क्या निराश हुआ जाए
वर्तमान में समाज में ईमानदार और मेहनत करके अपना निर्वाह करने वाले को मूर्ख समझा जाता है। धोखा-धड़ी, झूठ और फरेब से काम करने वाले लोग फल-फूल रहे हैं। सच्चाई केवल डरपोक व कमजोर लोगों के लिए ही रह गई है। परिश्रमी, ईमानदार व सच बोलने वाले को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए जीवन के महान मूल्यों के प्रति हमारी आस्था कम हो गई है।
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दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
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