सुमित्रानंदन पंत

Question

निन्नलिखित काव्य-पंक्तियों में निहित सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन,
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुख का नीरव रोदन।

Answer

भाव-सौंदर्य -इन काव्य पंक्तियों में किसान की व्यथा का मार्मिक अंकन किया गया है। उसकी व्यथा उसकी आँखों से झलकती है। उनमें अंधकार-ही- अंधकार है। आशा की कोई किरण उनमें नहीं दिखाई देती। किसान का जीवन दारुण दुख, दीनता और रोदन का पर्याय बन चुका है।

शिल्प-सौंदर्य-कवि ने आँखों की उपमा अंधकार की गुहा (गुफा) से दी है, अत: उपमा अलंकार का प्रयोग है। -‘दारुण दैन्य दुख’ में ‘द’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

-करुण रस का परिपाक हुआ है।

- भाषा सरल एवं सुबोध है।

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लहराते वे खेत दुर्गों में
हुआ बेदखल वह अब जिनसे,
हँसती थी उसके जीवन की
हरियाली जिनके दतृन-तृनसे!
आँखों ही में घूमा करता
‘वह उसकी आँखों का तारा,
कारकुनों की लाठी से जो
गया जवानी ही में मारा!

बिका दिया घर द्वार
महाजन ने न ब्याज की कौड़ी छोड़ी,
रह-रह आखों में चुभती वह
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह, आँखों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती!

बिना दवा दर्पन के धरनी
स्वरग चली-आँखें आतीं भर,
देख-रेख के बिना दुध मुँही
बिटिया दो दिन बाद गई मर!
घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
पकड़ मंगाया कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन!

खैर, पैर की जूती, जोरू
न सही एक, दूसरी आती
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लौटते, फटती छाती।
पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गगड़वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।

अंधकार की गुहा सरीखी
‘उन आँखों से’ डरता है मन।

(क) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?

(ख) उन आँखों से किसकी ओर संकेत किया गया है?

(ग) कवि को ‘उन आँखों से’ डर क्यों लगता है?

(घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आँखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है?

(ड) यदि कवि इन आँखों से नहीं डरता, क्या तब भी वह कविता लिखता?

कविता में किसान की पीड़ा के लिए कीन्हें जिम्मेदार बताया गया है?

‘पिछले सुख की स्मृति आँखों में क्षण भर रक चमक है लाती’ में किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -

घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -

पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।