भक्तिन का जीवन कैसा रहा?
भक्तिन का जीवन शुरू से ही दु:खमय रहा। उसे अपने मायके (पितृगृह) में विमाता से भेदभावपूर्ण व्यवहार मिला। विवाह के बाद उसने तीन लड़कियों को जन्म दिया। इसी कारण उसे सास तथा जेठानियों के दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा। 36 वर्ष की आयु में विधवा हो गई। ससुराल वालों ने उसकी सारी जायदाद छीनने की कोशिश की, परंतु वह उनसे संघर्ष करती रही। उसने बेटियों का विवाह किया। जिस दामाद को घर जमाई बनाया वह भी शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। इस प्रकार उसका पूरा जीवन दु:खों से भरा रहा।