निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
चैप्लिन का चमत्कार यही है कि उनकी फिल्मों को पागलखाने के मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइन्सटाइन जैसे महान प्रतिभा वाले व्यक्ति तक कहीं एक स्तर पर और कहीं सूक्ष्मतम रसास्वादन के साथ देख सकते हैं। चैप्लिन ने न सिर्फ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। यह अकारण नहीं है कि जो भी व्यक्ति, समूह या तंत्र गैर-बराबरी नहीं मिटाना चाहता वह अन्य संस्थाओं के अलावा चैप्लिन की फिल्मों पर भी हमला करता है। चैप्लिन भीड़ का वह बच्चा है जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है कि जितना मैं हूँ और भीड़ हँस देती है। कोई भी शासक या तंत्र जनता का अपने ऊपर हँसना पसंद नहीं करता। एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा होना, बाद में भयावह गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना, साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज द्वारा दुरदुराया जाना-इन सबसे चैप्लिन को वे जीवन-मूल्य मिले जो करोड़पति हो जाने के बावजूद अंत तक उनमें रहे। अपनी नानी की तरफ से चैप्लिन खानाबदोशों से जुड़े हुए थे और यह एक सुदूर रूमानी संभावना बनी हुई है कि शायद उस खानाबदोश औरत में भारतीयता रही हो क्योंकि यूरोप के जिप्सी भारत से ही गए थे-और अपने पिता की तरफ से वे यहूदीवंशी थे। इन जटिल परिस्थितियों ने चार्ली को हमेशा एक ‘बाहरी’, ‘घुमंतू’ चरित्र बना दिया।
1. चैप्लिन का क्या चमत्कार है?
2. चैप्लिन ने क्या काम करके दिखाया?
3. चैप्लिन का जीवन किन परिस्थितियों में बीता?
4. नानी का उन पर क्या प्रभाव पड़ा?
1. चैप्लिन का सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि उनकी फिल्मों को पागल से लेकर बुद्धिमान व्यक्ति तक देखते हैं। पागलखाने का मरीज विकल मस्तिष्क वाला तथा प्रतिभासंपन्न व्यक्ति अर्थात् सभी स्तर के लोग उनकी फिल्मों को रस लेकर देखते हैं।
2. चैप्लिन ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान किया तथा दर्शकों की वर्ग एवं वर्ण व्यवस्था को तोड़कर दिखाया। चार्ली ने बताया कि राजा भी उतना ही नंगा है जितना वह है।
3. चैप्लिन का जीवन अत्यंत विषम परिस्थितियों में बीता। उसकी माँ परित्यक्ता एवं स्टेज की अभिनेत्री थी। चार्ली को गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना पड़ा। उसे औद्योगिक घरानों एवं सामंतों से भी टक्कर लेनी पड़ी।
4. चार्ली की नानी खानाबदोश थी। वे अपने पिता की तरफ से यहूदी वंशी थे। इन जटिल परिस्थितियों ने चार्ली को ‘घुमंतू’ चरित्र के रूप में ढाल दिया।