मियाँ नसीरुद्दीन
भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
असुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोयी
अब त बेलि फैलि गई, आणंद फल होयी
भाव सौंदर्य - मीरा ने भारी कष्ट सहकर कृष्ण-प्रेम की बेल बाई हैं अर्थात् भारी कष्टों के मध्य मीरा के हृदय में कृष्ण-प्रेम उत्पन्न हुआ है। अब तो इस बैल के फलने-फूलने का समय आया है अर्थात् अब उसे कृष्ण-प्रेम के परिणामस्वरूप आनंद-रूपी फल को प्राप्ति होने वाली है, अत: वह इससे वंचित नहीं होता चाहेगी।
शिल्प-सौंदर्य- ‘सींचि-सींचि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
- ‘प्रेम -बेलि’ तथा ‘आणंद-फल’ में रूपक अलंकार है
- ब्रज एवं राजस्थानी भाषा का मिश्रित श्रेत रूप है।
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पाठ में मियां नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखक ने कैसे खींचा है?
मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?
मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय : लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों?
‣ पाठ में आए रोटियों के अलग- अलग नामों की सूची बनाएं और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।
तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें ।
(क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया ।
(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए ।
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।
नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है । सामान्यत: इन वाक्यों को किस कम में लिखा जाता है? लिखें ।
(क) मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।
(ख) निकाल लेंगे वक्त थोड़ा।
(ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात।
(घ) रोटी जनाब पकती है आँच से।
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