निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
भक्तिन के संस्कार ऐसे हैं कि वह कारागार से वैसे ही डरती है, जैसे यमलोक से। ऊँची दीवार देखते ही, वह खि मूँदकर बेहोश हो जाना चाहती है। उसकी यह कमजोरी इतनी प्रसिद्धि पा चुकी है कि लोग मेरे जेल जाने की संभावना बता-बताकर उसे चिढ़ाते रहते हैं। वह डरती नहीं, यह कहना असत्य होगा; पर डर से भी अधिक महत्व मेरे साथ का ठहरना है। चुपचाप मुझसे पूछने लगती है कि वह अपनी दै धोती साबुन से साफ कर ले, जिससे मुझे वहाँ उसके लिए लज्जित न होना पड़े। क्या-क्या सामान बाँध ले, जिससे मुझे वहाँ किसी प्रकार की असुविधा न हो सके। ऐसी यात्रा में किसी को किसी के साथ जाने का अधिकार नहीं, यह आश्वासन भक्तिन के लिए कोई मूल्य नहीं रखता। वह मेरे न जाने की कल्पना से इतनी प्रसन नहीं होती, जितनी अपने साथ न जा सकने की संभावना से अपमानित। भला ऐसा अँधेर हो सकता है। जहाँ मालिक वहाँ नौकर-मालिक को ले जाकर बंद कर देने में इतना अन्याय नहीं; पर नौकर को अकेले मुक्त छोड़ देने में पहाड़ के बराबर अन्याय है। ऐसा अन्याय होने पर भक्तिन को बड़े लाट तक लड़ना पड़ेगा। किसी की माई यदि बड़े लाट तक नहीं लड़ी, तो नहीं लड़ी; पर भक्तिन का तो बिना लड़े काम ही नहीं चल सकता।
1. भक्तिन किस बात से डरती है और क्यों?
2. डरकर वह क्या पूछने लगती है?
3. वह किस बात से स्वयं को अपमानित अनुभव करती है?
4. भक्तिन किस बात पर बड़े लाट तक लड़ना चाहती है?
1. भक्तिन कारागार (जेल) से वैसे ही डरती है जैसे वह यमलोक से डरती है। इसका कारण यह है कि भक्तिन के संस्कार ही कुछ इस प्रकार के हैं। ऊँची दीवार देखकर ही वह आँख मूँदकर बेहोश हो जाती है।
2. लेखिका के जेल जाने की संभावना से डरकर भक्तिन उनसे यह पूछने लगती है कि वह क्या-क्या सामान बाँध ले ताकि वहाँ असुविधा का सामना न करना पड़े।
3. जब वह जानती है कि वह वहाँ लेखिका के साथ नहीं जा पाएगी तो वह इस संभावना से स्वयं को अपमानित अनुभव करती है।
4. भक्तिन की दृष्टि में यह सबसे बड़ा अन्याय है कि मालिक को तो बंद कर दिया जाए और नौकर को अकेले मुका छोड़ दिया जाए। यह अन्याय है और वह इसके खिलाफ बड़े लाट तक जाएगी और लड़ाई करेगी। भक्तिन यह लड़ाई अवश्य लड़ेगी।