रामनरेश त्रिपाठी
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित खंडकाव्य ‘पथिक’ से अवतरित है। इसमें कवि काव्य-नायक पथिक के प्रकृति-प्रेम पर प्रकाश डालता है।
व्याख्या-कवि पथिक के शब्दों में प्रकृति कै मनोहारी सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहता है-समुद्र के आस-पास का प्राकृतिक दृश्य अनोखा है। यहाँ प्रकृति प्रत्येक क्षण नए-नए वेश में दृष्टिगोचर होती है। अर्थात् यहाँ प्रकृति नित्य नए रूप में दृष्टिगोचर होती है। यहाँ बरसने वाले बादलों की पंक्ति सूर्य के सामने थिरकती प्रतीत होती है। नीचे तो सुंदर नीला समुद्र है और इसके ऊपर नीला आसमान है। इस दृश्य को देखकर मेरे मन में यह इच्छा उत्पन्न होती है कि बादलों के ऊपर बैठकर आकाश कै मध्य विचरण करूँ। मैं बादलों की सवारी करना चाहता हुँ।
यहाँ समुद्र तो गर्जना करता है और मलय पर्वत से आने वाली सुगंधित वायु बहती है। हे प्रिय! इस दृश्य को देखकर दिल में बड़ा उत्साह पैदा होता है। मैं चाहता हूँ कि इस लंबे-चौड़े महिमामय समुद्र के कोने-कोने को देखकर आऊँ। इसके लिए मैं समुद्र की लहरों पर सवारी करना चाहूँगा।
कवि आकाश और समुद्र के सौंदर्य का भरपूर आनंद उठाना चाहता है। वह आकाश और समुद्र में विचरण करने का इच्छुक है।
विशेष- 1. प्रकृति के प्रभाव का मनोहारी चित्रण हुआ है। यहाँ प्रकृति का आलंबन और उद्दीपन दोनों रूपों का चित्रण है।
2. प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
3. अनुप्रास अलंकार-नीचे नील, विशाल विस्तृत बीच में बिचरूँ
4. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार- -कोने-कोने।
5. तत्सम शब्द-प्रधान भाषा का प्रयोग किया गया है।
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आशय स्पष्ट करें-
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गंगा के मधुर गीत गाता है।
आशय स्पष्ट करें-
कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल है यह प्रेम-कहानी।
जी में है अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।
कविता में कई- स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। एसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखो।
समुद को देखकर आपके मन में क्या भाव उठते हैं? लगभग 200 शब्दों में लिखें।
प्रेम सत्य है, सुंदर है-प्रेम के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर परिचर्चा करें।
सागर संबंधी दस कविताओं का संकलन करें और पोस्टर बनाएँ।
‘पथिक’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
कवि को समुद कैसा प्रतीत होता है?
समुद्र-तट पर रात्रि का दृश्य कैसा होता है?
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