निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
चार्ली पर कई फिल्म समीक्षकों ने नहीं, फिल्म कला के उस्तादों और मानविकी के विद्वानों ने सिर धुनें हैं और उन्हें नेति-नेति कहते हुए भी यह मानना पड़ता है कि चार्ली पर कुछ नया लिखना कठिन होता जा रहा है। दरअसल सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते, कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता है, जो करोड़ों लोग चार्ली को देखकर अपने पेट दुखा लेते हैं उन्हें मैल ओटिंगर या जेम्स एजी की बेहद सारगर्भित समीक्षाओं से क्या लेना-देना? वे चार्ली को समय और भूगोल से काट कर देखते हैं और जो देखते हैं उसकी ताकत अब तक ज्यों-की-त्यों बनी हुई है। यह कहना कि वे चार्ली में खुद को देखते हैं दूर की कौड़ी जाना है लेकिन बेशक जैसा चार्ली वे देखते हैं वह उन्हें जाना-पहचाना लगता है, जिस मुसीबत में वह अपने को हर दसवें सेकंड में डाल देता है वह सुपरिचित लगती है। अपने को नहीं लेकिन वे अपने किसी परिचित या देखे हुए को चार्ली मानने लगते हैं।
1. चार्ली पर समीक्षकों को क्या मानना पड़ता है?
2. कला और सिद्धात के बारे में क्या बताया गया है?
3. समीक्षक चार्ली को किस प्रकार से देखते हैं?
4. चार्ली कैसा लगता है?
1. चार्ली पर फिल्म समीक्षकों तथा विद्वानों ने अपना सिर धुना है और कहा है कि चार्ली पर कुछ नया लिखना कठिन होता जा रहा है अर्थात् बहुत कुछ लिखा जा रहा है। पर यह सच नहीं है अभी उन पर काफी लिखा जाना शेष है।
2. सिद्धांत कला को उत्पन्न नहीं करते। इसके विपरीत कला या तो स्वयं अपने सिद्धांत लेकर आती है या सिद्धांतों का निर्माण बाद में किया जाता है।
3. समीक्षक चार्ली को समय और भूगोल से काटकर देखते हैं। वे जो देखते हैं उसकी ताकत अब तक वैसी ही बनी हुई है जैसी पहले थी।
4. चार्ली उन्हें जाना-पहचाना लगता है। वह अपने को हर दसवें सेकंड में जिस मुसीबत में डाल देता है वह सुपरिचित सी लगती है। वे देखे हुए व्यक्ति को चार्ली मानने लगते हैं।