भाषा में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है?
भाषा में झारखंडीपन से अभिप्राय भाषा के स्थानीय स्वरूप की रक्षा करना है। यह स्वरूप यहाँ की बोली में झलकता है। यह यहाँ की मौलिकता की पहचान है। यहाँ खड़ी बोली का प्रयोग तो बनावटीपन की झलक दे जाता है।
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भाषा में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है?
भाषा में झारखंडीपन से अभिप्राय भाषा के स्थानीय स्वरूप की रक्षा करना है। यह स्वरूप यहाँ की बोली में झलकता है। यह यहाँ की मौलिकता की पहचान है। यहाँ खड़ी बोली का प्रयोग तो बनावटीपन की झलक दे जाता है।
दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?
प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है?
निम्नलिखित पंक्तियों के काव्य-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए-
थोड़ा-सा विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोड़े-से सपने,
आओ-मिलकर बचाएँ।
बस्तियों को शहर की किस आबो-हवा से बचाने की आवश्यकता है?
आप अपने शहर या बस्ती की किन चीजों को बचाना चाहेंगे?
आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करें।
‘आओ, मिलकर बचाएँ’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
कवयित्री ने अपनी कविता में किन पक्षों को छुआ है?
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