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रामनरेश त्रिपाठी

Question
CBSEENHN11012229

पथिक:

जब गंभीर तम अर्द्ध-निशा में जग को ढक लेता है।
अंतरिक्ष की छत पर तारों को छिटका देता है।
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गंगा के मधुर गीत गाता है।
उससे ही विमुग्ध हो नभ में चंद विहँस देता है।
वृक्ष विविध पत्तों-पुष्य। से तन को सज लेता है।
पक्षी हर्ष सँभाल न सकते मुग्ध चहक उठते हैं।
फूल साँस लेकर सुख की सानंद महक उठते हैं।

Solution

प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित खंड-काव्य ‘पथिक’ से अवतरित है। कवि समुद्र-तट के सौंदर्य का वर्णन करने के पश्चात् आकाश के सौंदर्य का चित्रण करता है।

व्याख्या-कवि बताता है कि आधी रात का अंधकार सारे संसार को ढक लेता है और अंतरिक्ष की छत पर तारों को बिखेर देता है। अर्थात् आसमान में तारे निकल आते हैं। तब इस संसार का स्वामी मुसकराते मुख से धीमी गति से आता है और समुद्र-तट पर खड़ा होकर आकाश-गंगा के मीठे- मीठे गीत गाता है।

इस दृश्य सं मोहित होकर आकाश में चंद्रमा हँस देतां है अर्थात् आकाश में चंद्रमा की छटा बिखर जाती है। पेड़ भी विभिन्न प्रकार के पत्तों और फूलों से अपने शरीर को सजा लेते हैं। इम मनोहारी वातावरण में पक्षी भी अत्यधिक हर्षित हो उठते हैं। खुशी उनसे सँभाले नहीं सँभलती। फूल भी महकने लगते हैं। उन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे वे सुख की साँस ले रहे हों।

विशेष- 1. प्रकृति का मनोहारी चित्रण किया गया है।

2. कई स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।

(चंद्र का हँसना, फूल का साँस लेना)

3. ‘पत्तों-पुष्पों’ और ‘गगन-गंगा’ में अनुप्रास अलंकार है।

4. तत्सम शब्द-प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।

Some More Questions From रामनरेश त्रिपाठी Chapter

कविता में कई- स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। एसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखो।

समुद को देखकर आपके मन में क्या भाव उठते हैं? लगभग 200 शब्दों में लिखें।

प्रेम सत्य है, सुंदर है-प्रेम के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर परिचर्चा करें।

वर्तमान समय में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं - इस पर चर्चा करें और लिखें कि प्रकृति से जुड़े रहने के लिए क्या कर सकते हैं।

सागर संबंधी दस कविताओं का संकलन करें और पोस्टर बनाएँ।

‘पथिक’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

कवि को समुद कैसा प्रतीत होता है?

समुद्र-तट पर रात्रि का दृश्य कैसा होता है?

किन-किन पर मधुर प्रेम-कहानी लिखी प्रतीत होती है?

निम्नलिखित काव्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग-बिरंग निराला।
रवि के सम्मुख थिरक रही है नभ में वारिद माला।
नीचे नील समुद मनोहर ऊपर नील गगन है।
घन पर बैठ, बीच में बिचरूँ यही चाहता मन है।