प्रच्छन्न बेरोज़गारी और मौसमी बेरोज़गारी में क्या अंतर है?
मौसमी बेरोज़गारी- मौसमी बेरोज़गारी तब होती है, जब लोग वर्ष के कुछ महीनों में रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते हैl कृषि पर आश्रित लोग आमतौर पर इस तरह की समस्या से जूझते हैl वर्ष के कुछ मौसम होते है जब बुआई, कटाई, निराई और गहाई होती हैl कुछ विशेष महीनों में कृषि पर आश्रित लोगो को अधिक काम नहीं मिल पाता।
प्रच्छन्न बेरोज़गारी- कई बार एक नौकरी या कार्य में एक से ज्यादा व्यक्ति कार्यरत हो जबकि उस कार्य विशेष के लिए लोगों की इतनी आवश्यकता न हो ऐसी स्थिति को प्रच्छन्न बेरोज़गारी कहा जाता हैl उदाहरण के लिए यदि कही खेती को करने के लिए पाँच लोगो की आवश्यकता होती है, लेकिन आठ लोग लगे रहते है। इसमें तीन लोग अतिरिक्त हैl यदि तीन लोगो को हटा दिया जाये, तो खेती के उत्पादन में कमी नहीं आएगी। खेत में पाँच लोगों के काम की आवश्यकता है और तीन अतिरिक्त लोग प्रच्छन्न रूप से बेरोजगार होते है।



