यदि यह वर्ष चैप्लिन की जन्मशती का न होता तो भी चैप्लिन के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण वर्ष होता क्योंकि आज उनकी पहली फिल्म ‘मेकिंग ए लिविंग’ के 75 वर्ष पूरे होते हैं। पौन शताब्दी से चैप्लिन की कला दुनिया के सामने है और पाँच पीढ़ियों को मुग्ध कर चुकी है। समय, भूगोल और सांस्कृतिक की सीमाओं से खिलवाड़ करता हुआ चार्ली आज भारत के लाखों बच्चों को हँसा रहा है जो उसे अपने बुढ़ापे तक याद रखेंगे। पश्चिम में तो बार-बार चार्ली का पुनर्जीवन होता ही है, विकासशील दुनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन और वीडियो का प्रसार हो रहा है, एक बहुत बड़ा दर्शक वर्ग नए सिरे से चार्ली को ‘घड़ी सुधारते’ या जूते ‘खाने’ की कोशिश करते हुए देख रहा है। चैप्लिन की ऐसी कुछ फिल्में या इस्तेमाल न की गई रीलें भी मिली हैं जिनके बारे में कोई जानता न था। अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्ष तक काफी कुछ कहा जाएगा।