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क्या निराश हुआ जाए
भारतवर्ष में सदा कानून को धर्म के रूप में देखा गया है। यहाँ कभी भी धर्म और कानून को अलग-अलग करके नहीं देखा। अत: कानून का पालन करना धर्म माना गया है। पर आज वर्तमान में कानून और धर्म को अलग-अलग कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, पर कानून को धोखा देने मे किसी को भी संकोच नहीं होता। यही कारण है कि धर्म-भीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते।
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दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
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