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' कॉलम A ' में दिए गए मिलान ' कॉलम B ' से कीजिए
A. खरीफ़ फसल | (i) मवेशियों का चारा |
B. रबी फसल | (ii) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट |
C. रासायनिक उर्वरक | (iii) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष |
D. कार्बनिक खाद | (iv) गेँहू, चना, मटर |
A. खरीफ़ फसल | (i) धान एवं मक्का |
B. रबी फसल | (ii) गेँहू, चना, मटर |
C. रासायनिक उर्वरक | (iii) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट |
D. कार्बनिक खाद | (iv) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष |
निम्न के दो-दो उदाहरण दीजिए-
(क) खरीफ़ फसल
(ख) रबी फसल
(क) खरीफ़ फसल- धान एवं मक्का
(ख) रबी फसल- गेँहू एवं चना
निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए:
मिट्टी तैयार करना
मिट्टी तैयार करना- यह फसल उगाने कि प्रक्रिया का प्रथम चरण है| मिट्टी को पलटना और पोला बनाना एक महत्वपूर्ण कार्य है|मिट्टी को पलटने और पोला बनाने से पौधों कि जड़ें मिट्टी में गहराई तक जाकर श्वसन कर सकती है| पोली मिट्टी में केंचुओं और सूक्ष्मजीवों को वृद्धि में सहायता मिलती है जो मिट्टी को और भी अधिक पोला उपजाऊ शक्ति बड़ा देते हैं| जब मिट्टी को पलटा जाता है तो मिट्टी के निचे के पोषक तत्व ऊपर आ जाते है जो अच्छी फसल उगाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है|
निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए:
बुआई
बुआई- यह फसल उत्पादन का महत्वपूर्ण चरण है| इसमें सबसे पहले सही बीजों का चयन किया जाता है कि कौन से बीज बुआई के लिए उपयोगी है| फिर बीजों को बुआई के औजारों कि सहायता से उन्हें मिट्टी में बोया जाता है| बुआई के औजार दो प्रकार के होते हैं-
(i) परम्परागत औजार, (ii) सील ड्रिल
(i) परम्परागत औजार- इसके सिरे नोकीले और कीप के आकार के होते है| बीज को मिट्टी में डालकर औजार के सिरे कि मदद से मिट्टी को भेदकर बीज मिट्टी में दाल देते हैं| इस तरिके से बुआई करने में अधिक समय लगता है|
(ii) सील ड्रिल- यह ट्रेक्टर द्वारा संचालित होता है| ड्रिल के अंदर बीज डालकर बोया जाता है जिससे बीज में समान दूरी और गहराई बानी रहती है| इससे बाई करने में श्रम और समय दोनों की बचत होती है और साथ ही पक्षियों द्वारा बीज खराब करने को भी कम किया जा सकता है|
निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए:
निराई
खेतों में उगने वाली खरपतवार को हटाना निराई कहलाता है| खरपतवार को खेत से हटाना अति आवश्यक है, नहीं तो खरपतवार फसलों में दिए जाने वाले जल, पोषक तत्व,आदि को ग्रहण कर फसल की वृद्धि को प्रभावित कर सकता हैं| फसल उगने से पहले खेतों की जुताई करनी चाहिए जिससे खरपतवार मर जाते है और मिट्टी में मिल जाते हैं|खरपतवार को हटाने का सही समय उसमे बीज उगने से पहले का होता है| इसलिए खरपतवार को हाथों से, खुरपी से, हैरों आदि की मदद से हटा देना चाहिए|
निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए:
थ्रेशिंग
फसल की कटाई के बाद, फसल से दानों और भूसे को अलग कर लिया जाता है| अलग करने की इस क्रिया को थ्रेशिंग कहते हैं| थ्रेशिंग करने के कई तरिके होते हैं| पहले किसान आनाज के दानों और भूसे को फटक कर अलग करते थे जिसमे समय और श्रम अधिक लगता था| लेकिन अब कॉम्बाइन मशीन का प्रयोग करके कम समय में फसलों की थ्रेशिंग की जाती है| कॉम्बाइन मशीन हार्वेस्टर और थ्रेशर का संयुक्त रूप है|
निम्न बॉक्स को सही क्रम में इस प्रकार लगाइए की गन्ने की फसल उगाने का रेखाचित्र तैयार हो जाए:
गन्ने की फसल उगाने का सही क्रम में रेखाचित्र:
स्पष्ट कीजिए की उर्वरक खाद से किस प्रकार भिन्न हैं?
उर्वरक | खाद |
(i) यह एक अकार्बनिक लवण है| | यह प्राकृतिक पदार्थ है जो गोबर, मानव अपशिष्ट, पौधों के अवशेष आदि से बनाया जाता है| |
(ii) इसका उत्पादन फैक्ट्रीओं में होता है| | यह खेतों में पाई जाती है| |
(iii) इसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है| | इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता| |
(iv) इसमें पादप पोषक प्रचुरता में होता हैं| | इसमें पादप पोषक अपेक्षाकृत कम मात्रा में होते हैं| |
(v) इससे मिट्टी को ह्यूमस प्राप्त नहीं होती| | इससे मिट्टी को प्रचुर मात्रा में ह्यूमस प्राप्त होती है| |
सिंचाई किसे कहते हैं? जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियों का वर्णन कीजिए।
जीवित रहने के लिए पौधों को जल की आवश्यकता होती है। पौधों में लगभग 90% जल होता है। फसल की स्वस्थ वृद्धि के लिए मिट्टी की नमी को बनाए रखने की आवश्यकता होती है जिसके लिए विभिन्न अंतराल पर खेत में जल देना सिंचाई कहलाता है।
जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियाँ निम्नलिखित हैं:
(i ) छिड़काव तंत्र- इस विधि का उपयोग असमतल भूमि, जहाँ पर जल काम मात्रा में उपलब्ध हो, के लिए किया जाता है। इसमें नालों के ऊपर घूमने वाले नोज़ल लगे होते हैं। जब पम्प से जल मुख्य पाइप में भेजा जाता है तो वह घूमते हुए नोज़ल से बाहर निकल वर्षा की भाँति छिड़काव करता है। वह विधि बुलाई मिट्टी के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
(ii ) ड्रिप तंत्र- इस विधि में जल बूँद-बूँद करके पौधों की जड़ों में गिरता है। अत: इसे ड्रिप तंत्र कहते हैं। फलदार पौधों, बगीचों एवं वरिक्षओ को पानी देने का यह सर्वोत्तम तरीका है।
यदि गैंहू को खरीफ़ ऋतुमें उगाया जाए तो क्या होगा? चर्चा कीजिए।
गेँहू एक रबी फसल है, इसे शीत ऋतु में उगाया जाता है।
जबकि खरीफ़ ऋतु जून से सितंबर तक होती है। इस ऋतु में वर्षा अधिक मात्रा में होती है। इसलिए इसे वर्षा ऋतु भी कहते हैं। गेँहू के पौधों को पानी की अधिक आवश्यकता नहीं होती। यदि गेँहू को इस समय उगाया जाए तो गेँहू के पौधे अधिक मात्रा में पानी मिलने की वजह से खराब हो जाएँगे और फसल बर्बाद हो जाएगी।
खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए किसान खाद तथा उर्वरक का प्रयोग करता है। पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए एक अन्य तरीका फसल चक्रण है, इसमें किसान एक फसल के बाद दूसरी किस्म की फसल उगाते है जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन का पुनः पूरण होता रहता है।
खेत में फसल के साथ कई अवांछित पौधे उग जाते हैं, इन पौधों को खरपतवार कहते हैं। इनको हटाना आवश्यक होता है अन्यथा ये फसल की वृद्धि पर प्रभाव डालते हैं और मनुष्यों एवं पशुओं के लिए विषैले हो सकते हैं। खरपतवार को हटाने को निराई कहते है। इनको नियंत्रण करने के कई तरीके हैं:
(i ) फसल उगाने से पहले खेत जोतकर- इससे खरपतवार पौधे सूख कर मर जाते हैं।
(ii) पुष्पण एवं बीज बनने से पहले हाथ से, खुरपी या फैरोंकी सहायता से पौधों को उखाड़कर।
(iii) खरपतवारनाशी रसायनों का उपयोग करके-इससे खरपतवार पौधे मर जाते हैं।
निचे दिए गए संकेतों की सहायता से पहेली को पूरा कीजिए:
"ऊपर से निचे की ओर"
1. सिंचाई का इ पारंपरिक तरीका।
2. बड़े पैमाने पर पालतू पशुओं की उचित देखभाल करना।
3. फसल जिन्हें वर्षा ऋतु में बोया जाता है।
6. फसल पक जाने के बाद काटना।
"बाईं से दाईं की ओर"
1. शीत ऋतु में उगाई जाने वाली फसलें।
4. एक ही किस्म के पौधे जो बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं।
5. रसायनिक पदार्थ जो पौधों को पोषक प्रदान करते हैं।
7. खतपतवार हटाने की प्रक्रिया।
"ऊपर से निचे की ओर"
1. रहट
2. पशुपालन
3. खरीफ़
6. कटाई
"बाईं से दाईं की ओर"
1. रबी
4. फ़सल
5. उर्वरक
7. निराई
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मैंने अपनी माँ को अनाज रखे लोहे के ड्रम में नीम की सूखी पत्तियाँ रखते देखा। मुझे आश्चर्य हुआ, क्यों?
अनाज रखे लोहे के ड्रम में नीम की सूखी पत्तियाँ अनाज को कीटों से सुरक्षित रखने के लिए डाली जाती हैं।
क्या खरपतवारनाशी का प्रभाव इसको छिड़कने वाले व्यक्ति पर भी पड़ता है?
हाँ, खरपतवारनाशी का प्रभाव इसको छिड़कने वाले व्यक्ति पर भी पड़ सकता है। इसलिए सावधानीपूर्वक, मुँह एवं नाक को कपड़े से ढक कर छिड़कना चाहिए।
गेहूँ के खेत में फसल के साथ अन्य पौधे उग गए, क्या ये पौधे विशेष उद्देश्य के लिए उगाए गए हैं?
नहीं, ये पौधे विशेष उद्देश्य के लिए नहीं उगाए गए हैं। ये पौधे अवांछित हैं और प्राकृतिक रूप से फसल के साथ उग जाते हैं। इन पौधों को खरपतवार कहते हैं।
मैंने एक खेत में उगने वाली स्वस्थ फसल पौधों को देखा। जबकि पास के खेत में पौधे कमजोर थे। कुछ पौधे अन्य पौधों की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह से क्यों उगते हैं?
जिन पौधों को जल, खनिज पदार्थ, खाद और उर्वरक पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। वे उन पौधों की अपेक्षा जिन्हें खाद्य पदार्थ उचित मात्रा में न मिले हो ज़्यादा अच्छी तरह से उगते हैं।
मेरे विद्यालय के समीप एक पौधशाला (नर्सरी) है। मैंने देखा कि पौधे छोटे-छोटे थैलों में रखे हैं। वे इस प्रकार क्यों रखे गए हैं?
पौधों को अत्यधिक घने होने से रोकने के लिए बीजों के बीच आवश्यक दूरी जरुरी है। ताकि पौधों को सूर्य का प्रकाश, पोषक एवं जल पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो सकें।
धान को शीत ऋतु में क्यों नहीं उगाया जा सकता?
धान को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है। अत: इसे केवल वर्षा ऋतु में ही उगाते हैं।
क्योंकि हम सभी को भोजन की आवश्यकता होती है; अत: हम अपने देश के इतने अधिक लोगों को भोजन किस प्रकार उपलब्ध करा सकते हैं?
भोजन का नियमित उत्पादन, उचित प्रबंधन एवं वितरण करके हम अपने देश के इतने अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध करा सकते हैं।
मैं जानना चाहता हूँ कि हम खुरपी, दराँती, बेलचा, हल का उपयोग कहाँ और कैसे करते हैं?
खुरपी, दराँती, बेलचा, हल इत्यादि का उपयोग खेती करने के लिए किया जाता है।
खुरपी: इसका प्रयोग क्यारी बनाते समय मिट्टी खोदने के लिए किया जाता है। खरपतवार भी इसकी सहायता से हटाया जाता है।
दराँती: दराँती का प्रयोग फसल काटने के लिए किया जाता है।
बेलचा: मिट्टी, अनाज आदि को उठाकर टोकरे आदि में भरने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
हल: इसका उपयोग जुताई, खाद/उर्वरक मिलाने, खरपतवार निकालने एवं मिट्टी खुरचने के लिए किया जाता है।
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