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सुमित्रानंदन पंत

Question
CBSEENHN11012252

खैर, पैर की जूती, जोरू
न सही एक, दूसरी आती
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लौटते, फटती छाती।
पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गगड़वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।

Solution

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिवादी कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘वे आँखें’ से उद्धृत हैं। इसमें कवि किसान की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण करता है।

सव्याख्या-कवि कहता हैं कि सामान्य रूप से पत्नी को पैर की जूती माना जाता है (जो कि असत्य है)। कहा जात रहा है कि एक कै न रहने पर दूसरी आ जाती है। किसान अपनी पत्नी के अभाव के दुख को झेल भी ले, पर जवान बेटे के असमय मर बारे की याद उसे व्याकुल कर जाती है। तब उसकी छाती कटने लगती है तथा छाती पर साँप लोटने लगता है अर्थात् वह अत्यंत दुखी एवं व्याकुल हो उठता है।

किसान को पिछले नजीवन के सुखों की याद बार-बार उसकी आँखों में आती है। इससे कभी-कभी उसकी अस्त्रों में चमक आ-शती है। लेकिन यह स्थिति-ज्यादा देर तक नहीं बनी रहती। वह दृष्टि शीघ्र ही शून्य में खो जाती है और वह तीखी नोंक के समान गड़ती रहती है। अर्थात सुख के स्मरण की चमक क्षणिक रहती है। वह फिर दुख-सागर में डूब जाता है।

विशेष- 1. ‘-स्मृति-बिंब’ का सुंदर प्रयोग हुआ है।

2. किसान ककीदशा के वर्णन में मार्मिकता का समावेश है।

3. ‘साँप लोटना’, ‘छाती फटना’, ‘पैर की जूती’ आदि मुहावरों का सटीक प्रयोग हुआ है।

4. सरल एवं सुबर धसुबोधखड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।

Some More Questions From सुमित्रानंदन पंत Chapter


लहराते वे खेत दुर्गों में
हुआ बेदखल वह अब जिनसे,
हँसती थी उसके जीवन की
हरियाली जिनके दतृन-तृनसे!
आँखों ही में घूमा करता
‘वह उसकी आँखों का तारा,
कारकुनों की लाठी से जो
गया जवानी ही में मारा!

बिका दिया घर द्वार
महाजन ने न ब्याज की कौड़ी छोड़ी,
रह-रह आखों में चुभती वह
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह, आँखों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती!

बिना दवा दर्पन के धरनी
स्वरग चली-आँखें आतीं भर,
देख-रेख के बिना दुध मुँही
बिटिया दो दिन बाद गई मर!
घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
पकड़ मंगाया कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन!

खैर, पैर की जूती, जोरू
न सही एक, दूसरी आती
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लौटते, फटती छाती।
पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गगड़वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।

अंधकार की गुहा सरीखी
‘उन आँखों से’ डरता है मन।

(क) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?

(ख) उन आँखों से किसकी ओर संकेत किया गया है?

(ग) कवि को ‘उन आँखों से’ डर क्यों लगता है?

(घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आँखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है?

(ड) यदि कवि इन आँखों से नहीं डरता, क्या तब भी वह कविता लिखता?

कविता में किसान की पीड़ा के लिए कीन्हें जिम्मेदार बताया गया है?

‘पिछले सुख की स्मृति आँखों में क्षण भर रक चमक है लाती’ में किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -

घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,

संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -

पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।