निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये-
इसलिए भारत में चैप्लिन के इतने व्यापक स्वीकार का एक अलग सौंदर्यशास्त्रीय महत्व तो है ही, भारतीय जनमानस पर उसने जो प्रभाव डाला होगा उसका पर्याप्त मूल्यांकन शायद अभी होने को है। हास्य कब करुणा में बदल जाएगा और करुणा कब हास्य में परिवर्तित हो जाएगी इससे पारंपरीण या सैद्धांतिक रूप से अपरिचित भारतीय जनता ने उस ‘फिनोमेनन’ को यूँ स्वीकार किया जैसे बतख पानी को स्वीकारती है। किसी ‘विदेशी’ कला-सिद्धांत को इतने स्वाभाविक रूप से पचाने से अलग ही प्रश्न खड़े होते हैं और अंशत: एक तरह की कला की सार्वजनितकता को ही रेखांकित करते हैं।
1. अभी चार्ली के बारे में क्या कुछ होना शेष है?
2. क्या किसमें परिवर्तित हो जाता है?
3. इसे भारतीय जनता किस रूप में स्वीकार करती है?
4. हम कला की किस बात को रेखांकित करते हैं?
1. अभी चार्ली के भारत में व्यापक स्वीकार किए जाने का पता चला है, पर उसने भारतीय जनमानस पर जो व्यापक प्रभाव डाला है, उसका पर्याप्त मूल्यांकन होना अभी शेष है।
2. हास्य करुणा में और करुणा हास्य में परिवर्तित हो जाता है। ऐसा कब और क्यों होता है, यह प्रश्न विचारणीय है।
3. सैद्धांतिक रूप से अपरिचित भारतीय जनता इस फिनोमेनन (प्रघटना) को इस प्रकार स्वीकार करती है जैसे बतख पानी को स्वीकार करती है।
4. हम एक तरह की कला की सार्वजनिकता को ही रेखांकित करते हैं।