आशय स्पष्ट करें-
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गंगा के मधुर गीत गाता है।
‘सस्मित-वदन’ से आशय है चेहरे पर मुस्कराहट लिए हुए। रात्रि के शांत वातावरण में जगत का स्वामी परमात्मा धीमी गति से आता जान पड़ता है। वह समुद्र-तट पर आकाश गंगा के गीत गाता प्रतीत होता है। कवि को इस प्रकार का आभास होता है।