निर्मला पुतुल
दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?
’दिल के भोलेपन’ में सहजता का भाव है। ‘अक्खड़पन’ से तात्पर्य अपनी बात पर दृढ़ रहने का भाव है और ‘जुझारूपन’ में संघर्षशीलता की झलक मिलती है। ये तीनों विशेषताएँ आदिवासी समाज की विशिष्ट पहचान हैं। इनको बचाए रखना आवश्यक है। इसीलिए कवयित्री ने इन पर बल दिया है।
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निम्नलिखित पंक्तियों के काव्य-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए-
थोड़ा-सा विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोड़े-से सपने,
आओ-मिलकर बचाएँ।
बस्तियों को शहर की किस आबो-हवा से बचाने की आवश्यकता है?
आप अपने शहर या बस्ती की किन चीजों को बचाना चाहेंगे?
आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करें।
‘आओ, मिलकर बचाएँ’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
कवयित्री ने अपनी कविता में किन पक्षों को छुआ है?
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