एक चित्र के माध्यम से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं।
i) ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में हवा के माध्यम से यात्रा करती हैं।
ii) एक कंपमान स्वरित्र द्विभुज द्वारा उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों पर विचार कीजिए, जैसा कि इस चित्र में दर्शाया गया है।

चित्र: वायु में ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता स्वरित्र द्विभुज
iii) कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाएँ पहले आगे के क्षेत्र (B1) की ओर कंपन करती हैं जिसे संपीडन कहते हैं (C क्षेत्र)।
iv) कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाएँ फिर पीछे के क्षेत्र (B2) की ओर कंपन करती हैं जिसे विरलन कहते हैं (R क्षेत्र)।
v) इसी प्रकार कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाएँ आगे पीछे गति करती हैं तथा संपीडन और विरलन की श्रेणी बन जाती है।