मियाँ नसीरुद्दीन की आँखें लमहा- भर को किसी भट्टी में गुम हो गई । लगा गहरी सोच में हैं -फिर सिर हिलाया- 'क्या आँखों के आगे चेहरा जिन्दा हो गया! हाँ हमारे वालिद साहिब मशहूर थे मियां बरकत शाही नानबाई गढै़यावाले के नाम से और उनके वालिद यानी कि हमारे दादा साहिब थे आला नानबाई मियाँ कल्लन । '
'आपको इन दोनों में से किसी की भी कोई नसीहत याद हो!'
'नसीहत काहे की मियाँ! काम करने से आता है, नसीहतों से नहीं। हाँ!'