थोड़ा-सा विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोड़े-से सपने,
आओ-मिलकर बचाएँ।
कवयित्री की मान्यता है कि यदि हम लोगों के जीवन में थोडा-सा विश्वास, थोड़ी-सी आशा और थोड़ी- सी कल्पनाशीलता ला दें तो उनका जीवन खुशहाल हो जाए। इन सब बातों को बचाकर रखना आवश्यक भी है। शब्दों में मितव्ययता बरती गई है। भाषा सहज एवं सुबोध है। कवयित्री वातावरण को बचाकर रखने के प्रति सचेष्ट प्रतीत होती है।