रामनरेश त्रिपाठी
प्रेम सत्य है, सुंदर है-प्रेम के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर परिचर्चा करें।
विद्यार्थी कक्षा अथवा बाल-सभा में इस विषय पर परिचर्चा का आयोजन करें। प्रेम के विविध रूपों पर बात की जानी चाहिए। जैसे--
∙ माँ का प्रेम ∙ देश कै प्रति प्रेम
∙ प्रेयसी का प्रेम ∙मानव-प्रेम
∙ पत्नी का प्रेम ∙प्रकृति के प्रति प्रेम
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आशय स्पष्ट करें-
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गंगा के मधुर गीत गाता है।
आशय स्पष्ट करें-
कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल है यह प्रेम-कहानी।
जी में है अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।
कविता में कई- स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। एसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखो।
समुद को देखकर आपके मन में क्या भाव उठते हैं? लगभग 200 शब्दों में लिखें।
प्रेम सत्य है, सुंदर है-प्रेम के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर परिचर्चा करें।
सागर संबंधी दस कविताओं का संकलन करें और पोस्टर बनाएँ।
‘पथिक’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
कवि को समुद कैसा प्रतीत होता है?
समुद्र-तट पर रात्रि का दृश्य कैसा होता है?
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