निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
इस दंड-विधान के भीतर कोई ऐसी धारा नहीं थी, जिसके अनुसार खोटे सिक्कों की टकसाल-जैसी पत्नी से पति को विरक्त किया जा सकता। सारी चुगली-चबाई की परिणति, उसके पत्नी-प्रेम को बढ़ाकर ही होती थी। जिठानियाँ बात-बात पर धमाधम पीढी-कटी जातीं; पर उसके पति ने उसे कभी उँगली भी नहीं छुआई। वह बड़े बाप की बड़ी बात वाली बेटी को पहचानता था। इसके अतिरिक्त परिश्रमी, तेजस्विनी और पति के प्रति रोम-रोम से सच्ची पत्नी को वह चाहता भी बहुत रहा होगा, क्योंकि उसके प्रेम के बल पर ही पत्नी ने अलगौझा करके सबको अँगूठा दिखा दिया। काम वही करती थी, इसलिए गाय-भैंस, खेत-खलिहान, अमराई के पेड़ आदि के संबंध में उसी का ज्ञान बहुत बढ़ा-चढ़ा था। उसने छाँट-छाँट कर, ऊपर से असंतोष के साथ और भीतर से पुलकित होते हुए जो कुछ लिया, वह सबसे अच्छा भी रहा, साथ ही परिश्रमी दंपति के निरंतर प्रयास से उसका सोना बन जाना भी स्वाभाविक हो गया।
1. यहाँ दंड विधान की बात क्यों की जा रही है?
2. लछमिन के पति के व्यवहार में अन्य की तुलना में क्या विचित्रता थी?
3. वह किस बात से परिचित था?
4. किस के बल पर लछमिन अपने जीवन के सघंर्ष को जीत पाई?
1. यहाँ दंड-विधान की बात लछमिन (भक्तिन) के संदर्भ में की जा रही है। इसका कारण है कि उसने तीन-तीन बेटियों को जन्म दिया पर पुत्र रत्न उत्पन्न नहीं कर सकी जबकि जिठानियों के पुत्र थे। अत: उसे दंडित करने की बात उठी। यह ठीक था कि वह खोटे सिक्के ढालने वाली टकसाल के समान थी, पर उसे किसी भी दंड के द्वारा पति से अलग नहीं किया जा सकता था।
2. लछमिन के पति का व्यवहार उसके प्रति प्रेमपूर्ण था। जबकि उसके भाई अपनी पत्नियों की पीटा-कूटी (मारपीट) करते रहते थे पर उसने कभी भी लछमिन को उँगली तक नहीं छुआई थी। वह उसे रोम-रोम से चाहता था।
3. लछमिन का पति इस बात से भलीभांति परिचित था कि उसकी पत्नी बड़े बाप की बड़ी बात करने वाली बेटी है। इसके अतिरिक्त वह उसके परिश्रमी स्वभाव को भी जानता था।
4. पति के प्रेम के बलबूते पर ही लछमिन बँटवारा करके सबको अँगूठा दिखा पाई थी। उसका खेती एवं पशुओं के बारे में बहुत ज्ञान था। वह इसी के बलबूते पर अपने जीवन-संघर्ष को जीत पाई थी। वह काफी कुछ पा गई थी।



