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महिलाएँ और खेल

Question
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भारत में महिलाओं की खेलों में सहभागिता पर प्रकाश डालिए?
अथवा
महिलाओं की खेलों में भागीदारी के संबंध में विचारधारा पर संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Solution

महिलाओं की खेलों में भागीदारी की विचारधारा के लिए हमें भूतकाल में झाँकना होगा। यदि हम 1896 ओलम्पिक (एथेंस) में देखे तो महिलाओं की उनमें कोई भूमिका नहीं थी।

1900 से आधुनिक ओलम्पिक में खेलों में महिलाओं ने भाग लेना शुरू किया। इसमें 22 महिलाओं ने भाग लिया।
1904 में 6 महिलाओं ने भाग लिया।
तथा 100 वर्ष बाद 2000 सिड़नी ओलम्पिक में 4069 महिला प्रतिभागी थी।
2008 बींजीग ओलम्पिक में 4637 महिलाओं ने भाग लिया।

भारत की सहभागिता:

  1. भारत की ओर से भी सन् 2000 में ओलम्पिक में पदक लेने वाली प्रथम महिला कर्णम मल्लेश्वरी थी।
  2. 1984 में पी.टी. ऊषा का प्रदर्शन सराहनीय था।
  3. 2012 में लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल तथा एम०सी० मैरीकॉम दोनों ने कांस्य पदक प्राप्त किए।

2016 रियो ओलम्पिक में साक्षी मलिक ने कांस्य व पी.वी. सिंधु ने रजत पदक जीतकर देश की लाज बचाई। जबकि पुरुष खिलाड़ी कोई मेडल नहीं जीत पाए। वहीं दीपा करमाकर ने जिमनास्टिक में शानदार प्रदर्शन कर संभावनाओं को नये रास्ते दिखाए हैं।

बीते कुछ सालों में महिलाओं का प्रदर्शन विभिन्न खेल स्पर्धाओं में अच्छा रहा है। पंरतु आज भी खेलों के क्षेत्र में लैगिंक भिन्नता स्पष्ट दिखाई देती है। पुरूषों को आज भी महिलाओं से बेहतर माना जाता है। समाज की यह विचारधारा महिलाओं की खेलों में सहभागिता को बाधित करती है। बहुत से लोगों की तो यह टिप्पणी होती है। ''कि वे अपनी रसोई में क्यों नहीं रहती जो उनके रहने की जगह है।''

आज समय बदल चुका है महिलाएँ अपनी भागीदारी से समाज की विचारधारा को बदलने में धीरे-धीरे सक्षम हो रही है।

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