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क्या निराश हुआ जाए
'क्या निराश हुआ जाए’-लेखक के शीर्षक के मायने हैं कि मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए, समाज में अगर अराजकता के तत्त्व बढ़ रहे हैं तो मानवीय भाव भी जिंदा हैं। जिनके सहारे भारत की मानवता कभी मिट नहीं सकती। हम इसका अन्य शीर्षक दे सकते हैं-आशावादी।
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दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
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