निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
एक दिन माँ की अनुपस्थिति में वर महाशय ने बेटी की कोठरी में घुसकर भीतर से द्वार बंद कर लिया और उसके समर्थक गाँव वालों को बुलाने लगे। अहीर युवती ने जब इस डकैत वर की मरम्मत कर कुंडी खोली, तब पंच बेचारे समस्या में पड़ गये। तीतरबाज युवक कहता था, वह निमंत्रण पाकर भीतर गया और युवती उसके मुख पर अपनी पाँचों उँगलियों के उभार में इस निमंत्रण के अक्षर पढ़ने का अनुरोध करती थी। अंत में दुध-का-दूध पानी-का-पानी करने के लिए पंचायत बैठी और सबने सिर हिला-हिलाकर इस समस्या का मूल कारण कलियुग को स्वीकार किया। अपीलहीन फैसला हुआ कि चाहे उन दोनो में एक सच्चा हो चाहे दोनों झुठे; पर जब वे एक कोठरी से निकले, तब उनका पति-पत्नी के रूप में रहना ही कलियुग के दोष का परिमार्जन कर सकता है। अपमानित बालिका ने ओठ काटकर लहू निकाल लिया और माँ ने आग्नेय नेत्रों से गले पड़े दामाद को देखा। संबंध कुछ सुखकर नहीं हुआ, क्योंकि दामाद अब निश्चित होकर तीतर लड़ाता था और बेटी विवश क्रोध से जलती रहती थी। इतने यत्न से सँभाले हुये गाय-डोर, खेती-बारी अब पारिवारिक द्वेष में ऐसे झुलस गए कि लगान अदा करना भी भारी हो गया, सुख से रहने की कौन कहे। अंत में एक बार लगान न पहुँचने पर जमींदार ने भक्तिन को बुलाकर दिन भर कड़ी धूप में खड़ा रखा। यह अपमान तो उसकी कर्मठता में सबसे बड़ा कलंक बन गया, अत: दूसरे ही दिन भक्तिन कमाई के विचार से शहर आ पहुँची।
1. एक दिन बेटी के साथ क्या घटित हुआ?
2. बेटी ने डकैत वर के साथ क्या व्यवहार किया?
3. पंचायत ने किस आधार पर क्या निर्णय दिया?
4. दामाद क्या करता था और बेटी किस स्थिति में रहती थी?
5. घर की आर्थिक स्थिति कैसी हो गई?
1. एक दिन बेटी की माँ की अनुपस्थिति में वर महाशय उसकी कोठरी में घुस गया और उसने भीतर से दरवाजा बंद कर लिया। उसके समर्थकों ने गाँव वालों को भी बुला लिया।
2. बेटी ने डकैत वर के गाल पर पाँचों उँगलियाँ छाप दी थीं अर्थात् थप्पड़ मारा था। इससे स्पष्ट था कि उसने उसे कोई निमंत्रण नहीं दिया था।
3. पंचायत ददूध-का-दूधपानी-का-पानी करने के इरादे से बैठी। कलियुग का प्रभाव स्वीकार करते हुए भी यह अपीलहीन फैसला हुआ कि चाहे कोई सच्चा है या झूठा पर कुछ समय के लिए पति-पत्नी के रूप में रहे हैं अत: उन्हें अब विवाह करके ही रहना होगा। इसी से दोष का परिमार्जन हो सकता है।
4. दामाद निश्चित होकर तीतर लड़ाता था और बेटी विवश होकर क्रोध में जलती रहती थी।
5. घर की आर्थिक स्थिति निरंतर गिरती चली गई। सुख से रहने की बात तो रही नहीं। वे लगान तक चुकाने में असमर्थ हो गए थे। एक बार भक्तिन को सजा के तौर पर सारे दिन कड़ी धूप में खड़ा रहना पड़ा था। भक्तिन को कमाई के लिए शहर में जाना पड़ा।