सुमित्रानंदन पंत
‘वे आँखें’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
‘वे आँखें’ कविता में कवि ने किसान की दुरावस्था? मार्मिक चित्रण किया है। उसे स्वाधीन भारत में भी उपेक्षा के सिवाय कुछ नहीं मिला। उसकी दशा दिन-प्रतिदिन बिगड़ती ही चली गई है। पहले जमींदार उसका शोषण करता है, फिर महाजन उसका घर-बार तक बिकवा देता है। वह कहीं का नहीं रहता। पत्नी इलाज के अभाव में मर जाती है। पुत्र को जमींदार के कारिंदे मार देते हैं, पुत्रवधू को कोतवाल परेशान करता है अत: वह कुएँ में डूब मरती है। किसान को बीच मँझधार में छोड़ दिया गया है। उसके गाय-बैलों तक को छीन लिया गया है। उसकी दशा दयनीय हो गई है।
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सुमित्रानंदन पंत के जीवन एवं साहित्य पर प्रकाश डालते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
वे आँखें
अंधकार की गुहा सरीखी
उन आखों से डरता है मन
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुःख का नीरव रोदन!
वह स्वाधीन किसान रहा
अभिमान भरा आखों में इसका
छोड़ उसे मँझधार आज
संसार कगार सदृश बह खिसका!
बिका दिया घर द्वार
महाजन ने न ब्याज की कौड़ी छोड़ी,
रह-रह आखों में चुभती वह
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह, आँखों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती!
बिना दवा दर्पन के धरनी
स्वरग चली-आँखें आतीं भर,
देख-रेख के बिना दुध मुँही
बिटिया दो दिन बाद गई मर!
घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
पकड़ मंगाया कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन!
खैर, पैर की जूती, जोरू
न सही एक, दूसरी आती
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लौटते, फटती छाती।
पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गगड़वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।
(क) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?
(ख) उन आँखों से किसकी ओर संकेत किया गया है?
(ग) कवि को ‘उन आँखों से’ डर क्यों लगता है?
(घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आँखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है?
(ड) यदि कवि इन आँखों से नहीं डरता, क्या तब भी वह कविता लिखता?
कविता में किसान की पीड़ा के लिए कीन्हें जिम्मेदार बताया गया है?
संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
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