Question
इस देश के कोटि-कोटि दरिद्रजनों की हीन अवस्था को दूर करने के लिए ऐसे अनेक कायदे-कानून बनाए गए हैं जो कृषि, उद्योग, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति को अधिक उन्नत और सुचारु वनाने के लक्ष्य से प्रेरित हैं, परंतु जिन लोगों को इन कार्यो में लगना है, उनका मन सब समय पवित्र नहीं होता। प्राय: वे ही लक्ष्य को अभूलजाते हैं और अपनी ही सुख-सुविधा की ओर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं।
नियमों को क्रियान्वित करने वालों का मन पवित्र क्यों नहीं होता?
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वे मन की भावनाओं को प्रमुखता नहीं देते।
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वे स्वार्थ भावना से लिप्त होते हैं।
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वे सही रूप से कार्य करने में सक्षम नहीं होते।
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वे अपने-आपको महान समझते हैं।
Solution
B.
वे स्वार्थ भावना से लिप्त होते हैं।