मियाँ नसीरुद्दीन

Question

भाव स्पष्ट कीजिए।

(क) अब तो बेल फैल गई, आणंद फल होई।

(ख) भगति देख राजि हुई, जगत देखि रोई।

Answer

(क) मीरा ने प्रभु- भक्ति की जो बेल लगाई थी, अब वह फल-फूल गई है। उसमें आनंद-फल भी लग गया है। भाव यह है कि प्रभु भक्ति का फल सदैव सुखद होता है।

(ख) इस पंक्ति का भाव यह है कि मीरा भक्तों को देखकर तो प्रसन्न होती है और संसार को देखकर रोती है। यह संसार किसी को सुखी नहीं देख सकता। यह सभी की आलोचना करता है, अत: इसकी उपेक्षा करना ही बेहतर है।

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मियाँ नसीरुद्दीन की आँखें लमहा- भर को किसी भट्टी में गुम हो गई । लगा गहरी सोच में हैं -फिर सिर हिलाया- 'क्या आँखों के आगे चेहरा जिन्दा हो गया! हाँ हमारे वालिद साहिब मशहूर थे मियां बरकत शाही नानबाई गढै़यावाले के नाम से और उनके वालिद यानी कि हमारे दादा साहिब थे आला नानबाई मियाँ कल्लन । '

'आपको इन दोनों में से किसी की भी कोई नसीहत याद हो!'

'नसीहत काहे की मियाँ! काम करने से आता है, नसीहतों से नहीं। हाँ!'

मियां नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?

लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?

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मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

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तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है-यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है ? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए ।

मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय : लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों? 

मियां, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? वह तो खोजियों की खुराफात है-अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें ।