विदाई - संभाषण
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
यहां की प्रजा ने आपकी जिद्द का फल यहीं देख लिया। उसने देख लिया कि आपकी जिस जिद्द ने इस देश की प्रजा को पीड़ित किया, आपको भी उसने कम पीड़ा न दी, यहाँ तक कि आप स्वयं उसका शिकार हुए। यहां की प्रजा वह प्रजा है, जो अपने दुख और कष्टों की अपेक्षा परिणाम का अधिक ध्यान रखती है। वह जानती है कि संसार में सब चीजों का अंत है। दुख का समय भी एक दिन निकल जावेगा, इसी से सब दुखों को झेलकर, पराधीनता सहकर भी वह जीती है। माई लॉर्ड! इस कृतज्ञता की भूमि की महिमा आपने कुछ न समझी और न यहां की दीन प्रजा की श्रद्धा- भक्ति अपने साथ ले जा सके, इसका बड़ा दुख है।
1. किसने, किसकी जिद्द का फल देख लिया?
2. भारत की प्रजा की क्या विशेषता बताई गई है?
3. किसे, किस बात का दुख है?
1. भारत की प्रजा ने लॉर्ड कर्जन की जिद्द का फल देख लिया। इस प्रजा ने यह देखा कि कर्जन की जिद्द ने उन्हें काफी पीड़ित किया। लॉर्ड कर्जन स्वयं भी उसी पीड़ा के शिकार हुए।
2. लेखक ने भारत की प्रजा की विशेषता बताते हुए कहा है कि यहाँ की प्रजा अपने दुख और कष्टों की अपेक्षा परिणाम का अधिक ध्यान रखती है उसे यह पता है कि संसार की सब चीजों का अंत होता है। वह यह जानकर दुखों को झेल जाती है कि दुख का समय भी एक दिन निकल जाएगा। यहाँ की प्रजा बड़ी धैर्यवान् एवं सहनशील है।
3. भारत की प्रजा को इस बात का दुख है कि लॉर्ड कर्जन ने भारत- भूमि की महिमा को नहीं समझा और न उसने भारत की दीन प्रजा की श्रद्धा- भक्ति को स्वीकार किया। वे चाहते तो प्रजा की इस श्रद्धा- भक्ति को अपने साथ ले जा सकते थे। ऐसा न होने पर भारत की प्रजा को दुख है।
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
यहां की प्रजा ने आपकी जिद्द का फल यहीं देख लिया। उसने देख लिया कि आपकी जिस जिद्द ने इस देश की प्रजा को पीड़ित किया, आपको भी उसने कम पीड़ा न दी, यहाँ तक कि आप स्वयं उसका शिकार हुए। यहां की प्रजा वह प्रजा है, जो अपने दुख और कष्टों की अपेक्षा परिणाम का अधिक ध्यान रखती है। वह जानती है कि संसार में सब चीजों का अंत है। दुख का समय भी एक दिन निकल जावेगा, इसी से सब दुखों को झेलकर, पराधीनता सहकर भी वह जीती है। माई लॉर्ड! इस कृतज्ञता की भूमि की महिमा आपने कुछ न समझी और न यहां की दीन प्रजा की श्रद्धा- भक्ति अपने साथ ले जा सके, इसका बड़ा दुख है।
1. किसने, किसकी जिद्द का फल देख लिया?
2. भारत की प्रजा की क्या विशेषता बताई गई है?
3. किसे, किस बात का दुख है?
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
“अभागे भारत! मैंने तुझसे सब प्रकार का लाभ उठाया और तेरी बदौलत वह शान देखी, जो इस जीवन में असंभव है। तूने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा; पर मैंने तेरे बिगाड़ने में कुछ कमी न की। संसार के सबसे पुराने देश! जब तक मेरे हाथ में शक्ति थी, तेरी भलाई की इच्छा मेरे जी में न थी। अब कुछ शक्ति नहीं है, बो तेरे लिए कुछ कर सकूं। पर आशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश का फिर से लाभ करे। मेरे बाद आने वाले तेरे गौरव को समझें।” आप कर सकते हैं और यह देश आपकी पिछली सब बातें मूल सकता है, पर इतनी उदारता माइ लॉर्ड में कहाँ?
1. गद्याशं के प्रारंभिक वाक्यों में क्या व्यंग किया गया है?
2. कौन क्या आशीर्वाद करता है?
3. अंतिम वाक्य से किसके चरित्र पर क्या प्रकाश पड़ता है?
कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?
पाठ का यह अंश ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ से लिया गया है। शिवशंभु नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?
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