इस कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
'चम्पा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता में कवि ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाँव की एक भोली- भाली अनपढ़ लड़की का चित्रण किया है। चम्पा निरक्षर है और वह पढ़ने लिखने को व्यर्थ समझती है। अक्षरों के लिए कवि ‘काले-काले’ विशेषण का प्रयोग करके शिक्षा-व्यवस्था की कलई खोलता है। कविता की नायिका चम्पा शोषक व्यवस्था के विरोध में खड़ी हो जाती है। वह ‘कलकत्ते पर बजर गिरे’ कहकर अपने जीवन की सुरक्षा के प्रति सचेत होने का संकेत दे जाती है। शोषक व्यवस्था का अंत होना ही चाहिए।