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निर्मला पुतुल

Question
CBSEENHN11012371

आप अपने शहर या बस्ती की किन चीजों को बचाना चाहेंगे?

Solution

हम अपने शहर/बस्ती को निम्नलिखित चीजों से बचाना चाहेंगे-

1. सबसे पहले हम पर्यावरण प्रदूषण से बचाना चाहेंगे।

2. इसके बाद में आबादी की अंधाधुंध बढ़ोतरी पर रोक लगाना चाहेंगे।

3. शहर/बस्ती को कंकरीट का जंगल बनाने से बचाना चाहेंगे।

4. वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से बचाना चाहेंगे।

5. बस्ती-शहर को कारखानों के विषैले धुएँ और शोर से बचाना चाहेंगे।

Some More Questions From निर्मला पुतुल Chapter

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें:

अपनी बस्तियों को
नंगी होने से
शहर की आबो-हवा से बचाएँ उसे बचाएँ डूबने से
पूरी की पूरी बस्ती को
हड़िया में
अपने चेहरे पर
संथाल परगना की माटी का रग
भाषा में झारखंडीपन

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें:

ठंडी होती दिनचर्या में
जीवन की गर्माहट
मन का हरापन
भोलापन दिल का
अक्खड़पन, जुझारूपन भी भीतर की आग
धनुष की डोरी
तीर का नुकीलापन
कुल्हाड़ी की धार
जंगल की ताजा हवा
नदियों की निर्मलता
पहाड़ों का मौन
गीतों की धुन
मिट्टी का सोंधापन
फसलों की लहलहाहट

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें:

नाचने के लिए खुला आँगन
गाने के लिए गीत
हँसने के लिए थोड़ी-सी खिलखिलाहट
रोने के लिए मुट्ठी-भर एकान्त
बच्चों के लिए मैदान
पशुओं के लिए हरी-भरी घास
बूढ़ों के लिए पहाड़ों की शान्ति

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें:
और इस अविश्वास भरे दौर में
थोड़ा-सा विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोड़े-से सपने
आओ, मिलकर बचाएँ
कि इस दौर में भी बचाने को
बहुत कुछ बचा है, अब भी हमारे पास!

‘माटी का रंग’ प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है?

भाषा में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है?

दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?

प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है?

इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है-से क्या आशय है?

निम्नलिखित पंक्तियों के काव्य-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए-