भवानी प्रसाद मिश्र
घर कि घर में चार भाई
मायके मे ‘बहिन आई,
बहिन आई बाप के घर
हाय रे परिताप के घर!
घर कि घर में सब जुड़े हैं
सब कि इतने कब जुड़े हैं
चार भाई चार बहिने
भुजा भाई प्यार बहिने
प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं भवानीप्रसाद मिश्र की लंबी कविता ‘घर की याद, से अवतरित है। कवि वर्षा के दिन जेल में बैठा हुआ घर के वातावरण का भावुकतापूर्ण वर्णन करता है।
व्याख्या-कवि बताता है कि उसके घर में चार भाई हैं। सावन के महीने में वर्षा ऋतु बहन अपने मायके अर्थात् पिता के घर आई हुई होगी। बहन का पिता के घर आना और उसका यहाँ जेल में होना निश्चय ही दुख का कारण बन रहा होगा।
घर के सभी सदस्य एक-दूसरे से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। सभी में आपस में बहुत प्यार है । घर में चार भाई और चार बहनें हैं। चारों भाई चार भुजाओं के समान हैं और बहनें प्रेम-स्नेह की प्रतीक हैं ।
विशेष: 1. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।
2. भाइयों को भुजा और बहनों को प्यार का प्रतीक दर्शाया गया है।
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पाँचवाँ मैं हूँ अभागा,
जिसे सोने पर सुहागा
पिता जी कहते रहे हैं,
प्यार में बहते रहे हैं,
आज उनके स्वर्ण बेटे,
लगे होंगे उन्हें हेटे
क्योंकि मैं उनपर सुहागा
बँधा बैठा हूँ अभागा,
और माँ ने कहा होगा,
दुःख कितना बहा होगा,
आँख में किस लिए पानी
वहाँ अच्छा है भवानी
वह तुम्हारा मन समझकर,
और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हारी लीक ही है,
पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होओ न कच्चे,
रो पड़ेंगे और बच्चे,
पिता जी ने कहा होगा,
हाय, कितना सहा होगा,
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,
धीर मैं खोता कहाँ हूँ,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें,
मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,
किंतु उनसे यह न कहना
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ।
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,
और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दू:ख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ, मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,
कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद ना समझुँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें।,
पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?
मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?
पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?
निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।
मैं मजे में हूँ सही है
घर नहीं हूँ बस यही है
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से बस विरस है।
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