त्रिलोचन
इस कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
'चम्पा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता में कवि ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाँव की एक भोली- भाली अनपढ़ लड़की का चित्रण किया है। चम्पा निरक्षर है और वह पढ़ने लिखने को व्यर्थ समझती है। अक्षरों के लिए कवि ‘काले-काले’ विशेषण का प्रयोग करके शिक्षा-व्यवस्था की कलई खोलता है। कविता की नायिका चम्पा शोषक व्यवस्था के विरोध में खड़ी हो जाती है। वह ‘कलकत्ते पर बजर गिरे’ कहकर अपने जीवन की सुरक्षा के प्रति सचेत होने का संकेत दे जाती है। शोषक व्यवस्था का अंत होना ही चाहिए।
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कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूँगी?
यदि चंपा पड़ी-लिखी होती, तो कवि से कैसे बातें करती?
इस कविता में पूर्वी प्रदेश की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है?
संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को किस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है-अपनी कल्पना से लिखिए?
त्रिलोचन पर एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा बनाई गई फिल्म देखिए।
चम्पा कौन है? वह क्या नहीं जानती?
इस कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
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