‘जूझ’ उपन्यास के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
‘जूझ’ में लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। समस्याएँ तो जीवन में आती ही रहती हैं। हमें इन समस्याओं से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए। संघर्षों से जूझने के लिए आत्मविश्वास का होना जरूरी है। आत्मविश्वास के अभाव में व्यक्ति संघर्ष नहीं कर सकता। जो व्यक्ति संघर्ष करता है अंतत: सफलता मिलती ही है।
संघर्ष मानव जीवन की नियति है। जीवन में संघर्ष का रूप बदलता रहता है। संघर्ष न करने से मानव-जीवन एकाकी एवं नीरस बन जाता है। इस संघर्षों से जूझकर व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुँच सकता है। लेखक स्वयं भी संघर्षशील था। वह अत्यंत कठिन परिस्थितियों में पड़ा था। अंत में उसने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया।