श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें, जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई।
अथवा
कविता के प्रति रुचि जगाने में शिक्षक की भूमिका पर ‘जूझ’ कहानी के आधार पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री सौंदलगेकर के व्यक्तित्व की उन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए जिनके कारण ‘जूझ’ के लेखक के मन में कविता के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ।
अथवा
श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं का उल्लेख करें जिन्होंने कविताओं के प्रति ‘जूझ’ पाठ के लेखक के मन में रुचि जगाई।
श्री सौंदलगेकर मराठी के अध्यापक थे। पढ़ाते समय वे स्वयं में रम जाते थे। उनके कविता पड़ाने का अंदाज बहुत ही अच्छा था। वह सुरीले गले के साथ छंद की बढ़िया चाल के साथ कविता पढ़ाते थे। उन्हें नयी-पुरानी मराठी एवं अंग्रेजी कविताएँ अच्छी तरह याद थीं। कविताओं से संबंधित अनेक छंदों की लय, गति और ताल पर उनकी अच्छी पकड़ थी। पढ़ाते समय पहले कविता गाकर सुनाते थे। फिर छात्रों को अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते थे। उसी भाव में किसी अन्य कवि की कविता भी सुनाते थे। कविता पढ़ाते हुए मराठी के प्रसिद्ध कवियों जैसे-कवि यशवंत, बा. भ. बोरकर, भा. रा. ताम्बे, गिरीश, केशव कुमार आदि के साथ अपनी मुलाकात की बातें छात्रों को बताते थे। श्री सौंदलगेकर मराठी भाषा में स्वयं कविता भी लिखते थे। कभी-कभी छात्रों को अपनी कविता भी सुनाते थे। उनके अध्यापन की इन विशेषताओं का लेखक के बालपन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा। उनकी कक्षा में पढ़ते हुए उसे स्वयं का भी ध्यान नहीं रहता था। इस तरह उसके मन में कविता के प्रति रुचि पैदा हो गई।