निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुःख ही अधिक है। जब उसने गेहुएँ रंग और बटिया जैसे मुख वाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उचित भी था क्योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर मचिया के ऊपर विराजमान पुरखिन के पद पर अभिषिक्त हो चुकी थी ओर दोनों जिठानियाँ काक-भुशंडी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार थीं। छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के कारण उसे दंड मिलना आवश्यक हो गया।
जिठानियाँ बैठकर लोक-चर्चा करतीं और उनके कलूटे लड़के धूल उड़ाते; वह मट्ठा फेरती, कुटती, पीसती, राँधती और उसकी नन्हीं लड़कियाँ गोबर उठातीं, कडे पाथती। जिठानियाँ अपने भात पर सफेद राब रखकर गाढ़ा दूध डालती और अपने लड़कों को औटते हुए दूध पर से मलाई उतारकर खिलाती।। वह काले गुड़ की डली के साथ कठौती में मरा पाती और उसकी लड़कियाँ चने-बाजरे की घुघरी चबातीं।
1. पाठ तथा लेखिका का नाम बताइए।
2. लछमिन के जीवन के दूसरे परिच्छेद में क्या हुआ?
3. जिठानियाँ क्या करती थीं?
4. लछमिन की लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था?
1. पाठ का नाम: भक्तिन।
लेखिका का नाम: महादेवी वर्मा।
2. लछमिन के जीवन के दूसरे परिच्छेद अर्थात् भाव में भी दु:ख था। उसके तीन बेटियाँ हुई, जो गेहुएँ रंग और बटिया जैसे मुख वाली थीं। इन बेटियों के कारण वह सास एवं जिठानियों की उपेक्षा का शिकार बनी।
3. जिठानियाँ हर समय लोक-चर्चा अर्थात् दूसरों की चर्चा करती रहती थीं। वे मट्ठा फेरती, कूटती, पीसती और खाना पकातीं। वे भात पर सफेद राब रखकर गाढ़ा दूध डालतीं और अपने लड़कों को दूध की मलाई खिलाती थीं। वे स्वयं काम न करके लछमिन से और उसकी लड़कियों से काम करवाती थीं।
4. लछमिन की लड़कियों के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया जाता था। उनसे गोबर उठवाया जाता तथा कंडे पथवाए जाते थे। उन्हें खाने के लिए भी चने-बाजरे की घुघरी मिलती थी।