसार कम कैलोरी वाला भोजन लेना होता हैं। इसी कारण महिलाओं के मासिक धर्म में अनियमितता या कई बार रूक भी जाते है। इसके लिए निम्न कारण है।
      1. खान-पान की वजह से।
      2. हारमोन्स में बदलाव से।
      3. तीव्र रक्तस्राव।
      4. अधिक प्रशिक्षण तथा प्रतिस्पर्धा के कारण।
    3. भोजन संबंधी विकार: जब व्यक्ति सामान्य से अधिक मात्रा में या बहुत कम मात्रा में भोजन करने लगे तो इमें भोजन संबंधी विकार कहते हैं। ये एक प्रकार की मानसिक बीमारी हैं। इसके दो प्रकार होते हैं:
      1. एनोरेक्सिया नर्वोसा। 
      2. बुलिमिया।

    Question 20
    CBSEHHIPEH12036972

    क्षुधा अथाव सेआप क्या समझते है? एनोरेक्सिया नर्वोसा के कारण, लक्ष्णों तथा बचाव का वर्णन कीजिए।

    Solution

    एनोरेक्सिया नर्वोसा: क्षुधा अभाव भोजन संबंधी विकार है। यह एक मानसिक रोग है जो प्रारंभिक या मध्य किशोरवस्था में सबसे अधिक पाया जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपना शारीरिक भार कम करने के उद्देश्य से भोजन की मात्रा बहुत कम कर देते है जिसके कारण वे बहुत ही दुबले-पतले प्रतीत होन लगते है। पीड़ित व्यक्ति अपना वजन कम करने के लिए कई प्रकार केअनुचित तरीके भी अपनाने लगते है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के हृदय तथा गुर्दो को क्षति पहुँचती है मगर समय पर इसका इलाज न किया जाये तो यह रोग जान लेवा भी हो सकता है।

    क्षुधा अभाव के कारण- सामाजिक कारक: अकसर माता-पिता या मित्रों द्वारा व्यक्ति के शारीरिक आकार को लेकर उपहास किए जाने के कारण वह क्षधा अभाव या एनोरेक्सिया नवासा की ओर अग्रसर हो जाते है। कुछ व्यवसाय जैसे माँडलिग तथा जिम्नास्टिक भी इसके कारण है।

    जैविक कारक: यदि इस समस्या से ग्रस्त कोई गर्थवती स्त्री किसी शिशु को जन्म देती हैं तो उस शिशु को इस समस्या से ग्रस्त होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

    व्यक्तिगत कारक: अक्सर व्यक्ति समुह में खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए कि वह कितना नियमों को मानता है, आदेशों का पालन करता है, के कारण भी इस समस्या से ग्रस्त हो जाता है।

    एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षण:

    1. शारीरिक भार में तेजी से कमी आती हैं जिसके कारण शारीरिक स्वरूप पतला प्रतीत होता है।
    2. किशोरियों के मासिक धर्म में अनियमितता होने लगती है।
    3. उल्टी, शरीर के फुलने का अहसास तथा कब्ज थी शिकायत रहती है।
    4. रक्तहीनता हो जाती है।
    5. नाड़ीगति तथा रक्तचाप धीमा रहने लगता है।
    6. दांतो की समस्याएँ, लार ग्रंथि सूजन की आशंका बढ़ जाती हैं।
    7. कई बार अधिक भोजन का सेवन कर लेते है।

    एनोरेक्सिया नर्वोसा से बचाव:

    1. भार कम करने के लिए सुनी-सुनाई बातों या किताबों के ज्ञान की अपेक्षा विशेषज्ञ की सलाह लें।
    2. बच्चों को यह समझाना चाहिए की भारी शरीर होने के बावजूद भी वह चुस्त तथा आकर्षक बने रह सकते हैं।
    3. समस्या से ग्रस्त व्यक्ति से दूर रहें।
    4. मनोवैज्ञानिक की सहायता भी ली जा सकती है। डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाईयाँ भी ली जा सकती है।

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