पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?
पथिक का मन बादलों पर बैठकर नीलगगन में विचरने को करता है। वह विशाल सागर की लहरों पर बैठकर भी विचरना चाहता है।
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पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?
पथिक का मन बादलों पर बैठकर नीलगगन में विचरने को करता है। वह विशाल सागर की लहरों पर बैठकर भी विचरना चाहता है।
पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?
सूर्योदय वर्णन के लिए किस तरह के बिंबों का प्रयोग हुआ है?
आशय स्पष्ट करें-
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गंगा के मधुर गीत गाता है।
आशय स्पष्ट करें-
कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल है यह प्रेम-कहानी।
जी में है अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।
कविता में कई- स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। एसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखो।
समुद को देखकर आपके मन में क्या भाव उठते हैं? लगभग 200 शब्दों में लिखें।
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