आपके विचार से मूक और सवाक् फिल्मों में से किसमें ज्यादा परिश्रम करने की आवश्यकता है और क्यों?
हमारे विचार से मूक फिल्मों में ज्यादा परिश्रम करने की आवश्यकता है क्योंकि इनमें भाषा का इस्तेमाल नहीं होता, इसलिए ज्यादा-से-ज्यादा मानवीय होना पड़ता है। सवाक् फिल्मों के कॉमेडियन चार्ली तक नहीं पहुँच पाए। इसकी पड़ताल होनी बाकी है। मूक फिल्मों में सिर्फ हाव-भाव से ही अपनी बात कही जाती है जबकि सवाक् फिल्मों में आधा काम तो संवाद ही कर देते हैं। मूक अभिनय से दूसरों को हँसाना तो और भी कठिन काम है।