Vitan Bhag Ii Chapter 2 जूझ
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    NCERT Solution For Class 12 Hindi Vitan Bhag Ii

    जूझ Here is the CBSE Hindi Chapter 2 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Hindi जूझ Chapter 2 NCERT Solutions for Class 12 Hindi जूझ Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN12026708

    ‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केन्द्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?

    Solution

    शीर्षक किसी भी रचना का महत्वपूर्ण अंग होता है। शीर्षक वह केन्द्र बिन्दु है जिससे पाठक को विषयवस्तु का सामान्य एवं आकर्षक बोध हो जाता है। ‘जूझ’ शीर्षक भी अपने आप में हर तरह से औचित्यपूर्ण है। ‘जूझ’ का शाब्दिक अर्थ है-’संघर्ष’। यह शीर्षक आत्मकथा के मूरल स्वर के रूप में सर्वत्र दिखाई देता है। यह एक किशोर के देखे और भागे हुए गँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और परिवेश को विश्वसनीय ढंग से प्रतिबिम्बित भी करता है।

    कथानायक अपने जीवन में शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई स्तर पर जूझता है। वह स्वयं व्यक्तिगत स्तर पर, पारिवारिक स्तर पर, सामाजिक स्तर पर, विद्यालय के माहौल के स्तर पर, आर्थिक स्तर पर आदि इस तरह के कई स्तर पर उसका संघर्ष दिखाई देता है। स्पष्ट है कि यह शीर्षक कथानायक के पढ़ाई के प्रति जूझने की भावना को उजागर करता है। लेखक ने अपनी आत्मकथा अपनी इसी चारित्रिक विशेषता को केन्द्र में रखकर की है।

    Question 2
    CBSEENHN12026709

    स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?

    अथवा

    ‘जूझ’ कहानी के लेखक में कविता-रचना के प्रति रुचि कैसे उत्पन्न हुई? पाठ के आधार पर बताइए।

    Solution

    लेखक की पाठशाला में मराठी के मास्टर थे जिनका नाम न. वा. सौंदलोकर था। वह कविता के अच्छे रसिक एव मर्मज्ञ थे। उनकी कविता पड़ाने के अंदाज ने लेखक को कविता रचने की ओर आकर्षित किया। वह कविता पड़ता है। धीरे-धीरे उसके मन में कविता रचने की भी प्रतिभा पैदा हुई। शुरू में उसके मन मे एक डर बैठा हुआ था। उसे कवि किसी दूसरे लोक के लगते थे। सौदलगेकर मास्टर एक कवि थे। उन्होंने दूसरे कवियों के बारे में भी बताया था। इसके बाद उसे विश्वास हुआ कि कवि उसी की तरह आदमी ही होते हैं। यह विश्वास पैदा होने के बाद ही उसके मन में स्वयं कविता रच लेने का आत्म विश्वास पैदा हुआ। वह अपने आस-पास के वातावरण से जुड़ी चीजों पर तुकबंदी भी करने लगा।

    Question 3
    CBSEENHN12026711

    श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की ‌‌उन विशेषताओं को रेखांकित करें, जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई।

    अथवा

    कविता के प्रति रुचि जगाने में शिक्षक की भूमिका पर ‘जूझ’ कहानी के आधार पर प्रकाश डालिए।

    अथवा

    श्री सौंदलगेकर के व्यक्तित्व की उन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए जिनके कारण ‘जूझ’ के लेखक के मन में कविता के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ।

    अथवा

    श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं का उल्लेख करें जिन्होंने कविताओं के प्रति ‘जूझ’ पाठ के लेखक के मन में रुचि जगाई।



    Solution

    श्री सौंदलगेकर मराठी के अध्यापक थे। पढ़ाते समय वे स्वयं में रम जाते थे। उनके कविता पड़ाने का अंदाज बहुत ही अच्छा था। वह सुरीले गले के साथ छंद की बढ़िया चाल के साथ कविता पढ़ाते थे। उन्हें नयी-पुरानी मराठी एवं अंग्रेजी कविताएँ अच्छी तरह याद थीं। कविताओं से संबंधित अनेक छंदों की लय, गति और ताल पर उनकी अच्छी पकड़ थी। पढ़ाते समय पहले कविता गाकर सुनाते थे। फिर छात्रों को अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते थे। उसी भाव में किसी अन्य कवि की कविता भी सुनाते थे। कविता पढ़ाते हुए मराठी के प्रसिद्ध कवियों जैसे-कवि यशवंत, बा. भ. बोरकर, भा. रा. ताम्बे, गिरीश, केशव कुमार आदि के साथ अपनी मुलाकात की बातें छात्रों को बताते थे। श्री सौंदलगेकर मराठी भाषा में स्वयं कविता भी लिखते थे। कभी-कभी छात्रों को अपनी कविता भी सुनाते थे। उनके अध्यापन की इन विशेषताओं का लेखक के बालपन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा। उनकी कक्षा में पढ़ते हुए उसे स्वयं का भी ध्यान नहीं रहता था। इस तरह उसके मन में कविता के प्रति रुचि पैदा हो गई।

    Question 4
    CBSEENHN12026712

    कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?

    अथवा

    ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए कि कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?

    Solution

    कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक को ढोर चराते हुए, खेतों में पानी लगाते हुए या दूसरे काम करते हुए अकेलेपन की स्थिति बहुत खटकती थी। उसे कोई भी काम करना तभी अच्छा लगता था जबकि उसके साथ कोई बोलने वाला, गपशप करने वाला या हँसी-मजाक करने वाला हो। कविता के प्रति लगाव हो जाने के बाद उसकी मानसिकता में बदलाव आ गया था। उसे अब अकेलेपन से कोई ऊब नहीं होती थी। वह अपने आप से खेलना सीख गया था। पहले से उलट वह अकेला रहना अच्छा मानने लगा था। अकेले रहने से उसे ऊँची आवाज में कविता गाने अभिनय करने या नाचने की स्वतंत्रता का अनुभव होता था जो उसे असीम आनंद से भर देते थे।

    Question 5
    CBSEENHN12026713

    आपके ख्याल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

    अथवा

    आपके विचार से पड़ाई-लिखाई के संबंध में ‘जूझ’ पाठ के लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

    Solution

    लेखक विपरीत परिस्थितियों के बाद भी पढ़ना चाहता है। दत्ताजी राव उसकी उस भावना से सहमत थे। पढ़ाई-लिखाई के संबंध में इन दोनों का रवैया हर तरह से सही हैं जबकि लेखक के पिता खुद अपने बेटे को नहीं पढ़ाना चाहते हैं। आधुनिक समाज में एवं किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा के महत्त्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। शिक्षा के महत्त्व को लेखक व दत्ता जी राव दोनों अच्छी तरह जानते हैं। लेखक के पिता के लिए खेती ही सबसे महत्वपूर्ण है जबकि आधुनिक जीवन में खेती का महत्त्व लगातार कम होता जा रहा है। अत: यह सिद्ध होता है कि दत्ता जी राव और लेखक का ही रवैया सही था।

    Question 6
    CBSEENHN12026714

    दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता, तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।

    Solution

    लेखक पाठशाला जाने के लिये तड़पता है। उसके पिता ने उसे स्कूल जाने से रोक दिया है। पिता को मनाने में लेखक और उसकी माँ सफल नहीं हो पाते हैं। गाँव के सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति दत्ताजी राव अंतिम उपाय थे। लेखक और उसकी माँ उनके पास जाते हैं। उनसे दबाव डलवाने के लिये उनको एक झूठ का सहारा लेना पड़ता है। इसके बाद दत्ताजी राव के कहने पर लेखक के पिता उसको पढ़ाने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेखक पाठशाला जाना शुरू कर देता है। वहाँ दूसरे लडुकों से उसकी दोस्ती होती है। वह पढ़ने के लिए हर तरह का प्रयास करता है। मराठी के एक बहुत अच्छे अध्यापक के प्रभाव में वह कविता भी रचने लगता है। अगर वह झूठ नहीं बोला जाता तो ये सारे घटनाक्रम घटित ही नहीं होते।

    झूठ न बोलने से दत्ता जी राव उसके पिता के ऊपर दबाव नहीं दे पाते। उसके पिता अपनी तरह से लेखक के जीवन को ढालता। लेखक का संबंध पढ़ाई-लिखाई से नहीं हो पाता। उसके संघर्ष की कहानी ही नहीं बन पाती। आज जो कहानी हमें जूझने की प्रेरणा देती है, वह आज हमारे सामने नहीं होती। इस तरह झूठ का सहारा लेने से जीवन और सपनों का विकास होता है जिसके आधार पर लेखक अपनी आत्मकथा लिख पाता है।

    Question 7
    CBSEENHN12026716

    लेखक अपने पिता से पढ़ने जाने के लिए क्यों नहीं कह पाता था?

    Solution

    लेखक का मन पढ़ने के लिए तड़पता था, लेकिन वह अपने पिता से बहुत डरता था। अपने पिता के सामने यह कहने की हिम्मत उसमें नहीं थी कि वह पढ़ने जाना चाहता है। उसे डर था कि उसके पिता मार-मारकर उसकी हड्डी पसली एक कर देंगे।

    Question 8
    CBSEENHN12026717

    लेखक के पिता, लेखक से क्या चाहते थे? लेखक उनकी बात को क्यों नहीं मानता है?

    Solution

    लेखक के पिता चाहते थे कि वह खेती का काम करे। वह उसकी पढ़ाई नहीं होने देना चाहते थे। लेखक खेती के महत्त्व को अच्छी तरह समझ रहा था। वह जानता था कि खेती में पूरा जीवन गँवा देने के बाद भी कुछ लाभ नहीं होगा। खेती का महत्त्व लगातार कम हो रहा था। दादा जी के समय खेती का महत्व बहुत अधिक था। पिता के समय में यह महत्त्व कम हो गया और आज के समय में यह खेती लोगों को गड्ढे में धकेल रही है। लोगों के जीवन को कठिन बना रही है। वह पढ़ना चाहता था, जिससे पैसे कमा सके। बाद में वह कुछ व्यापार आदि भी कर सके।

    Question 9
    CBSEENHN12026718

    लेखक के पिता जल्दी ईख पेरना क्यों चाहते हैं? लेखक का विचार इस संबंध में क्या है?

    Solution

    लेखक के पिता की समझ थी कि अगर ईख पेरना के लिए जल्दी शुरू कर दिया जाय तो ईख की अच्छी खासी कीमत मिल जाती है। लेखक भी उनकी इस सोच को सही बताता है। सभी के कोख चलाने पर बाजार में गुड की अधिकता हो जाती है। गुड का भाव गिर जाता है। गुड की किस्में भी अधिक हो जाती हैं। लेखक के पिता का गुड उम्दा किस्म का नहीं होता। इसलिए पहले ईख पेरवा सही निर्णय है।

    Question 10
    CBSEENHN12026719

    लेखक की माँ का उसके पिता के बारे में क्या सोचना था? उसकी माँ ने उसका साथ किस प्रकार दिया?

    Solution

    लेखक की माँ, उसके पिता यानि अपने पति के व्यवहार को अच्छी तरह जानती थी। वह जानती थी कि उसको पढ़ना बिलकुल अच्छा नहीं लगता है। पढ़ाई की बात से ही वह खतरनाक जानवर की तरह गुर्राता है। इसके लिए वह उसे ‘बरहेला सूअर’ कहती है। फिर भी उसने अपने बेटे का साथ देने का निर्णय किया। वह उसके साथ दत्ता जी राव के पास जाने के लिए तैयार हो गई।

    Question 11
    CBSEENHN12026720

    दत्ता जी राव के पास जाने के बाद लेखक की माँ ने उन्हें किस बात का विश्वास दिलाया?

    Solution

    दत्ता जी राव के पास जाने के बाद लेखक की माँ अपने पति के बारे में सभी बातें बता देती है। उसने उनको यह भी बताया कि उसका पति सारा दिन बाजार में रसमाबाई के पास गुजार देता है। वह खेती के काम में हाथ भी नहीं लगाता रहे, उसका पूरे गाँव में आजादी के साथ घूमने को मिलता रहे, इसलिए वह लेखक की पढ़ाई बंद कराकर उससे खेती करवाना चाहता है। लेखक की माँ ने दत्ताजी राव को उन्ही बातों का विश्वास दिलाया था।

    Question 12
    CBSEENHN12026722

    लेखक ने दत्ताजी राव को किस बात का विश्वास दिलाया?

    Solution

    लेखक ने दत्ताजी राव कौ अपनी पढ़ाई के बारे में विश्वास दिलाया। वह कहता है कि अभी जनवरी का महीना है। पाँचवीं की परीक्षा का दिन नजदीक आ गया है। वह दो महीने मैं पाँचवीं की सारी तैयारी कर लेने की बात करता है। वह कहता है कि परीक्षा में पास हो जायेगा। इस तरह उसका साल बच जायेगा। खेती में काम करने से उसके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

    Question 13
    CBSEENHN12026723

    दत्ता जी राव के सामने लेखक के पिता ने उसकी पढ़ाई रोक देने के क्या कारण बताये हैं?

    Solution

    दत्ता जी राव के सामने लेखक के पिता ने उसकी पढ़ाई रोक देने का कारण गलत आदत पड़ जाना बताया। वह बताता है कि गलत-सलत आदत पड़ गई थी इसीलिए पाठशाला जाने से रोक दिया है। इन गलत आदतों में वह कडे बेचना, चारा बेचना, सिनेमा देखना, खेलने जाना, खेत और घर के काम में ध्यान न लगाना आदि गिनाता है।

    Question 14
    CBSEENHN12026724

    पड़ाने के लिए लेखक के पिता ने क्या-क्या शर्त रखी?

    अथवा

    दादा ने मन मारकर अपने बच्चे को स्कूल भेजने की बात मान तो ली, पर खेती-बड़ी के बारे में उससे क्या-क्या वचन लिए? ‘जूझ’ के आधार पर उत्तर दीजिए।

    Solution

    पढ़ाने के लिए लेखक के पिता ने कई तरह की शर्त सामने रखी। अपनी शर्तो को वह लेखक से मनवा लेते हैं। उसके लिए तय होता है कि ग्यारह बजे पाठशाला जाने से पहले खेत पर काम करना होगा। ग्यारह बजने तक खेत में पानी लगाना होगा। सवेरे खेत पर जाते समय ही बस्ता लेकर जाना होगा। छुट्टी होने के बाद घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना होगा। अगर किसी दिन खेत में ज्यादा काम होगा तो उसे पाठशाला नहीं जाना होगा। लेखक अपने पिता की सारी शर्तो को मान लेता है।

    Question 15
    CBSEENHN12026725

    लेखक को मास्टर की छड़ी की मार अच्छी क्यों लगती है?

    Solution

    लेखक को पढ़ना सबसे अच्छा लगता है। वह उसके लिए कुछ भी सहने के लिए तैयार रहता था। अपने पिता की सारी शर्तें मान लेता है। इसी तरह उसे खेती की काम की चक्की में पिसने की जगह मास्टर की हड्डी की मार सहना अच्छा लगता था क्योंकि इस काम में उसकी रुचि थी।

    Question 16
    CBSEENHN12026727

    दुबारा पाठशाला जाने के बाद लेखक का पहले दिन का अनुभव कैसा रहा?

    Solution

    दुबारा पाठशाला जाने के बाद लेखक का पहले दिन का अनुभव बहुत खराब था। उसे अपने से कम उम्र के बच्चों के साथ बैठना पड़ा। इन लडुकों को वह अपने से कम अक्ल का समझता था। कक्षा के सबसे शरारती लड़के सहगल ने उसकी खिल्ली उड़ाई। खिल्ली उड़ाने के बाद उसने लेखक का गमछा भी खींच लिया। वह गमछा फट जाने की आशंका से डर गया। इसी प्रकार बीच की छुट्टी में उसकी धोती की काछ भी खींचने की कोशिश उछ लड़के ने दोबारा की। उसे अपनी कक्षा पराई सी लगने लगी।

    Question 17
    CBSEENHN12026728

    बसंत पाटील को लेखक ने अपना दोस्त बनाने की कोशिश क्यों की?

    Solution

    बसंत पाटील बहुत होशियार छात्र था। वह शांत स्वभाव का था। उसके सवाल हमेशा सही निकलते थे। उसका पढ़ाई में बहुत ज्यादा मन लगता था। वह घर से पूरी तैयारी करके आता था। कक्षाध्यापक ने उसे कक्षा मानिटर बना दिया था। वह मास्टर के पास पहली बेंच पर बैठता था। वह दूसरों के सवालों की जाँच भी कर लेता था। इस तरह कक्षा में उसका बहुत सम्मान था। इन्हीं सब कारणों से लेखक बसंत पाटील से दोस्ती कराना चाहा।

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    Question 18
    CBSEENHN12026729

    लेखक बचपन में कविताएँ किस तरह लिखता है?

    Solution

    लेखक को यह विश्वास था कि वह अपने आस-पास, अपने गाँव, अपने खेतों से जुड़े कई दृश्यों पर कविता बना सकता है। वह भैंस चराते-चराते फसलों पर या जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। कविता लिखने के लिए उसने अपने पास कागज और पेंसिल भी रखना शुरू कर दिया। उसके न होने पर लकड़ी के छोटे टुकड़े से भैंस की पीठ पर लिखता था या पत्थर की शिला पर कंकड़ से लिख लेता था। कविता पूरी तरह याद कर लेने या लिख लेने पर उसे अपने मास्टर को दिखा लेता था।

    Question 19
    CBSEENHN12026731

    सौंदलगेकर कौन थे तथा उनकी क्या विशेषता थी?

    Solution

    श्री सौंदलगेकर मराठी भाषा के अध्यापक थे। वे मराठी भाषा को बड़ी रुचि लेकर पढ़ाते थे। उनके पड़ाने का ढंग दूसरों से अलग था। वे पढ़ाई कराने में पूरी तरह रम जाते थे। उन्हें छंद तथा सुरों का अच्छा ज्ञान था। उनका स्वर मधुर था। वे गा-गाकर कविता पाठ करवाते थे। वे कविता गाते समय अभिनय भी करते थे। उनकी इन बातों से आनंदा बहुत प्रभावित हुआ।

    Question 20
    CBSEENHN12026732

    खेतों पर आनंदा क्या-क्या काम करता था?

    Solution

    खेतों पर आनंदा सारे दिन निराई-गुड़ाई का काम करता था। वह फसलों की रक्षा भी करता था। ईख पेरने के लिए वह कोल्हू भी चलाता था। इसके अलावा उसे भैंसें भी चरानी पड़ती थीं। इसके बावजूद उसे पिता का गुस्सा भी झेलना पड़ता था।

    Question 21
    CBSEENHN12026733

    पढ़ाई के बारे में आनंदा क्या सोचता था?

    Solution

    आनंदा पढ़ाई के बारे में यह सोचता था कि यदि वह पढ़-लिख जाता तो कोई अच्छा रोजगार कर सकता था। पढ़े-लिखे लोगों को अच्छी नौकरी मिल जाती है। नौकरी मिल जाने के बाद वह सुख का जीवन बिता सकेगा। इसीलिए वह पढ़ने-लिखने की बात सोचता था। पढ़-लिखकर वह अच्छा आदमी बनना चाहता था।

    Question 22
    CBSEENHN12026735

    आनंदा का पिता कोख क्यों चलवाता था?

    Solution

    आनंद का पिता जल्दी कोख चलवा देता था। वह सोचता था कि यदि कोख जल्दी चलवा दिया जाए तो ईख की अच्छी कीमत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। उनके कोख सै निकलने वाला गुड अच्छी गुणवत्ता का नहीं होता था, परंतु उस समय कोई भी कोख नहीं चलाता था। इसलिए उनके गुड की माँग अधिक रहती थी और वे अपनी ईख की अच्छी कीमत वसूल कर लेते थे।

    Question 23
    CBSEENHN12026736

    पाठशाला में आनंदा का पहला अनुभव कैसा रहा?

    Solution

    दत्ता जी के कहने पर आनंदा फिर से पाँचवीं कक्षा में जाकर बैठने लगा। उसके नाम के आगे पाँचवीं ‘नापास’ की टिप्पणी लगी हुई थी। पहले दिन उसे उन्हीं लड़कों ने पहचाना जो उसी की गली के थे। आनंदा को यह सब बुरा लगा। उसने सोचा कि उसे उन लड़कों के साथ बैठना पड़ेगा जिन्हें वह मंदबुद्धि समझता था। उसके साथ के सभी लड़के अगली कक्षाओं में चले गए थे। वह स्वयं को अकेला महसूस करने लगा। इस प्रकार आनंदा का पाठशाला में पहला अनुभव अच्छा नहीं रहा।

    Question 24
    CBSEENHN12026737

    ‘जूझ’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    ‘जूझ’ के उद्देश्य हैं:
    गाँव के खुरदरे यथार्थ और परिवेश को प्रस्तुत करना।
    अस्त-व्यस्त निम्न-मध्य वर्गीय ग्रामीण समाज और लड़ते-जुझते किसान मजदूरों की समस्याओं को उजागर करना।
    छात्रों में पढ़ने-लिखने साहित्य और संगीत के प्रति रुचि उत्पन्न करना।

    Question 25
    CBSEENHN12026738

    ‘जूझ’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी लिखिए।

    अथवा

    ‘जूझ’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    शीर्षक किसी भी रचना का महत्वपूर्ण अंग होता है। शीर्षक वह केंद्रबिंदु है जिससे पाठक को विषयवस्तु का सामान्य एवं आकर्षक बोध हो जाता है। ‘जूझ’ शीर्षक भी अपने आप में हर तरह से औचित्यपूर्ण है। ‘जूझ’ का शाब्दिक अर्थ है-’संघर्ष’। यह शीर्षक आत्मकथा के मूल स्वर के रूप में सर्वत्र दिखाई देता है। यह एक किशोर के देखे और भोगे हुए गँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और परिवेश को विश्वसनीय ढंग से प्रतिबिम्बित भी करता है।

    कथानायक अपने जीवन में शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई स्तर पर जूझता है। वह स्वयं व्यक्तिगत स्तर पर, पारिवारिक स्तर पर, सामाजिक स्तर पर, विद्यालय के माहौल के स्तर पर तथा आर्थिक स्तर आदि पर उसका संघर्ष दिखाई देता है। स्पष्ट है कि यह शीर्षक कथानायक के पढ़ाई के प्रति जूझने की भावना को उजागर करता है। लेखक ने अपनी आत्मकथा अपनी इसी चारित्रिक विशेषता को केंद्र में रखकर की है।

    Question 26
    CBSEENHN12026739

    ‘दत्ता जी राव की सहायता के बिना ‘जूझ’ कहानी का ‘मैं’ पात्र वह सब नहीं या सकता जो उसे मिला।’ टिप्पणी कीजिए।

    अथवा

    कहानीकार के शिक्षित होने के संघर्ष में दत्ता जी राव देसाई के योगदान को ‘जूझ ‘ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ‘मैं’ अर्थात् लेखक पाठशाला जाने के लिए तड़पता है। उसे उसके पिता ने स्कूल जाने से रोक दिया है। पिता को मनाने में लेखक व उसकी माँ भी सफल नहीं हो पाते। उनके लिए गाँव के सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति दत्ता साहब ही अंतिम उपाय बचे थे। लेखक और उसकी माँ उनसे सहायता लेने के लिए उनके पास जाते हैं। उनसे दबाव डलवाने के लिए वे झूठ का भी सहारा लेते हैं। दत्ताजी राव के कहने पर लेखक के पिता उसे पड़ाने के लिए तैयार हो जाते हैं। पाठशाला में लेखक अन्य बालकों के संपर्क में आता है। मराठी के एक अच्छे अध्यापक के संपर्क में आकर वह कविता रचने लगता है। इस प्रकार लेखक दत्ताजी राव की सहायता के बिना वह सब कुछ नहीं पा सकता था, जो उसे मिला।

    Question 27
    CBSEENHN12026740

    ‘जूझ’ कहानी में चित्रित ग्रामीण जीवन का संक्षिप्त वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

    Solution

    ‘जूझ’ कहानी में ग्रामीण जीवन का चित्रण हुआ है। वहाँ दीवाली बीत जाने के बाद महीना भर ईख पेरने के लिए कोख चलाया जाता है। वहाँ खेतों पर ही गुड बनाया जाता है। ग्रामों में स्त्रियाँ गोबर से कडे थापती दिखाई देती हैं। वहाँ खेतों में पानी लगाने का काम किया जाता है। यहाँ स्कूल पेड़ों की छाया में ही लगते हैं। ग्रामीण जीवन में वेशभूषा का विशेष महत्त्व नहीं होता।

    Question 28
    CBSEENHN12026741

    ‘जूझ’ कहानी की कौनसी बात आपको सर्वाधिक प्रेरक लगती है?

    Solution

    ‘जूझ’ कहानी में हमें सर्वाधिक प्रेरित करने वाली बात यह लगी कि एक सामान्य-सा बालक सौदगलेकर की कला और कविता सुनाने की शैली से प्रभावित होकर स्वयं काव्य-रचना करने में सफल हो गया। उसकी जिजीविषा भी हमें अच्छी लगी।

    Question 29
    CBSEENHN12026742

    ‘जूझ’ कहानी में देसाई सरकार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    ‘जूझ’ कहानी में देसाई सरकार दत्ताजी राव हैं। वे गाँव के एक सम्मानित जमींदार हैं। वे नेक दिल और रोबीले व्यक्ति हैं। उन्होंने लेखक की माँ की पीड़ा को सुना तथा लेखक को दादा को बुलाकर खरी-खोटी सुनाकर लेखक की पढाई जारी रखने के लिए तैयार किया।

    Question 30
    CBSEENHN12026746

    आनंदा का कविता-प्रेम किन परिस्थितियों में बढ़ता चला गया?

    Solution

    आनंदा सुबह-शाम खेत पर पानी लगाते हुए या ढोर चराते हुए अकेले में खुले गले से कविताएँ, हाव-भाव, यति-गति और आरोह-अवरोह के अनुसार गाता था। वह पानी लगाते समय अभिनय भी करता था। उसे यह भी याद नहीं रहता था कि पानी की क्यारियों कब की भर गई इन कविताओं के साथ खेलते हुए उसे दो बड़ी शक्तियाँ प्राप्त हुईं-पहले ढोर चराते हुए, पानी लगाते हुए, दूसरे काम करते हुए, अकेलापन बहुत खटकता था। किसी के साथ बोलते हुए, गपशप करते हुए, हँसी-मजाक करते हुए काम करना अच्छा लगता था। वह सोचता कि कविता गाते-गाते थुई-थुई करके नाचा जा सकता है। वह सचमुच नाचने लगता था। उसने अनेक कविताओं को अपनी खुद की चाल में गाना शरू किया। ‘केशव करणी जाति’ छंद की कविता को वह मास्टर की अपेक्षा ज्यादा अभिनय के साथ गाता था।

    Question 31
    CBSEENHN12026747

    मंत्री नामक मास्टर का चरित्र-चित्रण कीजिए।

    Solution

    मंत्री नामक मास्टर कड़क स्वभाव के थे, परंतु पढ़ने वाले लड़कों के लिए वे बहुत सरल एवं दयालु थे। वे प्राय: छड़ी का उपयोग नहीं करते थे। जब कोई बच्चा शरारत करता तो वे हाथ से गरदन पकड़कर पीठ पर घूँसा लगाते थे। यह दंड मिलने पर बालक हुक भरने लगता था। लड़कों के मन में उनकी दहशत बैठी हुई थी। इसके कारण ऊधम मचाने वाले लडुकों के मन में दहशत बैठी हुई थी। वे पड़ने वाले लडुकों को शाबासी देते थे। यदि उनका एकाध सवाल गलत हो जाता तो वे उसे अपने पास बुलाकर समझा दंते थे। यदि कोई लड़का मूर्खता दिखाता तो उसे वहीं ठोंक देत थे। उनके भय से सभी लड़के घर से पढाई करके आने लगे।

    Question 32
    CBSEENHN12026749

    वसंत पाटील नामक लड़के ने आनंदा को किस प्रकार प्रभावित किया?

    Solution

    वसंत पाटील नामक लड़का शरीर से दुबला-पतला, किंतु बड़ा होशियार था। उसके सवाल हमेशा सही निकलते थे। वह शांत स्वभाव का था। वह हमेशा पढ़ने में लगा रहता था। मास्टर ने उसे मॉनीटर बना दिया था। कक्षा में उसका सम्मान था। आनंदा उसकी प्रतिभा तथा शांत स्वभाव को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। वह भी वसंत पाटील की तरह पढ़ाई का काम करने लगा। उसने अपनी किताबों पर अखबारी कागज के कवर चढ़ाए और बस्ते को व्यवस्थित रखा। धीरे-धीरे वह गणित विषय में होशियार हो गया। मन में एकाग्रता के कारण गणित झटपट समझ में आने लगा और सवाल सही होने लगे। वह भी वसंत पाटील की तरह अन्य लड़कों के सवाल जाँचने लगा। उसकी वसंत पाटील से दोस्ती जम गई।

    Question 33
    CBSEENHN12026750

    ‘जूझ’ उपन्यास के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    ‘जूझ’ में लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। समस्याएँ तो जीवन में आती ही रहती हैं। हमें इन समस्याओं से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए। संघर्षों से जूझने के लिए आत्मविश्वास का होना जरूरी है। आत्मविश्वास के अभाव में व्यक्ति संघर्ष नहीं कर सकता। जो व्यक्ति संघर्ष करता है अंतत: सफलता मिलती ही है।

    संघर्ष मानव जीवन की नियति है। जीवन में संघर्ष का रूप बदलता रहता है। संघर्ष न करने से मानव-जीवन एकाकी एवं नीरस बन जाता है। इस संघर्षों से जूझकर व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुँच सकता है। लेखक स्वयं भी संघर्षशील था। वह अत्यंत कठिन परिस्थितियों में पड़ा था। अंत में उसने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया।

    Question 34
    CBSEENHN12026751

    आनंदा की काव्य-प्रतिभा के बारे में बताइए।

    Solution

    आनंदा की काव्य-प्रतिभा अद्वितीय थी। वह मराठी भाषा के अपने अध्यापक श्री सौंदलगेकर से प्रभावित हुआ। उसने खेतों मैं काम करते-करते कविताएँ लिखने का निश्चय किया। वह भैंस चराते समय, फसलों तथा जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। वह अपनी रची कविताओं को जोर-जोर से गुनगुनाता। कविताएँ रचकर वह उन्हें अपने अध्यापक को दिखाता। कविता रचने के लिए-लेखक खीसे में कागज और पेंसिल भी रखने लगा। यदि उसके पास ये साधन नहीं होते तो वे लकड़ी के छोटे से टुकड़े से भैंस की पीठ पर रेखा खींचकर लिखता था। कभी-कभी वह पत्थर पर भी कंकडों से कविता लिख दिया करता था। जब कविता याद हो जाती तो वह उसै मिटा देता।

    Question 35
    CBSEENHN12026753

    कविता-सृजन का आत्म विश्वास लेखक के मन में कैसे आया? ‘जूझ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    कविता-सृजन का आत्म-विश्वास लेखक के मन में इस प्रकार आया:
    1. वह सौंदलगेकर की मालती की बेल पर की गई कविता से लेखक प्रेरित हुआ। उसे कवि भी सामान्य मनुष्यों की तरह लगे।
    2. लेखक ने वह लता और कविता दोनों देखीं।
    3. लेखक ने गाँव खेत और आस-पास के दृश्य पर कविता बनाना का प्रयास किया।
    4. भैंस चराते-चराते वह फसलों और फूलों पर तुकबंदी करने लगा।
    5. लकड़ी से भैंस की पीठ पर और कंकड़ से पत्थर की शिला पर कविता लिखता।
    6. जब वह कविता बन जाती तो अगले दिन मास्टर को दिखाता।
    7. मास्टर कविता की भाषा-शैली आदि बताते।
    8. धीरे-धीरे लेखक मास्टर के करीब आ गया और उसे शब्दों का नशा चढ़ने लगा।

    Question 36
    CBSEENHN12026754

    ‘जूझ’ कहानी में आपको किस पात्र ने सबसे अधिक प्रभावित किया और क्यों? उसकी किन्हीं चार चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    ‘जूझ’ कहानी में हमें दत्ताजी राव देसाई ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

    - समझदार व्यक्ति: दत्ता जी एक समझदार व्यक्ति थे। वे लेखक (गणपा) और उसकी माँ की बात का मंतव्य थोड़ी ही देर में समझ जाते हैं और लेखक के पिता को बुला लेते हैं तथा उसे समझाते हैं कि वे बेटे को पढ़ने पाठशाला जाने दें।

    - मददगार व्यक्ति: दत्ता साहब लेखक की पढ़ाई का खर्चा उठाने को स्वयं तैयार हो जाते हैं।

    - तर्कशील: दत्ता साहब के तर्कों के सामने लेखक का पिता निरुत्तर हो जाता है।

    - प्रेरणादायक व्यक्तित्व: दत्ता साहब का व्यक्तित्व प्रेरणा का स्रोत है। उसी की प्रेरणा से लेखक का पिता बेटे को पड़ाने को तैयार हो जाता है।

    Question 37
    CBSEENHN12026755

    ‘जूझ’ कहानी में पिता को मनाने के लिए माँ और दत्ता जी राव की सहायता से एक चाल चली गई है। क्या ऐसा कहना ठीक है? क्यों?

    Solution

    लेखक पाठशाला जाने के लिये तड़पता है। उसके पिता ने उसे स्कूल जाने से रोक दिया है। पिता को मनाने में लेखक और उसकी माँ सफल नहीं हो पाते हैं। गाँव के सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति दत्ताजी राव अंतिम उपाय थे। लेखक और उसकी माँ उनके पास जाते हैं। उनसे दबाव डलवाने के लिये उन्हें एक झूठ का सहारा लेना पड़ता है। इसके बाद दत्ताजी राव के कहने पर लेखक के पिता उसको पड़ाने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेखक पाठशाला जाना शुरू कर देता है। वहाँ दूसरे लड़कों से उसकी दोस्ती होती है। वह पढ़ने के लिए हर तरह का प्रयास करता है। मराठी के एक बहुत अच्छे अध्यापक के प्रभाव में वह कविता भी रचने लगता है। अगर वह झूठ नहीं बोला जाता तो ये सारे घटनाक्रम घटित ही नहीं होते।

    झूठ न बोलने से दत्ता जी राव उसके पिता के ऊपर दबाव नहीं दे पाते। उसके पिता अपनी तरह से लेखक के जीवन को ढालता। लेखक का संबंध पढ़ाई-लिखाई से नहीं हो पाता। उसके संघर्ष की कहानी ही नहीं बन पाती। आज जो कहानी हमें जूझने की प्रेरणा देती है, वह आज हमारे सामने नहीं होती। इस तरह झूठ का सहारा लेने से जीवन और सपनों का विकास होता है जिसके आधार पर लेखक अपनी आत्मकथा लिख पाता है।

    Question 38
    CBSEENHN12026756

    ‘जूझ’ आत्मकथात्मक उपन्यास के मुख्य पात्र के स्वभाव की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

    Solution

    ‘जूझ’ उपन्यास के मुख्य पात्र की विशेषताएँ:

    ‘ जूझ’ कहानी में हमें दत्ताजी राव देसाई ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

    - समझदार व्यक्ति: दत्ता जी एक समझदार व्यक्ति थे। वे लेखक (गणपा) और उसकी माँ की बात का मंतव्य थोड़ी ही देर में समझ जाते हैं और लेखक के पिता को बुला लेते हैं तथा उसे समझाते हैं कि वे बेटे को पढ़ने पाठशाला जाने दें।

    - मददगार व्यक्ति: दत्ता साहब लेखक की पढ़ाई का खर्चा उठाने को स्वयं तैयार हो जाते हैं।

    - तर्कशील: दत्ता साहब के तर्को के सामने लेखक पिता निरुत्तर हो जाता है।

    - प्रेरणादायक व्यक्तित्व: दत्ता साहब का व्यक्तित्व प्रेरणा का स्रोत है। उसी की प्रेरणा से लेखक का पिता बेटे को पड़ाने को तैयार हो जाता है।

    Question 39
    CBSEENHN12026757

    पढ़ाई-लिखाई के संबंध में ‘जूझ, कहानी के लेखक के पिता के रवैये के विषय में अपने विचार बताइए।

    Solution

    लेखक के पिता चाहते थे कि वह खेती का काम करे। वह उसकी पढ़ाई नहीं होने देना चाहते थे। लेखक खेती के महत्त्व को अच्छी तरह समझ रहा था। वह जानता था कि खेती में पूरा जीवन गँवा देने के बाद भी कुछ लाभ नहीं होगा। खेती का महत्त्व लगातार कम हो रहा था। दादा जी के समय खेती का महत्त्व बहुत अधिक था। पिता के समय में यह महत्व कम हो गया और आज के समय में यह खेती लोगों को गड्ढे में धकेल रही है। लोगों के जीवन को कठिन बना रही है। वह पढ़ना चाहता था, जिससे पैसे कमा सके। बाद में वह कुछ व्यापार आदि भी कर सके।

    आधुनिक समाज में एवं किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। शिक्षा के महत्त्व को लेखक व दत्ता जी राव दोनों अच्छी तरह जानते हैं। लेखक के पिता के लिए खेती ही सबसे महत्वपूर्ण है जबकि आधुनिक जीवन में खेती का महत्त्व लगातार कम होता जा रहा है। अत: यह सिद्ध होता है कि दत्ता जी राव और लेखक का ही रवैया सही था।

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