क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है ?-इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस पर चर्चा कीजिए।
इन पंक्तियों से यह ध्वनित होता है कि अपनी मनमानी चलाना ही शासन व्यवस्था है। इसमें लोगों की बात अनसुनी कर दी जाती है। इस स्थिति को कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता। शासन व्यवस्था में शासक और प्रजा दोनों की भागीदारी होती है। प्रजा को अपनी बात कहने का पूरा हक है। शासक को उसकी बात सुननी ही चाहिए। शासक मनचाहा व्यवहार नहीं कर सकता। दोनों के सहयोग से जो व्यवस्था चलती है, वही अच्छा शासन होता है।