आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।
यदि ‘बस यात्रा’ और ‘स्पा निराश हुआ जाए’ पाठों के लेखक आपस में बातें करें तो निम्न रूप से करेंगे-
हरिशंकर - अरे भाई हजारी, क्या बताऊँ? कल से बहुत परेशान हूँ।
हजारी - क्यों! क्या हो गया?
हरिशंकर - कल एक ऐसी बस में बैठ गया जिसकी हालत बहुत खराब थी।
हजारी - फिर!
हरिशंकर - पाँच घंटे का पहाड़ी सफर था, मेरा तो अंग-अंग दर्द है। रहा है।
हजारी - बस के मालिक भी किराया तो यात्रियों से पूरा लेते हैं लेकिन उनकी सुविधाओं की चिंंता नहीं करते।
हरिशंकर - हजारी! तेरी उस दिन की बस यात्रा कैसी रही?
हजारी - उस दिन मेरी बस यात्रा में एक ऐसी घटना घटी कि मैं भुलाए नहीं एल सकता।
हरिशंकर - क्या हो गया था?
हजारी - मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जब बस में जा रहा था तो अचानक बस खराब हो गई। लोग डर गए।
हरिशंकर - बस के खराब होने पर लोग डर गए!
हजारी - रास्ता सुनसान था हरिशंकर!
हरिशंकर - फिर क्या हुआ?
हजारी - अचानक कंडक्टर साइकिल पर सवार होकर चला गया!
हरिशंकर - कहाँ?
हजारी - यही तो पता नहीं था। इसलिए लोग कई प्रकार की बातें करने लगे कि ड्राइवर ने तो कंडक्टर को डाकुओं को बुलाने भेज दिया है। वे ड्राइवर को मारने को उतारू थे।
हरिशंकर - फिर क्या हुआ?
हजारी - थोड़ी देर में कंडक्टर खाली बस ले आया और छोटे बच्चों के लिए दूध आदि भी।
हरिशंकर - वाह भई वाह!
हजारी - इस बात से मन गद्गद हो गया कि आज भी मानवता जिंदा है।