सामान्यत: व्यक्ति अपने ऊपर नहीं हँसते, दूसरों पर हँसते हैं। कक्षा में ऐसी घटनाओं का जिक्र कीजिए जब-
(क) आप अपने ऊपर हँसे हो ;
(ख) हास्य करुणा में या करुणा हास्य में बदल गई हो।
(क) एक बार मैंने दूसरे को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया। उसने मुझे ही बेवकूफ बना दिया तब मुझे अपने ऊपर ही हँसी आ गई।
(ख) एक बार की बात है कि किसी मित्र की हँसी उड़ा रहा था और उस पर हँस रहा था। उसे यह बात इतनी चुभ गई कि वह बेहोश होकर गिर पड़ा। तब मेरा हास्य करुणा में बदल गया। मुझे उसकी दशा पर बड़ी दया आई।