‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।
‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी की मूल संवेदना दो पीढ़ियों के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी के आदर्शो और मूल्यों से जुड़े हैं जबकि उनके बेटे नई पीढ़ी के अनुसार जीने मैं विश्वास रखते हैं। लेखक ने इस कहानी में दोनों पीढ़ियों के अंतर को कुशलतापूर्वक अभिव्यक्त किया है। यशोधर बाबू की पत्नी स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल ढाल लेती है अत: वह जीवन में मरुत रहती है। कहानीकार ने इस पीढ़ी अंतराल को प्रतीकात्मक ढंग-से व्यक्त किया है। उनके बेटों और बेटी के रहन-सहन नये जमाने के हिसाब से हैं। उनका सोचना भी नये सामाजिक मूल्यों पर विकसित हुआ है। यशोधर जी जिन सामाजिक मूल्यों को बचाकर रखना चाहते हैं, उन सामाजिक मूल्यों का नयी पीढ़ी के लिए कोई महत्त्व नहीं है। इसी तरह नये ढंग के कपड़े पहनना भी नयी पीढ़ी की विशेषता है। इस तरह यह कहानी पूरी तरह पीढ़ी अंतराल की कहानी कहती है।